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पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्याण को पद्म विभूषण से गौरांवित हुआ अलीगढ़, हर तरफ खुशी की लहर

अलीगढ़ के सोमवार का दिन दोहरी खुशी लेकर आया। पूर्व मुख्‍यमंत्री कल्‍याण सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्‍मान मिला तो दूसरी ओर उनके नाती संदीप सिंह को मंत्रिमंडल में बेसिक शिक्षा विभाग की जिम्‍मेदारी मिली। कल्याण सिंह अलीगढ़ के अतरौली तहसील क्षेत्र के गांव मढ़ौली के रहने वाले थे।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2022 08:23 AM (IST)
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पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण मिला।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। सोमवार को जिले में दोहरी खुशी थी। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण मिला। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने पुरस्कार ग्रहण किया। दूसरी तरफ कल्याण सिंह के नाती संदीप सिंह को मंत्रीमंडल में बेसिक शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी मिली। राज पैलेस के लिए यह दिन सबसे अहम रहा। वहीं, कल्याण सिंह को पद्म विभूषण मिलने पर जिले के इतिहास में एक नया अध्याय दर्ज हो गया। जिले में कल्याण सिंह पहले शख्स हैं, जिन्हें भारत रत्न के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान मिला। पद्म विभूषण मिलने के बाद से एटा सांसद राजू भैया के पास बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। बड़ी संख्या में लोग फोन पर उन्हें बधाई देते रहे।

1962 में राजनीति की शुरुआत की थी कल्‍याण सिंह ने 

कल्याण सिंह मूलरूप से अलीगढ़ के अतरौली तहसील क्षेत्र के गांव मढ़ौली के रहने वाले थे। 1962 में उन्होंने अतरौली विधानसभा क्षेत्र से ही राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने भारतीय जनसंघ से चुनाव लड़ा था, मगर हार मिली। 1967 में फिर विधानसभा चुनाव लड़ा। इसमें जीत के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। अतरौली से ही 10 बार विधायक बने। बुलंदशहर व एटा से सांसद रहे। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। सियासत में भले ही कल्याण सिंह शीर्ष पर पहुंचे हों, मगर जिंदगी का फलसफा संघर्षों के बीच से गुजरा। मढ़ौली गांव निवासी कल्याण सिंह एक किसान परिवार से थे। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह शिक्षक बने।

1960 में मुड़े सियासत की ओर

1960 के दशक में वो सियासत की ओर मुड़ गए। उस समय शिक्षक का बहुत वेतन नहीं हुआ करता था, इसलिए आर्थिक रूप से कल्याण सिंह बहुत संबल भी नहीं थे। राजनीति में आगे बढ़ने के लिए सिर्फ संघ के प्रचारकों का सहारा था। उन्होंने कल्याण सिंह को हमेशा प्रेरित किया, जिससे वह निखरते और संवरते चले गए। जीवन में साइकिल से लेकर बैलगाड़ी तक की यात्रा तय की। राजस्थान के राज्यपाल का कार्यकाल समाप्त होने पर कल्याण सिंह फिर से भाजपा में शामिल हो गए थे। 21 अगस्त 2021 को उनका निधन हो गया था। राजू भैया ने कहा कि बाबूजी को पद्म विभूषण सम्मान मिलना उनके लिए गौरव की बात है। पूरी कोशिश करेंगे कि बाबूजी की विरासत को संभालकर रखें और उनके आदर्श को अपनाएं।

दृढ़ निश्चियी, निर्णय लेने की थी क्षमता

बाबूजी अपने जीवनकाल में दृढ़ निश्चियी थे, जो एक बार ठान लिया फिर कदम पीछे नहीं हटाते थे। इसलिए छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहने के बाद सीएम की कुर्सी छोड़ने में दो मिनट का भी समय नहीं लगाया। उन्होंने कई बार खुले मंचों पर कहा भी कि प्रभु श्रीराम के लिए ऐसी सैकड़ों कुर्सी न्यौछावर है। उनके त्याग और तपस्या के चलते ही अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है।

हर वर्ग में है खुशी

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के क्षेत्रीय मंत्री आमिर रशीद ने खुशी में मिठाई बांटी। आमिर ने कहा कि बाबूजी राष्ट्र रतन थे। भारत सरकार ने बाबूजी को पद्म विभूषण देकर अलीगढ़ का गौरव बढ़ाया है। बाबूजी ने पिछले, और कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया। मुस्लिम समाज में भी खुशी है।

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