मलखान सिंह हत्याकांड: अलीगढ़ जिले में हुई पहली राजनीतिक हत्या से दहल गए थे राजनेता, यहां से शुरू हुआ था विवाद
पूर्व विधायक चौ. मलखान सिंह व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह उर्फ गुड्डू में वर्ष 2006 में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष से विवाद पैदा हुआ। सीट एससी महिला के लिए आरक्षित हुई थी। इस कारण तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू चुनावी दौड़ से बाहर हो गए थे।
अलीगढ़, जागरण टीम, (संतोष शर्मा)। पूर्व विधायक मलखान सिंह हत्याकांड के अलावा जिले की राजनीति कभी रक्तरंजित नहीं रही। राजनीतिक द्वेष हो सकते हैं, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी की जान चली जाए। आसपास के जिलों में जरूर राजनीतिक हत्याओं के बारे में सुना था। इसी कारण अलीगढ़ की राजनीति की तो मिसाल दी जाती थीं।
सभी दलों ने की थी निंदा
20 मार्च 2006 को मलखान सिंह की हत्या जिले की पहली राजनीतिक हत्या थी, जिसने नेताओं को झकझोर कर रख दिया। सभी दलों ने एक स्वर से इस हत्याकांड की निंदा भी की। उन्हें भय सताने लगा कि ऐसी घटना किसी और के साथ न हो। गनर रखने की परंपरा तभी से ज्यादा शुरू हुई। पूर्व विधायक मलखान सिंह राजनीतिक के मझे हुए नेता थे। वो अपराधियों से डरते नहीं थे। फैसला लेने में वो निडर माने जाते थे। उनके समय में गौंडा क्षेत्र में जो भी आपराधिक घटनाएं हुईं उन्होंने उनका विरोध किया। पुलिस से सख्त कार्रवाई भी कराई। यह क्षेत्र मलखान सिंह का गृह क्षेत्र था। जबकि तेजवीर सिंह गुड्डू की इसी क्षेत्र के गांव शहरी मदनगढ़ी में ससुराल है।
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पूर्व मंत्री ने वापस कर दी थी सुरक्षा
जिले की स्वच्छ राजनीतिक का ऐसा भी दौर रहा कि नेताओं ने सुरक्षा गार्ड वापस किए। इगलास से विधायक रहे पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह ने 1990 में एमएलसी बनने पर सुरक्षा वापस कर दी थी। एमएलसी बनने पर तत्कालीन एसएसपी ने उनके आवास पर सुरक्षा गार्ड भेजा था। जब राजेंद्र सिंह को पता चला तो उन्होंने एसएसपी को फोन कर गार्ड वापस कर दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी गार्ड लेकर नहीं चलते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उन्होंने सुरक्षा ली थी।
गौंडा थाने में मलखान सिंह और गुड्डू में हुई थी झड़प
- चौ. मलखान सिंह इगलास विधानसभा में अपनी मजबूत पकड़ रखते थे। जनता दल के बाद सपा में चले गए थे। बाद में भाजपा में आ गए।
- भाजपा ने वर्ष 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में चौ. मलखान सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। इन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी चौ. विजेंद्र सिंह को शिकस्त दी थी।
- वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चौ. मलखान सिंह पर ही भरोसा जताया। इस बार चौ. बिजेंद्र सिंह ने मलखान सिंह को हरा दिया।
- वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में तत्कालीन विधायक चौ. विजेंद्र सिंह सांसद निर्वाचित हुए। इसके बाद मलखान सिंह भाजपा से नाता तोड़ रालोद में शामिल हो गए। उस समय सपा व रालोद की संयुक्त सरकार थी।
- वर्ष 2005 में इगलास विधानसभा उपचुनाव हुए।
- रालोद व सपा से चौ. मलखान सिंह, कांग्रेस से चौ. विजेंद्र सिंह की पत्नी राकेश चौधरी, बसपा से मुकुल उपाध्याय व भाजपा से तेजवीर सिंह गुड्डू की पत्नी नीरा चौधरी प्रत्याशी थे।
- मतदान के दौरान चौ. मलखान सिंह व गुड्डू समर्थकों में झड़प हुई थी।
- चौ. मलखान सिंह व गुड्डू गौंडा थाने पहुंचे जहां दोनों में तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ था। मुकुल उपाध्याय भी थाने में मौजूद थे। इस चुनाव में मुकुल ने जीत हासिल की थी।