JN Medical College Aligarh : मानवता की सेवा की प्रबल इच्छा और रुचि से मरीजों को दे रही नई जिंदगी
JN Medical College Aligarh बीते 33 वर्षों से मरीजों की सेवा कर रही डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट एंसी कुरियन ने अपना जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। एंसी कुरियन मूलरूप से केरल के कोट्टायम निवासी हैं। उनको ये प्रेरणा बड़े भाई फादर जोस अक्कारा से मिली।
By Jagran NewsEdited By: Anil KushwahaUpdated: Mon, 03 Oct 2022 11:14 AM (IST)
केसी दरगड़, अलीगढ़ । JN Medical College Aligarh : मानवता की सेवा करने के कई रूप हो सकते हैं। यह सेवा तन, मन व धन से हो सकती है। यह सेवा करने की प्रबल इच्छा और रुचि विरले लोगों में होती हैं। एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में डिप्टी नर्सिंग सुपरिटेंडेंट के पद पर रहकर 59 वर्षीय एंसी कुरियन 33 वर्षों से मरीजों की सेवा कर रही हैं। कोरोना जैसी महामारी का दौर रहा हो या गैस रिसाव की घटना जैसी आपात स्थिति। उस दौरान सेवा से कई मरीजों का जीवन बचाया।
केरल की रहने वाली हैं एंसी कुरियन
एंसी कुरियन मूलरूप से केरल के कोट्टायम निवासी हैं। उनका कहना है कि बड़े भाई फादर जोस अक्कारा से उन्हें इसकी प्रेरणा मिली। सौभाग्य से नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए मोकामा, पटना व पीजीआइ चंडीगढ़ में पढ़ने का मौका मिला। इसी दौरान एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज के अस्पताल में नर्स के रिक्त पद की जानकारी मिली तो आवेदन किया और सेवा का मौका मिल गया। यहां वे 1989 से काम कर रही हैं। आज भी वार्ड में मरीजों के पास जाकर हालचाल पूछती हैं। उन्हें दवा देती हैं। उन्हें तनाव मुक्त रहकर खुश रहने की सलाह देती हैं। उनके पति कुरियाचेन पीजे संत फिदेलिस स्कूल में प्रधानाचार्य हैं।प्रशासक जैसी जिम्मेदारी भी संभाल रही
कोरोना काल हो या अन्य गंभीर चुनौतियां, उन्होंने एक प्रशासक की जिम्मेदारी भी निभाई। कोविड आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था करने, आइसोलेशन वार्डों में काम करने के लिए चार शिफ्टों में स्टाफ की ड्यूटी लगाना, वार्डों में मरीजों के लिए नर्सिंग अधिकारियों की व्यवस्था करना, समान कर्मचारियों को ट्रामा सेंटर में रखने जैसी कई चीजों पर ध्यान दिया जाना था। बढ़ते हुए कोविड रोगियों का इलाज परीक्षा का समय था, जब आक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा। मरीजों को उन वार्डों से स्थानांतरित करना पड़ा, जहां आक्सीजन उपलब्ध थी। कर्मचारियों की कमी के बावजूद आवश्यकताओं को समय पर देखा गया।
परिवार की जिम्मेदारी भी संभाली
इन विषम परिस्थितियों में मरीजों के साथ परिवार की जिम्मेदारी थी। पांच दिन ऐसे भी रहे, जब घर नहीं जा पाए। बेटा, बेटी और पति से फोन पर ही बात कर राजी खुशी ले लेते थे। वे भी हमारे बारे में चिंता करते थे, लेकिन चिंतित नहीं रहने की हिम्मत देते रहे।गैस रिसाव की घटना पर मरीजों की सेवा
हाल ही में गैस रिसाव से प्रभावित 59 मरीज मेडिकल में भर्ती हुए थे। उनके लिए बेड, आक्सीजन व अन्य जरूरी दवाओं की व्यवस्था में सहयोग दिया। वे सभी सही होकर घर गए । वे बताती हैं कि कुछ वर्ष पहले एक मरीज पप्पू ऐसा था जो कि लंबे समय तक वेंटीलेंटर पर भी रहा। उसकी लगातार देखरेख रखी। उसे मिर्गी के दौरे पड़ते थे। वो सही होकर चला गया।
इसे भी पढ़ें : Dussehra 2022: गोरखपुर में चार को निकलेगी विजयदशमी की शोभायात्रा, सीएम योगी आदित्यनाथ भी होंगे शामिल
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।