Holashtak 2023: होलाष्टक शुरू, आठ दिन तक नहीं होंगे शुभकार्य, देवी आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है ये समय
Holashtak 2023 सात मार्च तक रहेंगे फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक का समय। ज्योतिषाचार्य का मानना है कि इन दिनों में नकारात्मक शक्तियां हावी रहने के कारण मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Mon, 27 Feb 2023 11:49 AM (IST)
अलीगढ़, जागरण टीम। रंगों का पर्व होली पूरे देश में बड़े हर्ष और उल्लास से मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा की शाम से होली का पर्व शुरू हो जाता है तथा फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक यानी होलिका दहन से आठ दिन पूर्व का समय होलाष्टक नाम से जाना जाता है। इस दौरान सभी शुभ कार्य वर्जित होते है, लेकिन होलाष्टक देवी देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
सात मार्च तक चलेंगे होलाष्टक
वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि रविवार की रात 2:21 बजे से होलाष्टक प्रारंभ होकर सात मार्च तक रहेंगे। इन आठ दिनों में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि निषेध माने गए हैं। मान्यतानुसार होलिका दहन से आठ दिन पहले तक भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने विष्णु भक्ति से दूर करने के लिए बहुत प्रताड़ित किया था, जिस कारण से भी होलाष्टक के आठ दिनों में किसी भी प्रकार का कोई मंगलकारी कार्य नहीं किया जाता।
पौराणिक कथा ये भी
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को कामदेव ने महादेव की तपस्या भंग की थी। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। प्रेम के देवता कामदेव के भस्म होते ही सारी सृष्टि में शोक व्याप्त हो गया। अपने पति को पुनः जीवित करने के लिए रति ने अन्य देवी-देवताओं सहित शिवजी से प्रार्थना की, जिससे प्रसन्न होकर भोले शंकर ने पुनर्जीवन का आशीर्वाद दिया। यह आशीर्वाद आठ दिन बाद प्राप्त हुआ। ऐसा माना जाता है कि इस समय नकारात्मक ऊर्जा हावी रहती है और इन आठ दिन में हर दिन अलग-अलग ग्रह अस्त और रुद्र अवस्था में होते हैं। इसके अतिरिक्त, तांत्रिक विद्या की साधना भी इस अवधि में ज्यादा होती है।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।