साइकिलिंग से सुधारें बिगड़ती लाइफस्टाइल, बीमारियों से भी छुटकारा, ये हैं साइकिल चलाने के फयदे
बिगड़ती लाइफस्टाइल मोटापे के साथ-साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है। ऐसे में इन समस्याओं से बचाव करने के लिए शरीर में कुछ तरह की एक्टिविटी जरूरी है ताकि शरीर को स्वस्थ्य रखने में कुछ मदद मिल सके।
By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Fri, 03 Jun 2022 07:35 AM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। बिगड़ती लाइफस्टाइल मोटापे के साथ-साथ कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही है। ऐसे में इन समस्याओं से बचाव करने के लिए शरीर में कुछ तरह की एक्टिविटी जरूरी है, ताकि शरीर को स्वस्थ्य रखने में कुछ मदद मिल सके। ऐसे में साइकिलिंग एक बेहतरीन एक्टिविटी साबित हो सकती है। साइकिलिंग करके खुद के शरीर को एक्टिव और फिट बनाना आसान हो सकता है। वजह यह है कि इसे भी एक तरह की एक्सरसाइज ही माना जाता है, लेकिन साइकिल चलाने के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं, इसकी जानकारी शायद ही हर किसी को होगी। यही वजह है कि हमने साइकिल चलाने का सही समय और नयमित साइकिलिंग जुड़े लोगों से आपको करा रहे हैं रू-ब-रू
उम्र के पड़ाव पर पहुंचने पर भी युवाओं जैसी कन्हैया लाल में फूर्ति अपने जीवन के 78 बसंत देख चुके कन्हैया लाल शर्मा आज भी युवाओं जैसी फूर्ति दिखती है। वे अभी तक निरोगी हैं। किसी भी प्रकार का रोग नहीं। आरपीएफ में एएसआइ से सेवानिवृत्त हुए शर्मा 10 किलोमीटर रोज साइकिल चलाते हैं। उनकी सुबह की शुरूआत साइकिलिंग से होती है। अपने दोस्तों के साथ घर से दूर नुमाइश ग्राउंड तक साइकिलिंग करते थे। शर्मा कहते हैँ साइकिलिंग से सबसे ज्यादा लाभ हृदय स्वास्थ को बेहतर बनाती है। साइकिलिंग के दौरान दिल की धड़कन तेज हो जाती है, जो एक तरह से दिल के स्वास्थ्य के लिए एक्सरसाइज हो सकती है। अध्ययनों के अनुसार, साइकिल चलाने जैसी गतिविधि से हृदय व रक्त वाहिकाओं से संबंधी (कार्डियोवैस्कुलर) जोखिम कम किया जा सकता है।
शर्मा का कहना है कि उन्होंने सर्विस के समय पर भी साइकिल ही चलाई थी। उनकी जहां भी पोस्टिंग हुई, हमेशा साइकिल से ही थाने तक जाना होता। आज भी वे बाजार के सभी काम साइकिल से ही करते हैं। 40 साल पुरानी साइकिल आज भी उनकी पसंदीदा है। साइकिलिंग ने मधु मेह की दहशत कम की
ताला कारोबारी राजकुमार उपाध्याय (राजू उपाध्याय) की अति व्यस्ततम दिनचर्या है। शुरूआत में सेहत के प्रति सजगता कम रही। पता ही नहीं चला मधुमेह (डायबटीज) हो गई। युवा अवस्था में इस मर्ज से राजू डर गए। दवा के साथ सुबह व्यायाम शुरू किया, इससे डायबटीज कंट्रोल नहीं हुई। सुबह टहलते समय दोस्तों ने सुझाव दिया, कि साइकिलिंग से लाभ होगा। राजू ने चार साल पहले ही साइकिलिंग का फैसला लिया। अब यह हर रोज पांच से 10 किलो मीटर सुबह शाम साइकिल चलाते हैं। राजू का कहना है कि पहले सुबह उठने में बहुत आलस आता था, जब से साइकिलिंग शुरू की है, अलग शरीर में ऊर्जा का संचालन हो गया है। थकावट कम महसूस होती है। ताला नगरी स्थित फैक्ट्री से कुछ काम होता है, तो दिन में भी साइकिल से चलन फिरना होता है।
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