Museum Day: एएमयू के संग्रहालय में मौजूद हैं तीन हजार साल पहले के औजार
तीन हजार साल पहले लोग किस तरह रहते थे उनके पास सुविधाएं क्या थीं? किस तरह के औजारों का इस्तेमाल करते थे? पहनावा क्या था? ये सब जानना है तो विश्व संग्रहालय दिवस पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के मूसाडाकरी संग्रहालय घूम आएं।
By Santosh SharmaEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Thu, 18 May 2023 02:39 AM (IST)
अलीगढ़, संतोष शर्मा: तीन हजार साल पहले लोग किस तरह रहते थे, उनके पास सुविधाएं क्या थीं? किस तरह के औजारों का इस्तेमाल करते थे? पहनावा क्या था? ये सब जानना है तो विश्व संग्रहालय दिवस पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के मूसाडाकरी संग्रहालय घूम आएं। बच्चों को भी ले जाएं। समय के साथ मानव सभ्यता कितनी तेजी से बदलती है। ये सब आपको वहां देखने को मिलेगा। यहां एटा के अतरंजीखेड़ा में मिले वर्तन, लोहे के औजार हैं। जो कहीं नहीं मिलेंगे। क्योंकि हड़प्पा की खोदाई में भी लोहा नहीं मिला था।
एटा का अतरंजीखेड़ा और जखेड़ा बहुत ही ऐतिहासिक स्थल हैं। 1980 के दशक में खोदाई में ऐसी चीजें मिलती थीं जो बड़ी उत्सुकता पैदा करतीं थीं। धीरे-धीरे बात प्रशासन तक पहुंची तो सरकार ने खोदाई कराने का निर्णय लिया। एएमयू के इतिहास विभाग के प्रो. आरसी गौड़ टीम की मुखिया बने।प्रो. गौड़ की देखरेख में कई साल खोदाई चली। जो चीजें निकलीं उसने इतिहासकारों को हैरान कर दिया। यहां पहली बार खोदाई में लोहा से बने औजार निकले। इससे मानव सभ्यता के बारे में नई बहस को जन्म दिया। क्योंकि हड़प्पा की खुदाई में लोहा नहीं मिला था, वहां कांसा मिला था।
इतिहासकारों ने इसे आर्यन के दौर से जोड़ा। कार्बन डेटिंग से इन वस्तुओं का काल 3000 से 3500 मिला। अतरंजीखेड़ा में मिट्टी के बर्तनों के अलावा, दैनिक कार्य व शिकार में इस्तेमाल होने वाले लोहे के औजार मिले। महिलाएं उस दौर में किस तरह की चूड़ी व कंगल पहनती थीं वो भी मिले। यह धरोहर संग्रहालय में रखी हैं। अतरंजीखेड़ा में मिले मिट्टी के बर्तन इतने पुराने हैं कि और कहीं नहीं दिखते।
संग्रहालय में और भी बहुत कुछ है मौजूद
1890 से 1940 तक इस्तेमाल हो चुका टेलीफोन भी यहां हैं। 1920 में आया वो टेलीफोन भी है, जिसमें घंटी अंदर होती थी। पैड से लेकर एंड्राइड मोबाइल तक की सीरीज भी है। कैमरे की भी ऐसी रेंज यहां है। सर सैयद द्वारा एकत्रित की गईं देवी-देवताओं की मूर्ति भी हैं।इनका कहना है
अंतरजीखेड़ा और जखेड़ा में हुई खोदाई इतिहास के माये में बहुत ही महत्वपूर्ण रही। अतरंजीखेड़ा में लोहा निकला, जो आर्यन के काल को दर्शाता है। हड़प्पा में तावां निकला था। अच्छी बात ये रही कि अतरंजीखेड़ा में मिले सामान की विदेश से कार्बन डेटिंग हुई। इस लिए उसका काल भी स्पष्ट हो सका। इसकी पूरी रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई। जखेड़ा में मिले सामान की डेटिंग नहीं हो सकी। - प्रो. नदीम रिजावी, इतिहास विभाग एएमयू
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