Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

इसरो ने उड़ाया खास गुब्बारा… ऐसे करेगा काम कि मिलेगी मौसम की जानकारी, इसके लिए क्यों चुनी गई एएमयू की छत

इसरो ने उत्तर भारत का पहला मौसम गुब्बारा लॉन्च किया जिसे भूगोल विभाग की छत से छोड़ा गया। 35 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होकर गुब्बारा 100 किलोमीटर के दायरे में मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। दिल्ली की तरह यहां हवाई जहाज ज्यादा नहीं उड़ते। इस कारण डाटा कलेक्ट करने में गुब्बारे में लगे सेंसर को दिक्कत नहीं होगी। इसके चलते ही इसरो ने एएमयू को चयन किया है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Thu, 11 Jul 2024 05:56 PM (IST)
Hero Image
एएमयू कुलपति प्रो. नईमा खातून ने इसे यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।

संतोष शर्मा, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के नाम गुरुवार को एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग में उत्तर भारत का पहला मौसम गुब्बारा लॉन्च किया, जिसे भूगोल विभाग की छत से छोड़ा गया। 

35 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित होकर गुब्बारा 100 किलोमीटर के दायरे में मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। खास बात यह भी है कि शाम पांच बजे तक गुब्बारे ने 32 किमी की उड़ान भर ली थी। डाटा भी भेजना शुरू कर दिया था। एएमयू कुलपति प्रो. नईमा खातून ने इसे यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।

अलीगढ़ में गुब्बारे को छोड़ने का कारण 

मौसम विभाग के लिए दिल्ली एनसीआर महत्वपूर्ण क्षेत्र है। सर्दियों के दिनों में सबसे अधिक धुंध इसी क्षेत्र में रहती है। इसके पीछे पराली जलाने आदि को जिम्मेदार ठहराया जाता है। दीपावली पर भी एनसीआर में वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है। 

अलीगढ़ के आसमान में एयर ट्रैफिक कम है। दिल्ली की तरह यहां हवाई जहाज ज्यादा नहीं उड़ते। इस कारण डाटा कलेक्ट करने में गुब्बारे में लगे सेंसर को दिक्कत नहीं होगी। 

इसके चलते ही इसरो ने एएमयू को चयन किया है। इसके लिए दोनों के बीच करार हुआ है। इसरो ने छह माह पहले ही सेंसर, एंटीना, हीलियम गैस भरे सिलेंडर, रिसीवर, सुपर कंप्यूटर आदि सामान भेज दिया था। 

भूगोल विभाग के प्रो. अतीक अहमद ने बताया कि गुब्बारे गुरुवार दोपहर तीन बजे सफलतापूर्वक छोड़ा गया। लॉन्च करते समय इसका व्यास दो से तीन मीटर होगा। ऊपर जाकर यह 10 मीटर व्यास का हो जाएगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने इसके लिए दो से तीन बजे का समय दिया था।  

ऐसे काम करेगा गुब्बारा

सेंसर युक्त गुब्बारे में जीपीएस के साथ रेडियोसांड मीटर, ह्म्यूमिनिटी फायर, थर्मामीटर व विंडस्पीड मीटर को लगाया जाएगा। गुब्बारा सेटेलाइट से जोड़ा जाएगा। रेडियो साउंड मीटर जीपीएस गुब्बारे की लोकेशन बताने काम करेगा, जबकि बायीं लगा सेंटर तापमान, वायु का दबाव आदि की जानकारी देगा। 

तापमान, आर्द्रता-नमी, हवा की गति और दबाव की माप की जाएगी। ये सारी सूचना ट्रांसमीटर के जरिए विभाग की छत पर लगे रिसीवर के पास जाएंगी। रिसीवर से सारा डाटा कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखेगा।

हर पंद्रह दिन बाद छोड़ा जाएगा गुब्बारा

बुधवार को ट्रायल के रूप में सफलतापूर्वक गुब्बारे का लांच किया गया है। इससे डाटा भी प्राप्त हुए हैं। गुरुवार को भी गुब्बारा छोड़ा जाएगा। प्रो. अतीक ने बताया कि हर पंद्रह दिन बाद गुब्बारा छोड़ा जाएगा। 

26 जुलाई को अगली तिथि तय हुई है। हर बार गुब्बारा मौसम का पूर्वानुमान बताएगा। इसका डाटा सुपर कंप्यूटर में सेव होता रहेगा। इसरो के अलावा कोई भी इसका उपयोग कर सकेगा। एएमयू के छात्र छात्राएं अभी तक मौसम के बारे में किताबी ज्ञान ही अर्जित कर रहे थे, अब प्रैक्टिकल भी कर सकेंगे।

गुब्बारा लांच करने का उद्देश्य सतह के ऊपर वायुमंडलीय मापदंडों का सटीक माप करना और इस जानकारी को यथासंभव वास्तविक समय में वापस भेजना है। सटीक पूर्वानुमान लगाने के लिए यह भी जाना जाएगा कि ऊपर का मौसम कैसा रहता है। गुब्बारे का लांच करना एएमयू के लिए ऐतिहासिक कदम है। 

-प्रो. अतीक अहमद, भूगोल विभाग एएमयू

यह भी पढ़ें: आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर एक और बड़ा हादसा, ट्रक से भिड़ी अनियंत्रित कार; डॉक्‍टर की दर्दनाक मौत

यह भी पढ़ें: UP NEWS : AAP के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सरेंडर करने पहुंचे कोर्ट, मजिस्ट्रेट ने सुनाया फिर यह फैसला