King Mahendra Pratap Singh : जाट राजा महेंद्र प्रताप ने अफगानिस्तान में बनाई थी भारत की अंतरिम सरकार Aligarh News
शायद कम लोग ही जानते होंगे कि आजादी से पहले ही भारत की अंतरिम सरकार का गठन कर दिया गया था। यह काम जाटों में शौर्य के प्रतीक राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में कर आजादी के दीवानों का हौसला बढ़ाया था।
अलीगढ़, संतोष शर्मा। शायद कम लोग ही जानते होंगे कि आजादी से पहले ही भारत की अंतरिम सरकार का गठन कर दिया गया था। यह काम जाटों में शौर्य के प्रतीक राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अफगानिस्तान में कर आजादी के दीवानों का हौसला बढ़ाया था। उन्होंने करीब ढाई साल वहां से अंतरिम सरकार चला अंग्रेजों को चुनौती दी।
राजा महेंद्र प्रताप विवि का शिलान्यास को
अभी तक राजा के नाम पर ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे उनकी शान में बढ़ोतरी हो। यह अब योगी सरकार करने जा रही है। 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोधा ब्लाक क्षेत्र के गांव मूसेपुर के पास राजा महेंद्र प्रताप राजकीय विश्वविद्यालय की नींव रखेंगे। इसे जाट समाज के नेता राजा महेंद्र प्रताप के लिए बड़ी श्रद्धांजलि मान रहे हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चिम उत्तर प्रदेश में बड़े मायने भी हैं। जाट आंदोलन इसी क्षेत्र में है और विधानसभा चुनाव भी अधिक दूर नहीं। राजा महेंद्र प्रताप का जन्म एक सितंबर 1886 को हाथरस के कस्बा मुरसान में हुआ था। वे राजा घनश्याम सिंह के तीसरे पुत्र थे। घनश्याम सिंह के मोहम्मडन एंग्लो कालेज के संस्थापक सर सैयद अहमद खां से अच्छे संबंध थे। सर सैयद के आग्रह पर ही महेंद्र प्रताप को कालेज पढऩे भेजा। पिता की मौत के कारण राजा को रियासत संभालनी पड़ी और 12वीं के बाद 1907 में कालेज छोडऩा पड़ा। फिर आजादी की लड़ाई में शामिल लोगों की मदद करने लगे। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान वे अफगानिस्तान चले गए। एक दिसंबर 1915 में काबुल से भारत के लिए अंतरिम सरकार की घोषणा की, जिसके राष्ट्रपति स्वयं तथा प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खां बने। 1946 में वह भारत लौटे। बाद में वह मथुरा से सांसद भी बने। 29 अप्रैल 1979 में उनका निधन हो गया। राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने अपनी आत्मकथा 'माई लाइफ स्टोरीÓ में लिखा है कि उन्हेंं गुल्ली डंडा के साथ टेनिस व चेस का शौक था। कालेज की छुट्टियों में अपना समय मुरसान व वृंदावन में बिताते थे।
राजा के नाम हो सकता है एएमयू का स्कूल
राजा महेंद्र प्रताप ने अपना पूरा जीवन देश सेवा में लगाया। बहुत सारी सपंत्ति भी दान कर दी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी (एएमयू) को भी राजा ने जमीन दी। एएमयू का सिटी स्कूल राजा की 3.8 एकड़ जमीन पर बना हुआ है। यह जमीन 1929 में 90 साल के लिए लीज पर दी गई थी। राजा के प्रपौत्र चरत प्रताप सिंह ने यूनिवॢसटी को प्रस्ताव दिया था कि जिस जमीन पर स्कूल बना है, उसे राजा का नाम दिया जाए। इस पर कुलपति ने एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्कूल का नाम राजा के नाम पर करने की रिपोर्ट दी थी। हालांकि अभी इस पर कोई निर्णय होना बाकी है।
योगी ने दो साल पहले की थी घोषणा
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवॢसटी की घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जाट बहुल क्षेत्र जिले की इगलास विधानसभा सीट के लिए 2019 में हुए उपचुनाव के दौरान की थी। मुख्यमंत्री ने कई बार अपने भाषणों में राजा द्वारा एएमयू को जमीन तो दान करने का जिक्र भी किया। हालांकि एएमयू में राजा के नाम पर किसी इमारत या हाल का नाम नहीं है।
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर यूनिवॢसटी बनना जाट समाज के लिए गर्व की बात है। अभी तक किसी सरकार ने राजा के लिए इस तरह सोचा नहीं था। ये पूरे जाट समाज का सम्मान है।
सुनील चौधरी, संस्थापक राष्ट्रीय जाट एकता संगठन
राजा का स्वभाव बहुत ही अच्छा था। किसी लिए वह गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करते थे। मुझे नहीं लगता कि राजा ने कभी जिन्ना के लिए भी अपशब्दों का इस्तेमाल किया हो।
- प्रो. इरफान हबीब, इतिहासकार एएमयू