एमएलसी बनने पर जयवीर सिंह का स्वागत एक को
: भाजपा से एमएलसी बनने पर पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह का चांदमारी मंदिर के पास स्वागत किया जाएगा।
जासं, अलीगढ़ : भाजपा से एमएलसी बनने पर पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह का चांदमारी मंदिर के पास त्रिमूर्ति नगर स्थित ज्ञान सरोवर जूनियर हाईस्कूल में एक मई को जोरदार स्वागत किया जाएगा। स्कूल के निदेशक पंकज वाष्र्णेय ने बताया कि ठा. जयवीर सिंह के एमएलसी बनने से क्षेत्र के विकास में चार चांद लगेंगे। हर क्षेत्र का विकास होगा। उन्होंने बताया कि स्वागत समारोह में अन्य विशिष्ट लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा। स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बसपा छोड़ आए थे भाजपा में : पूर्व मंत्री ठा. जयवीर सिंह बसपा छोड़कर भाजपा में आए थे। बीते साल 29 जुलाई को बसपा और एमएलसी पद से इस्तीफा देकर ठा. जयवीर सिंह भाजपा में शामिल हुए थे। यह बसपा के लिए बहुत बड़ा झटका था, क्योंकि ठा. जयवीर सिंह पार्टी में अपने समाज की ओर से इकलौते कद्दावर नेता थे। 30 जुलाई को वह भाजपा में आ गए। वह ऐसे वक्त भाजपा में शामिल हुए, जब उनके जिला पंचायत अध्यक्ष भतीजे ठा. उपेंद्र सिंह नीटू की कुर्सी खतरे में थी। विरोधी खेमे के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाने पर आमादा थे। इनमें कई सदस्य तो भाजपा समर्थित ही थे। उनके भाजपा में आने के पीछे भतीजे की कुर्सी बचाने को ही माना जा रहा था। इसका नीटू को लाभ भी मिला और विरोधी गुट का अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। पार्टी में दमदार नेता की एंट्री के समय से ही उन्हें पुरस्कार मिलने की चर्चा थी। छात्र जीवन से राजनीति में प्रवेश : मूलरूप से बुलंदशहर के गाव दानगढ़ के रहने वाले जयवीर सिंह अलीगढ़ पढ़ने आए थे। डीएस डिग्री कॉलेज से बीएससी, एमएससी, एलएलबी व बीएड किया। छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्त्रिय हो गए। संघ व भाजपा में भी सामान्य कार्यकर्ता की हैसियत से जुड़े रहे। बसपा में जिलाध्यक्ष से कैबिनेट मंत्री तक : करीब 17 साल बसपा में रहे जयवीर एक कद्दावर नेता के रूप में छाये रहे। वह बसपा में 2001 में जिलाध्यक्ष के रूप में आए थे। इसी साल बरौली विधानसभा से चुनाव लड़ा और रालोद प्रत्याशी ठा. दलवीर सिंह को हरा दिया। बसपा सरकार में वन विभाग के कैबिनेट मंत्री रहे। 2007 के विधानसभा चुनाव में दोबारा ठा. दलवीर सिंह को हराया और फिर बसपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा मंत्री बनाए गए। उन्होंने ग्रामीण अभियंत्रण सेवाएं व कृषि आयात निर्यात विभाग को भी संभाला। 2009 में पत्??नी राजकुमारी चौहान को बसपा से सासद बनाया। 2014 में बड़े बेटे अरविंद कुमार सिंह को लोकसभा चुनाव में उतारा, लेकिन वोट बढ़ाकर भी जीत नहीं पाए। उन्हें 2012 में रालोद के ठा. दलवीर सिंह के हाथों मात मिली। 2017 में भाजपा में आ गए दलवीर सिंह ने उन्हें हरा दिया।