Kargil Vijay Diwas 2024: फौजियों के गांव से बनी पहचान, घरों की शान बढ़ाती हैं खूंटी पर टंगी सेना की वर्दी
सिरसा गांव के युवा होश संभालते ही तैयारी में जुट जाते हैं। दौड़ पुशअप-लंबी कूद और कसरत इनकी दिनचर्या में शामिल है। आजादी के बाद से ही गांव में सैनिक बनने की प्रक्रिया शुरू हुई जो अब तक जारी है। गांव के लोगों में देश सेवा की ऐसी पराकाष्ठा है कि क्षेत्र में गांव सिरसा को सबसे ज्यादा फौजियों वाले गांव की उपाधि मिली है।
प्रवीण तिवारी, जागरण, छर्रा। क्षेत्र का ग्राम सिरसा सेना में भर्ती को लेकर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। लोग इसे फौजियों का गांव भी कहने लगे हैं। गांव में करीब पांच हजार की आबादी पर लगभग छह सौ घर होंगे। जिसमें से करीब डेढ़ सौ युवा सेना में सिपाही से लेकर सूबेदार के पद पर तैनात होकर देश की सेवा में लगे हुए हैं।
वहीं गांव में करीब पचास फौजी सेवानिवृत होकर अब गांव के युवाओं को सेना की भर्ती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। गांव के हर घर में फौजियों की वर्दियां टंगी हुई नजर आ जाएंगी।
सेना में जाने के लिए क्षेत्र के युवाओं में जोश है। उनकी इच्छा है तो बस सेना में भर्ती होने की। इसके लिए सुबह चार बजे ही दौड़ के लिए निकल जाते हैं। सुबह और शाम को क्षेत्र के अतरौली रोड पर ग्राम पुरैनी, इस्माईलपुर, सफीपुर, छबीलपुर, सिरसा, भुड़िया, रामपुर व रुमामई सहित कई गांवों के युवा दौड़ व शारीरिक व्यायाम करते हुए नजर आते हैं।
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यहां के युवा बताते हैं कि हमारे पूर्वज जो कई पीढ़ियां पूर्व और वर्तमान में भी सेना में नौकरी की है और बहुत सारे लोग नौकरी से रिटायर होकर अपने गांव में भी हैं, इन लोगों के हौसले को देखकर हम लोगों को भी देश सेवा की भावना जागृत हो जाती है। यहां के हर घर में सेना का नौजवान और रिटायर फौजी मिलते हैं। जिसको देखकर लोग अपना सीना गर्व से चौड़ा कर लेते हैं और शान से कहते हैं हम फौजियों के गांव के रहने वाले हैं।
लगभग हर परिवार ने भारतीय सीमा की सुरक्षा के लिए सोल्जर दिया है। यह आजकल में नहीं हुआ, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है। देश की सेवा में तैनात रहे गांव के श्योदान सिंह, फिर उनके पुत्र विनोद चौधरी एवं अब उनके नाती रोनू चौधरी तथा गांव के ही दादा नन्नू सिंह हवलदार, पुत्र ओमवीर सिंह हवलदार व अब नाती संदीप चौधरी सीमा पर तैनात होकर अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। इसी तरह गावं में कई अन्य परिवार भी हैं।
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युवाओं की तैयारी हेतु गांव में बने खेल का मैदान सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे सिरसा निवासी सचिन पोंनिया, राहित चौधरी, ललित चौधरी, गोपाल चौधरी, विकास चौधरी, विवेक चौधरी, रवि चौधरी का कहना है कि प्रत्येक घर से सेना में भर्ती होने की गांव की परंपरा सी बन गई है। गांव के फौजी जवानों को देखकर ही उन्हैं देश सेवा करने की एक प्रेरणा मिलती है।फौजी की वर्दी गांव के हर युवा का सपना है। गांव के ही केहरी सिंह सेना में कैप्टन पद से रिटायर्ड हैं। इस वर्दी को पहनने के लिए ही युवा दिन रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वहीं उनका एक दर्द भी उभर कर आया, कि गांव में तैयारी करने हेतु खेल का कोई मैदान नहीं है। गांव के ही हवलदार गुलवीर सिंह एथलीट बने हैं। वह गांव व क्षेत्र से लेकर हर युवा के लिए एक प्रेरणा दे रहे हैं। कहा कि सरकार द्वारा गांव में खेल का एक मैदान बनवा दिया जाए तो उन्हैं तैयारी करने हेतु तीन-चार किमी दूर सड़क पर नहीं जाना पड़ेगा। इसी तरह क्षेत्र के पुरैनी, इस्माईलपुर, सफीपुर आदि गांवों के काफी संख्या में युवा सेना में भर्ती की तैयारी में जुटे हुए हैं।पुरैनी में करीब आधा दर्जन युवा वर्तमान में सेना में तैनात हैं। तथा पुरैनी के बलिदानी प्रवीण कुमार को अपना आदर्श मानते हैं। युवाओं का कहना है कि गांव के बाहर स्थित बलिदानी प्रवीण कुमार की प्रतिमा को देखकर उनमें जोश भर जाता है। तथा उनकी वीरता व बलिदान की गाथा सुनकर देश की सेवा करने के लिए खून, पसीना एक करते हुए मर मिटने को आतुर रहते हैं। युवाओं के बोलआज का दिन हमारे देश के लिए गौरव का दिन है। यह वह दिन है, जब भारतीय सैनिकों ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ कर राष्ट्र का गौरव बढ़ाया था।-विवेक कुमार, निवासी-रुमामई।कारगिल युद्ध कठिन परिस्थितियों में लड़ा गया था। कड़ाके की ठंड में पाकिस्तानी सेना का सामना करते हुए हमारे वीर जवानों ने अदम्य साहस का परिचय दिया।-अंकित कुमार, निवासी-रुमामई। दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत जरूरी है। हमारे सैनिकों ने युद्ध के मैदान में यह साबित कर दिया कि चुनौतियों से घबराने वाले कभी सफल नहीं होते। उनका भी सेना में भर्ती होकर देश सेवा करने का सपना है।-मोनू उर्फ जिनेश, निवासी-छबीलपुर।कारगिल के शहीद सैनिक हमें यह भी सिखाते हैं कि अनुशासन और देशभक्ति सफलता की कुंजी है। हमें अपने दायित्वों को समझना चाहिए और देश के प्रति हमेशा वफादार रहना चाहिए।-तेजवीर, निवासी-छबीलपुर। कड़ी मेहनत व लगन के चलते कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है। दिल में देश के लिए कुछ करने की भावना रखनी चाहिए। दृढ़इच्छा शक्ति के साथ वह सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना चाहते हैं।-योगेश, निवासी- छबीलपुर।क्षेत्र के फौजी जवानों के किस्से सुनकर देश सेवा की भावना उत्पन्न हुई। जिसके लिए तड़के पांच बजे से दौड़ शुरू होती है। फौजी बन कर राष्ट्र की सेवा करना ही अब उनका लक्ष्य बन गया है।-वेदप्रकाश, निवासी-सफीपुर।
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