खैर में जाटों का गणित नहीं समझ पाई सपा, भाजपा का किला भेदने में विफल; बीजेपी ने लगाई हैट्रिक
UP Politics खैर में सपा दूसरे स्थान पर रही। पिछले कई चुनावों में भाजपा को टक्कर देने वाली बसपा तीसरे स्थान पर खिसक गई। लोकसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत से सपाई अतिउत्साहित थे। लेकिन खैर में भाजपा के किले के वे भेद नहीं सके। भारतीय जनता पार्टी यहां से जीत की हैट्रिक लगाई और किला बचाने में सफल रही।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। लोकसभा चुनाव में सपा ने खैर सीट पर भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम से 1401 अधिक मत पाए थे। इससे उपचुनाव को लेकर सपा का जोश सातवें आसमान पर थे। उसने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुईं चारू चेन को प्रत्याशी बना दिया।
सपा को पूरा भरोसा था कि उसे दलित वोट के साथ जाटों का वोट मिलेगा। चुनाव प्रचार भी जाट बाहुल्य क्षेत्रों में किया। सपा न तो जाटों का गणित समझ पाई और न भाजपा की अवैद्य किलेबंदी को। भाजपा के लिए यह सीट शुरु से ही मुफीद रही है। 2017 के बाद तो पार्टी ने कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं।
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी को लेकर जाटों में नाराजगी थी। उप चुनाव में तो जाटों ने झोली भरकर आशीर्वाद दिया है। कभी मुकाबले में न रहने वाली सपा दूसरे नंबर पर रखी। सबसे बड़ा नुकसान बसपा को हुआ है। 2002 में चुनाव जीतने वाली बसपा इस बार जमानत भी नहीं बचा पाई।
यमुना एक्सप्रेसवे से 28 किलोमीटर दूर है खैर
यमुना एक्सप्रेसवे से कस्बा खैर की दूरी करीब 28 किमी है। इसी क्षेत्र में सरकार ने डिफेंस कारीडार, राजा महेंद्र प्रताप सिंह राजकीय विश्वविद्यालय और ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना की है। जेवर एयरपोर्ट शुरु होने का लाभ खैर क्षेत्र को ही मिलेगा। इसके चलते भाजपा की नजर इस क्षेत्र में 2014 से ही है।
जाटों के अलावा हर वर्ग को पार्टी साधने में लगी हुई है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली रिकॉर्ड जीत ने और जोश भरने का काम किया। भाजपा इसीलिए उप चुनाव में जीत का भरोसा था। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिले कम वोट ने जरूर चिंता में डाल दिया था। इसी लिए भाजपा ने नेताओं की फौज उतार दी थी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सीएम ने भी एक सप्ताह में की दो सभाएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सप्ताह में दो सभाएं कर विपक्ष की नींद उड़ा दी। भाजपा का जितना जोर जाट वोट को पाने पर रहा था उससे कहीं ज्यादा ब्राह्मण, दलित, ठाकुर, बघेल व अन्य वोटों पर नजर थी। जबकि सपा सबसे अधिक जोट वोटों पर भरोसा था। भाजपा की यही रणनीति सपा पर भारी पड़ गई। जाट वोट को लेकर भाजपाइयाें की स्थिति मतदान वाले दिन भी स्पष्ट नहीं थी। उनका मानना था कि जाटों के 30 प्रतिशत वोट भी मिल गए तो बड़ी जीत दर्ज करेंगे। उन्हें लग रहा था कि चारू केन की पारिवारिक प्रष्ठभूमि के चलते जाट वोट खिसक जाएग, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ये भी पढ़ेंः Khair By Election Result: जमानत भी नहीं बचा पाई हर चुनाव में टक्कर देने वाली बसपा, भाजपा ने चित किए 'महारथी' ये भी पढ़ेंः अखिलेश का बड़ा आरोप- यूपी उपचुनाव में धांधली हुई, बोले- 'सपा के मतदाता बूथों तक पहुंचे ही नहीं, उन्हें रोका गया'बंटेंगे तो कटेंगे...नारे का दिखा असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नौ नवंबर को सबसे पहले जब खैर में सभा करने आए तो उन्होंने बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे तो सेफ करेंगे नारे को कई बार बुलंद किया था। 16 नवंबर को जट्टारी में भी उन्होंने यही नारा दिया। सभा में शामिल होने आए जाट मतदाताओं ने योगी के नारे को सराहा था। जलालपुर, जट्टारी के शिवचरन सिंह ने कहा था कि एकता में बड़ी जीत है। संगठित करेंगे तो कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता। भाजपा को जिस तरह जाटों ने वोट किया है उससे लग रहा है योगी का नारा कमाल कर गया।खैर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता
- जाटः 1.25 लाख
- ब्राह्मण : 65 हजार
- ठाकुर : 25 हजार
- जाटव : 60 हजार
- बघेल : 10 हजार
- मुस्लिम : 20 हजार
- वैश्य : 20 हजार