अवैध शराब के कारोबार का गढ़ बन गया खैर क्षेत्र Aligarh news
जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के बाद भले ही पूरा प्रदेश हिल गया हो मगर आबकारी विभाग पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इसी लापरवाही ने आखिरकार मौत का तांडव मचा दिया।
अलीगढ़, जेएनएन । जहरीली शराब पीने से हुई मौतों के बाद भले ही पूरा प्रदेश हिल गया हो, मगर आबकारी विभाग, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ कभी कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। इसी लापरवाही ने आखिरकार मौत का तांडव मचा दिया, जिससे अधिकारियों की कार्रवाई व सब ठीक होने के दावों पर सवालिया निशान लग गया है। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर खैर तहसील क्षेत्र शराब के अवैध कारोबार का गढ़ कैसे बन गया, जहां से तमाम गांवों में नकली शराब की सप्लाई की जाती है।
हरियाणा से आई है सस्ती शराब
हरियाणा से सस्ती शराब टप्पल के हामिदपुर के रास्ते जिले में लाई जाती है। पिछले दो साल में अलीगढ़ पलवल मार्ग से सटे गांवों में यह कारोबार अधिक पनपा है। इसकी जानकारी होने पर भी संबंधी विभाग के अफसर अनजान बने रहे। करसुआ के गैस बाटलिंग प्लांट के बाहर नकली शराब की जमकर बिक्री होती रही है। क्षेत्र के लिए यह कारोबार इतना मुनाफे का हो गया था कि भगवान गढ़ी पर तो अवैध तरीके से फैक्ट्री तक लगा ली गई थी। यहां पर बाकायदा मशीनें लगा दी गई थीं। करीब डेढ़ साल पहले आबकारी विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई की थी, लेकिन इस कारोबार पर पूरी तरह रोक के प्रयास नहीं दिखे। खैर क्षेत्र के कई गांवों में इस शराब को ब्रांडों के लेवल लगी बोतलों में भरा जाता है। इसके लिए दिल्ली से नकली ब्रांडों के लेबल, बोतलें और ढक्कन लाए जाते हैैं। इस क्षेत्र में नकली शराब की पैकिंग करने के कई ठिकाने चर्चा का विषय रहे हैैं। यहां से जिलेभर में शराब की सप्लाई की जाती है। आजमगढ़ व अंबेडकर नगर आदि जिलों में शराब से हुई मौतों के बाद भी जिले में सिर्फ दिखावे की सख्ती की गई। अधिकारियों का दावा था कि जिले में कहीं कोई अवैध कारोबार नहीं चल रहा है। इसलिए अवैध कारोबारी बेखौफ होकर नकली शराब बनाने का काम करते रहे थे।
नकली बोतलें व सामान आसानी से मिल जाते हैं
खैर क्षेत्र में नकली शराब का कारोबार पनपने का प्रमुख कारण नोएडा व दिल्ली से नजदीक होना है। वहां से नकली बोतलें, ढक्कन, लेबल आदि आसानी से मिल जाते हैं। शराब माफिया नकली शराब बनाकर बोलतों भरकर बेचते हैैं। खैर, अंडला, करसुआ, पचपेड़ा, भगवान गढ़ी, जरारा क्षेत्र में यह कारोबार खूब चलता है। गांवों के ट्यूबवेल व कुछ फार्म हाउसों में भी यह अवैध धंधा होता है। पौवा व बोतले एकदम हुबहू असली की तरह होती हैं। तमाम लोगों को नकली शराब होने का अंदाजा भी नहीं लगता है।गैस बाटलिंग प्लांट पर ग्राहक आसानी से मिल जाते हैं।
परचून की दुकानों पर भी बिक्री
खैर, गोमत, पिसावा, चंडौस आदि क्षेत्रों में परचून की दुकान पर आसानी से शराब मिल जाती है। अवैध कारोबारी प्रतिदिन सुबह परचून की दुकानों पर नकली देसी शराब दे जाते हैं। दुकानदार को प्रति बोतल पर 15 से 20 रुपये फायदा हो जाता है, इसलिए वो भी आसानी से रख लेता है।
सरकारी ठेकों पर भी उतारी जाती हैं पेटियां
कारोबारियों की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि उन्होंने सरकारी ठेकों से भी सांठगांठ कर रखी है। नकली शराब की पेटियां लाकर सरकारी ठेकों पर ही बेच देते हैं। ठेकेदारों को भी 15 से 20 रुपये प्रति पौवा का फायदा हो जाता है। ग्राहक को पता भी नहीं चलता है कि खरीदी गई शराब असली है या नकली।