Move to Jagran APP

खैर विधानसभा उपचुनाव: 2002 में कांग्रेस ने जीत चखी, भाजपा फिर चाहेगी कमल खिलाना; BSP और सपा-कांग्रेस भी हैं बेकरार

खैर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में हैं। पार्टी इस जाट बाहुल्य सीट को फिर से जीतना चाहेगी। भाजपा विधायक अनूप प्रधान के हाथरस सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी। भाजपा के लिए अच्छी बात यह भी है कि इस जाट बाहुल्य क्षेत्र में इस बार रालोद भी साथ में हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 16 Oct 2024 10:45 AM (IST)
Hero Image
UP News: खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर का उपयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। विधानसभा क्षेत्र से 2022 में भाजपा प्रत्याशी अनूप प्रधान ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी। उप चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा नेता ताकत झोंके हुए हैं। अगस्त में सीएम सभा कर चुके हैं। दावेदारों की संख्या यूं तो पचास से अधिक है, लेकिन जिलाध्यक्ष की ओर से 20 दावेदारों के नाम प्रदेश मुख्यालय भेजे गए हैं। इनमें पूर्व सांसद किशनलाल दिलेर के नाती सुरेंद्र उर्फ दीपक भी दावेदार हैं। उनके राजवीर सिंह दिलेर हाथरस के सांसद थे। उनकी टिकट काटकर ही पार्टी ने अनूप को प्रत्याशी बनाया गया था।

लोकसभा चुनाव में लगा था विधानसभा क्षेत्र से झटका

लोकसभा चुनाव में भाजपा को खैर विधानसभा क्षेत्र में झटका लगा था। पार्टी प्रत्याशी सतीश गौतम को सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी चौ. बिजेंद्र सिंह से 1401 वोट कम मिले थे। भाजपा को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव की तरह जीत की उम्मीद थी। तब भाजपा प्रत्याशी अनूप प्रधान 74341 मतों से जीते थे।

जिलाध्यक्ष कृष्णपाल सिंह का कहना है कि दावेदारों की बड़ी लिस्ट है। दिल्ली, मुंबई, लखमीपुरखीरी तक कार्यकर्ताओं ने आवेदन किया है। पार्टी स्थानीय कार्यकर्ता को ही प्रत्याशी बनाएगी। पूरी पार्टी एक जुट है। किसी तरह की मनभेद नही है। पार्टी जिसे प्रत्याशी बनाएगी उसी को लड़ाया जाएगा। भाजपा फिर से जीत दर्ज करेगी। सपा और कांग्रेस पिछले चुनाव में भी साथे थे, इससे कोई फक्र नहीं पड़ने वाला। रालोद और भाजपा मिलकर जीत दर्ज करेगी।

Read Also: UP By Election: तेज प्रताप सिंह सपा का किला बचाएंगे या भाजपा लगाएगी सेंध, देखिए क्या कहते हैं करहल विधानसभा के समीकरण ?

कांग्रेस ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंपी चुनाव की कमान

खैर विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतरी है। उप चुनाव की कमान पूर्ण रूप से पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंप दी गई है, जिनकी गिनती कभी बसपा के कद्दावर नेताओं में होती थी। उन्होंने बूथों को मजबूत कराया है। प्रत्येक बूथ पर पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। एक-एक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) अलग से बनाया है।

बूथ पर नियुक्त पदाधिकारी मतदाताओं को जागरूक करेंगे। एक-एक मतदाता को मतदान केंद्र तक पहुंचाएंगे। बूथ स्तर पर होने वाली प्रत्येक गतिविधि पर नजर रकने की जिम्मेदारी भी इन्हीं की होगी। मतदान वाले दिन बस्ता नहीं लगा तो यही सदस्य मतदाता सूची के साथ मतदान केंद्र स्थल के पास रहेंगे। जनपद में कांग्रेस अरसे से वनवास काट रही है।

Read Also: Sharad Purnima 2024: ठाकुर बांकेबिहारी ने श्वेत पोशाक संग धारण की मुरली, मंदिर में दर्शन का समय बदला

आखिरी बार 2002 में जीती थी कांग्रेस

2002 में शहर सीट से अंतिम बार विवेक बंसल व 2004 में चौ. बिजेंद्र सिंह ही निर्वाचित हुए। इसके बाद से कांग्रेस कोई चुनाव नहीं जीता। विधानसभा चुनाव में बहुत बुरी हालत रही। सभी सीटों पर प्रत्याशियों की जमानत बचना तो दूर, सम्मानजनक मत तक नहीं मिल सके। खैर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो 1985 के बाद से कोई चुनाव कांग्रेस जीत नहीं सकी। खोया जनाधार वापस पाने में कांग्रेस पूरी तरह विफल रही। इस बार कांग्रेस ने उप चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया। नसीमुद्दीन सिद्दीकी लगभग एक माह से जनपद में डेरा डाले हुए हैं। लगातार संगठन के नेताओं से मिलकर चुनावी रणनीति तैयार कर रहें। उनके निर्देशन में हर बूथ पर कमेटियां बनाई गईं। 398 बीएलए की सूची हाईकमान को भेजी जा चुकी है। खैर सम्मेलन में तो पहली बार गुटों में बंटे कांग्रेसी एक मंच साझा करते दिखाई दिए।

22 से अ​धिक मिले आवेदन

जिलाध्यक्ष ठा. सोमवीर सिंह ने बताया कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को 22 से अधिक आवेदन मिले हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने दावेदारों की क्षमता का आकलन करने के लिए आठ अक्टूबर को खैर में हुए संविधान बचाओ संकल्प सम्मेलन में भीड़ जुटाने का जिम्मा सौंपा। किस प्रत्याशी ने कितनी भीड़ जुटाई, इसका विवरण लेकर हाईकमान को भेज दिया है। सात अन्य जनपदों के अनुभवी कांग्रेसियों की ड्यूटी खैर में लगाई गई है, शीघ्र ही वे यहां आ जाएंगे। इस बार कांग्रेस ही जीत हासिल करेगी।

खैर सीट पर सपा भी ठोंक रही ताल

खैर विधानसभा सीट पर सपा भी ताल ठोंक रही है। पार्टी से 21 कार्यकर्ताओं ने दावेदारी की है। कई ने स्थानीय स्तर पर तो कुछ ने लखनऊ जाकर पार्टी नेतृत्व को जीत का भरोसा दिलाया है। मंगलवार को उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद पार्टी में हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनावों में इस सीट पर सपा अपना खाता नहीं खोल सकी। 2022 के चुनाव में गठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव लड़ाया गया था। कांग्रेस से इस बार भी गठबंधन है। स्थानीय कांग्रेस नेता इस सीट से पार्टी के ही प्रत्याशी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं।

सपा के ये हैं दावेदार

पिछले दिनों हुई बैठक में इसके लिए पुरजोर दावा किया गया था। वरिष्ठ नेता भी इसी पक्ष में हैं। इधर, सपा भी तैयारी कर रही है। सपा से दावेदारों में धारा सिंह सूर्यवंशी, प्रशांत वाल्मीकि, पप्पू प्रधान, चारु कैन, पूजा गौतम, प्रेम सिंह माहौर, कृष्णा देवी, रामकुमार, राजकुमार वाल्मीकि आदि हैं। जिलाध्यक्ष लक्ष्मी धनगर ने बताया कि गठबंधन से खैर सीट पर किस पार्टी का प्रत्याशी होगा, यह पार्टी नेतृत्व द्वारा तय किया जाएगा। हमारी तैयारी पूरी है। बूथ स्तर तक पार्टी के कार्यकर्ता जनसंपर्क में जुटे हैं। मजबूती के साथ चुनाव लड़ा जाएगा।

गैर जाटव चेहरे पर भरोसा, आठ नाम भेजे लखनऊ

खैर विधानसभा के उपचुनाव के लिए बसपा के पदाधिकारी जोर-शोर से कमर कसे हुए हैं। आचार संहिता लागू होने के बाद टिकट को लेकर मंत्रणा व विमर्श का दौर दिनभर चलता रहा। बसपा जिलाध्यक्ष मोरध्वज कुशवाहा ने बताया कि मंगलवार को भी वे खैर, जट्टारी आदि क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के साथ जनता के बीच गए थे। टिकट के लिए आठ लोगों के नाम की सूची लखनऊ भेज दी गई है। कहा कि बसपा पूरी दमखम से चुनाव लड़ेगी। स्थानीय स्तर पर पार्टी व समाज के वोट को देखते हुए गैर जाटव उम्मीदवार लाने के पक्ष में सभी की सहमति है। मगर अंतिम निर्णय बसपा सुप्रीमो मायावती की ओर से किया जाएगा। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।