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गिलहराज के रुप में विराजमान हैं कलियुग के भगवान हनुमानजी, अनुपम है दर्शन Aligarh news

धार्मिक और एतिहासिक तमाम कहानी-कथाओं को अलीगढ़ समेटे हुए है। यहां महाभारत कालीन तमाम तथ्य मिलते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण के भी पांव पड़ चुके हैं। शहर के मध्य अचल सरोवर पौराणिक कथाओं को कहता है। यहीं पर सिद्धपीठ श्री गिलहराज मंदिर है।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Mon, 26 Apr 2021 12:16 PM (IST)
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अलीगढ़़ का सिद्धपीठ श्री गिलहराज मंदिर, जो आस्‍था का केंद्र है।
अलीगढ़, जेएनएन । धार्मिक और एतिहासिक तमाम कहानी-कथाओं को अलीगढ़ समेटे हुए है। यहां महाभारत कालीन तमाम तथ्य मिलते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण के भी पांव पड़ चुके हैं। शहर के मध्य अचल सरोवर पौराणिक कथाओं को कहता है। यहीं पर सिद्धपीठ श्री गिलहराज मंदिर है। मंदिर में हुनमानजी गिलहरी के रुप में विराजमान हैं। नाथ संप्रदाय से जुड़े इस मंदिर की महिमा अनुपम है। एक बार जो भी श्री गिलहराज बाबा के शरण में आ जाता है, उसका जीवन संवर जाता है। बाबा के आशीर्वाद से उसकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। इसलिए यहां मंगलवार और शनिवार को आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। स्थिति यह हो जाती है कि भक्तों को दर्शन करने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। लंबी कतार लग जाती है। इंटरनेट मीडिया के माध्यम से अप्रवासी भारतीय भी जुड़े हुए हैं, जो बाबा के अनन्य भक्त हैं। जब भी उन्हें भारत आने का मौका मिलता है तो बाबा के दरबार में जरूर आते हैं। 

मंदिर के घाट पर आरती देखते बनती है

सिद्धपीठ श्री गिलहराज मंदिर के महंत योगी कौशलनाथ 14 वर्ष से पीठाधीश्वर हैं। उनके कार्यकाल में मंदिर उत्तरोत्तर बढ़ता चला गया। मंदिर में तमाम ऐसे कार्य कराए गए जो मंदिर की भव्यता काे प्रदर्शित करते हैं। मंदिर का पुनिर्माण कराया गया, जिससे यह विशाल परिसर में फैला हुआ है। नीचे विशाल हाल है तो ऊपर भी बड़ा हाल बनवाया गया है। नीचे श्री गिलहराज महाराज विराजमान हैं। मंदिर परिसर में प्रभु श्रीराम, खाटू श्याम, भगवान भोलेनाथ, मां दुर्गा, गणेश भगवान की प्रतिमाएं विराजमान हैं। नाथ संप्रदाय के संतों की समाधि स्थल भी बनी हुई है, जो आस्था और धार्मिकता को बढ़ावा देती है। मंदिर से सटे घाट बनाए गए हैं, जहां की आरती देखते ही बनती है। 

धार्मिक उल्लास से मनाएंगे हनुमान जयंती 

श्री गिलहराज मंदिर में धार्मिक उल्लास के साथ हनुमान जयंती मनाई जाएगी। महंत योगी कौशलनाथ ने बताया कि 25 अप्रैल से अखंड रामायण पाठ की शुरुआत होगी। इसी के साथ कार्यक्रम की श्रृंखला शुरू हो जाएगी। सुबह नौ बजे से कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। 25 अप्रैल को रामायण के बाद पूर्णाहुति होगी। इसके बाद दाेपहर 12 बजे से प्रसाद वितरण होगा। 26 अप्रैल को भजन संध्या शाम पांच बजे से होगी। 27 अप्रैल को भव्य फूल बंगला सजाया जाएगा। प्रसाद वितरण, भव्य श्रृंगार दर्शन, शाम चार बजे छप्पन भोग, रात नौ बजे महाआरती का आयोजन होगा। 28 अप्रैल को सर्व दुख निवारण महायज्ञ होगा। दोपहर 12 बजे से यज्ञ की शुरुआत हो जाएगी। महंत योगी कौशलनाथ ने बताया कि सभी कार्यक्रम कोरोना के नियमों का पालन करते हुए होगा। भक्तों से भी निवेदन किया कि वह भी कार्यक्रम में निमयों का विशेष ध्यान दें। 

बाबा का बरसता है आशीर्वाद 

महंत योगी कौशलनाथ ने बताया कि गिलहरी के रुप में विराजमान बाबा का आशीर्वाद भक्तों पर खूब बरसता है। एक बार भी जिसने मन से मनौती मांग ली तो बाबा उसे जरूर पूरा करते हैं। मैंने 14 वर्षों में तमाम भक्तों के जीवन में परिवर्तन देखें हैं। खाली हाथ आए थे, मगर बाबा की कृपा हुई तो उनका जीवन संवर गया। अब वह बाबा के अनन्य भक्त हो गए। योगी कौशलनाथ ने बताया कि अलीगढ़ में नाथ संप्रदाय का सबसे प्राचीन मंदिर है। मंदिर का जुड़ाव गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ से हैं। हम सबके संरक्षक सीएम और गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं। जिनका आशीर्वाद सभी को मिलता रहता है। मंदिर में जापान, इंग्लैंड, सिंगापुर, अमेरिका, जर्मनी आदि देशों में रह रहे अप्रवासी भारतीय भी जब देश लौटते हैं तो बाबा के दर्शन करने जरूर आते हैं।

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