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सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन में निकले विष को भगवान शिव ने उतार लिया था अपने कंठ में Aligarh news

पंडित मुकेश शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन किया गया था और उस मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शंकर ने अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Mon, 09 Aug 2021 12:14 PM (IST)
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हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठे शिवालय।
अलीगढ़, जेएनएन । सावन माह के तीसरे सोमवार को इगलास क्षेत्र के शिव मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ रहा है। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में ही इगलास कस्बा के बनखंडी महादेव मंदिर, बेसवां के बनखंडी महादेव मंदिर, रुद्रेश्वर मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, धरणेश्वर मंदिर, गोरई के बनखंडी महादेव मंदिर, सहारा खुर्द के कार्तिकेय द्वारा स्थापित शिव मंदिर समेत अन्य मंदिरों में पूजन-अर्चन व जलाभिषेक के लिए कतारें लग गईं। भीड़ इतनी थी कि पूजा-अर्चना के लिए लोगों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। इस दौरान पूरे दिन शिव मंदिर हर-हर महादेव के जयघोष गूंजत रहे। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, धतूरा, भांग, चंदन, जल और दूध से भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की। मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासनिक अमला चौकस रहा।

श्रावण मास में ही समुद्र मंथन किया गया था

पंडित मुकेश शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथाओं के अनुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन किया गया था और उस मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शंकर ने अपने कंठ में उतारकर संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की थी। विष पीने के बाद भगवान शिव का कंठ एकदम नीला पड़ गया था। विष की उष्णता को शांत करने के लिए देवी देवताओं ने उन्हें जल अर्पण किया था, इसलिए शिव पूजा में जल का विशेष महत्व है। वैसे तो भगवान शिव स्वयं जल हैं।

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