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Lok Sabha Election: इस तारीख को मायावती करेंगी उम्मीदवारों का एलान, बसपा प्रत्याशियों पर कांग्रेस-सपा और BJP की भी नजर

Lok Sabha Election UP Politics लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में गर्माहट है। बैठकों से लेकर होर्डिंग तक की तैयारी नजर आ रही हैं। बसपा शांत है। पार्टी के नेता कैडर वोट को साधने में लगे हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती के किसी गठबंधन में शामिल न होने के एलान के बाद संगठन को मजबूत करने पर काम चल रहा है। प्रत्याशी को लेकर कवायद चल रही है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 05 Mar 2024 03:22 PM (IST)
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इस तारीख को मायावती करेंगी उम्मीदवारों का एलान, बसपा प्रत्याशियों पर कांग्रेस-सपा और BJP की भी नजर
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में गर्माहट है। बैठकों से लेकर होर्डिंग तक की तैयारी नजर आ रही हैं। बसपा शांत है। पार्टी के नेता कैडर वोट को साधने में लगे हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती के किसी गठबंधन में शामिल न होने के एलान के बाद संगठन को मजबूत करने पर काम चल रहा है। प्रत्याशी को लेकर कवायद चल रही है।

दावेदारों की परख कर रिपोर्ट मायावती को भेजी जा रही है। 15 मार्च को पार्टी संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन पर प्रत्याशियों के नाम घोषित करने की योजना है। टिकट किसे मिलेगी? यह चिंता बसपा के दावेदारों को ही नहीं भाजपा, सपा व कांग्रेस को भी है। वजह साफ है। गठन के बाद से ही बसपा मुकाबले में रही है। कभी तीसरे तो कभी दूसरे नंबर पर।

भाजपा और बसपा में था कड़ा मुकाबला

अब तक बने 17 सांसदों में से एक बसपा का रहा है। पिछले चुनाव में भी मुकाबला भाजपा व बसपा में रहा था। पिछले चुनाव में बसपा का सपा से गठबंधन था। अजीत बालियान प्रत्याशी थे। इन्हें 36.68 प्रतिशत वोट मिले। जीत भाजपा के सतीश गौतम की हुई थी।

2014 के चुनाव में भी बसपा से भाजपा का मुकाबला रहा था। बसपा से डा. अरविंद सिंह प्रत्याशी थे। इन्हें 21.40 प्रतिशत वोट मिले। जीत भाजपा के सतीश गौतम की हुई।

1984 में हुआ था बसपा का गठन

जिलाध्यक्ष मुकेश चंद्रा ने बताया कि 1984 में कांशीराम ने बसपा का गठन किया। 1985 में साहब सिंह बघेल पहले जिलाध्यक्ष बने। 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद चुनाव हुए। बसपा ने बिना सिंबल के प्रत्याशी उतारे थे। 1989 में हाथी चुनाव चिह्न आवंटित हो गया, तब यूपी में 13 एमएलए और देश में तीन एमपी बसपा के जीते थे।

पहले ही चुनाव में पार्टी को 7.76 प्रतिशत वोट मिले थे। 1991 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। मगर वह चौथे स्थान पर रहे। 1996 में बसपा के अब्दुल खालिद दूसरे स्थान पर जरूर रहे लेकिन, वोट प्रतिशत 28.40 हो गया। यह पिछले चुनावों के मुकाबले पार्टी का सर्वाधिक वोट प्रतिशत था।

1998 में पार्टी प्रत्याशी चंद्रपाल सिंह तीसरे स्थान पर रहे और 1999 के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी साहब सिंह बघेल (भैयाजी) दूसरे स्थान पर रहे। इन चारों चुनावों में भाजपा की शीला गौतम को जीत हासिल हुई थी।

वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस के बिजेंद्र सिंह जीते और तीसरे नंबर पर बसपा के जयवीर सिंह रहे। वर्ष 2009 के चुनाव में बसपा ने पहली बार जीत हासिल की। राजकुमारी चौहान सांसद बनीं। सपा दूसरे और भाजपा तीसरे स्थान पर रही।

दावेदारों की परख कर मायावती के पास रिपोर्ट भेज रहे पार्टी नेता

भाजपा की चाल का इंतजार जिलाध्यक्ष ने बताया कि स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी की घोषणा के बारे में विचार भाजपा के एलान के बाद किया जाएगा। जिस वर्ग या समाज की ओर से दावेदारी होगी, उसके हिसाब से ही कदम उठाया जाएगा। हर वर्ग बसपा के साथ है, सभी के नाम व व्यक्तित्व की रिपोर्ट लखनऊ भेजी जा चुकी है। बसपा दमदारी से चुनाव में उतरेगी।

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