Inspirational Story: मिलिए नितिन घुट्टी से, कोरोना में गंवाया एक फेफड़ा; सिंगल लंग से कर आए हिमालय की सैर
Nitin Ghutti अगर आपमें कुछ करने का जज्बा है तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। हम हर रोज कई ऐसी कहानियां सुनते पढ़ते हैं जो हमें प्रेरणा देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है अलीगढ़ के नितिन घुट्टी की। कोरोना में अपना एक फेफड़ा गंवा चुके नितिन ने अपने सपने को पूरा कर लिया है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 28 Jun 2023 12:39 PM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो, दुनिया की कोई भी ताकत आपको मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। अपने जीवन में कुछ अलग करने की चाह हर कोई रखता है और ऐसे ही एक ख्वाहिश थी नितिन घुट्टी की। नितिन की चाह तो बड़ी थी, लेकिन कोरोना महामारी ने उनके शरीर एक एक अंग को ही खराब कर दिया। कोई और होता तो शायद हार मानकर बैठ जाता, लेकिन नितिन घुट्टी ने कभी हारना नहीं सीखा था।
ये कहानी है अलीगढ़ के प्रमुख कारोबारी नितिन घुट्टी की। कोरोना काल में नितिन अपना एक फेफड़ा गंवा चुके हैं। इस महामारी ने उनके जीवन को कष्टदायक बना दिया, लेकिन उन्होंने इस कष्ट के आगे अपने घुटने नहीं टेके। नितिन ने अपने एक फेफड़े पर ही हिमालय की उन चोटियों की सैर कर ली है, जहां दोनों फेफड़ों और स्वस्थ इंसान को ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जाना पड़ता है।
तो आईए जानते है नितिन की इस प्रेरणादायक कहानी के बारे में...
बाइक से ऐसा रहा 2400 किलोमीटर का सफर
यह रोमांच का सफर था, मगर खतरनाक। बाइक पर 2400 किलोमीटर का सफर आसान नहीं था। कहीं ऊबड़-खाबड़ रास्ते थे तो कहीं पथरीली जमीन पर बहती नदी को बाइक से ही पार करना था। जरा सी चूक अनहोनी का कारण बन सकती थी है। मगर कहते हैं कि जज्बा व जुनून हो तो कोई बाधा रोक नहीं सकती। यह बात शहर के प्रमुख कारोबारी नितिन घुट्टी ने फिर सिद्ध कर दिखाई। बाइक राइडर नितिन घुट्टी मंगलवार रात 10 दिन बाद लाहौल स्पीति व भारत-तिब्बत सीमा के चितकुल दर्रा व शिमला के चैल तक की यात्रा कर लौटे तो भव्य स्वागत हुआ।
कठिनाइयों के बीच जारी रहा सफर
‘112 साल की बुढ़िया की घुट्टी’ के निदेशक नितिन घुट्टी ने 18 मई को अलीगढ़ से सफर तय किया। इस बार वह 16 हजार फीट ऊंचाई तक गए। 150 किलोमीटर लंबा 8500 फीट ऊंचाई पर स्थित किल्लार-किस्तवार मार्ग तय किया। 14 हजार 100 फीट की ऊंचाई पर स्थित पर्वतमाला सच पास पहुंचे। यहां का तापमान माइनस आठ डिग्री तक था। चंद्रताल लेक पहुंचे। तासगेंग में विश्व का सबसे ऊंचा (15 हजार 256 फीट) मतदान केंद्र है। नितिन ने वहां जाकर भी लोगों को अपने जीवन में कभी हार न मानने की प्रेरणा दी है।सांस लेने में हुई परेशानी, लेकिन हिम्मत नहीं हारी
50 वर्षीय नितिन ने कहा कि कोरोना काल में एक फेफड़ा गंवाने के कारण सांस लेने में परेशानी हुई। मंगलवार रात करीब साढ़े आठ बजे नितिन वार्ष्णेय मंदिर पहुंचे। ये पूरा सफर उनके लिए आसान नहीं रहा। एक ही फेफड़ा होने की कारण उनको सांस लेने में काफी परेशानी हुई। अपनी यात्रा पूरी करके नितिन जब लौटे तो सबने उन्हें गर्व से गले लगा लिया।
यहां उनके पिता जगदीश प्रसाद गुप्ता, राजरानी गुप्ता, पत्नी मोहिनी गुप्ता, पुत्र पुलकित गुप्ता व पुत्रवधू प्रियंगा गुप्ता, पुत्र भव्य गुप्ता, भाई लव कुमार व नमृता गुप्ता, वेदांत, ससुर नवीन गुप्ता बेलौन वाले, सास उमा गुप्ता के अलावा भुवनेश आधुनिक, आकाशदीप, राधेलाल स्कैप, सुमित गोटेवाल, गौरव गुप्ता ब्रास, लगी गुप्ता, संजीव वैभव, संदीप नक्षत्र आदि उपस्थित रहे।
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