Aligarh: गोद ली बेटी से दुष्कर्म करने वाले को मिली 41 दिन में 20 वर्ष कारावास की सजा, 50 हजार का जुर्माना भी
Aligarh News क्वार्सी क्षेत्र का मामला 20 वर्ष कारावास व 50 हजार जुर्माना भी अदालत ने लगाया। पुलिस की लापरवाही भी इस केस में सामने आई थी। मुकदमा लिखने के लिए कई दिन पीड़िता को टरकाया गया था।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Tue, 16 May 2023 07:54 AM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। एडीजे (पाक्सो अधिनियम) सुरेंद्र मोहन सहाय की अदालत ने गोद ली हुई बेटी से दुष्कर्म करने वाले पिता को 20 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। करीब छह माह पुरानी घटना में चार अप्रैल को आरोप तय हुए थे। 41 दिन में अदालत ने निर्णय सुनाया है।
आठ वर्ष पहले बच्ची को साथ ले आया था
विशेष लोक अभियोजक महेश सिंह ने बताया कि जवां क्षेत्र के बहादुरपुर कोटा निवासी समाजसेवी ने 27 अक्टूबर 2022 को मुकदमा कराया था। कहा था कि क्वार्सी क्षेत्र में रहने वाला पप्पू उर्फ मोहम्मद हसन करीब आठ वर्ष पहले एक भट्ठे से तीन साल की बच्ची को अपने साथ ले आया था। इसके बाद उसका नाम बदलकर गोद ले लिया था। एक वर्ष से पप्पू 10 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न कर रहा था। 25 अक्टूबर को पप्पू को उसकी पुत्रवधू ने बालिका के साथ दुष्कर्म करते देख लिया था।
अदालत ने दोषी दिया करार
पुलिस ने पप्पू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। यह पत्रावली शासन की ओर से जल्द निस्तारण के लिए चिह्नित की गई थी। ऐसे में आरोप तय होने के बाद 15 तारीखें लगीं। सोमवार को अदालत ने पप्पू को दोषी करार देते हुए निर्णय सुनाया है।कानपुर नारी निकेतन में रह रही है किशोरी
पप्पू हसन पर पहले से दो बेटे और दो बेटियां हैं। वादी का कहना है पप्पू ने हिंदू बच्ची को गोद लेकर उसका नाम बदला और साथ रख लिया। फिर उसका शोषण किया। लेकिन, लिखित में यह बात नहीं कही गई। घटना के बाद किशोरी का कोई देखभाल करने वाला नहीं था तो उसे कानपुर के नारी निकेतन में भेज दिया गया। किशोरी वर्तमान में वहीं रह रही है।
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- 03 फरवरी को आरोप पत्र दाखिल हुआ
- 04 अप्रैल को आरोप तय हुए।
- 10 अप्रैल को पहली गवाही वादी की हुई।
- 20 अप्रैल को पीड़िता की गवाही हुई।
- 25 अप्रैल को विवेचक रामब्रेश की गवाही कराई गई।
- 03 मई को किशोरी का मेडिकल करने वाली महिला डाक्टर के बयान हुए।
- 05 मई को एफआइआर लेखक अनिल कुमार की गवाही हुई।
- 06 मई को बचाव पक्ष के बयान हुए।
- 09 मई को बहस की प्रक्रिया हुई।
- 15 मई को निर्णय सुनाया गया।