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जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चे भी बोलेंगे और सुनेंगे, ऐसे मिलेगी सरकारी सुविधा

गरीब परिवारों के जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चे भी अब खिलखिला सकेंगे। ऐसे बच्चों की दिल्ली के एम्स समेत कई बड़े निजी अस्पतालों में मुफ्त कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी हो पाएगी।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Updated: Wed, 26 Dec 2018 06:10 PM (IST)
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जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चे भी बोलेंगे और सुनेंगे, ऐसे मिलेगी सरकारी सुविधा
अलीगढ़ (विनोद भारती)। गरीब परिवारों के जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चे भी अब खिलखिला सकेंगे। ऐसे बच्चों की दिल्ली के एम्स समेत कई बड़े निजी अस्पतालों में मुफ्त कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी हो पाएगी। केंद्रीय दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने इसके लिए अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक व श्रवण दिव्यांगजन संस्थान से राष्ट्रीय स्तर पर अनुबंध किया है। जिले के पांच बच्चों की सर्जरी हो भी चुकी है। उन्हें जिला अस्पताल में स्पीच थेरेपी दी जा रही है।

देश में 40 लाख मूक-बधिर

एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 40 लाख मूक-बधिर हैं। तमाम बच्चों में यह बीमार जन्मजात होती है। ऐसे बच्चों का इलाज कॉकलियर इंप्लांट सर्जरी है। यह सुविधा देश के चुनिंदा अस्पतालों में है। सात-आठ लाख रुपये खर्च होने की वजह से गरीब लोग इन अस्पतालों में बच्चों का इलाज नहीं करा पाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इन विकृतियों की वजह सुनने-बोलने वाली नसों की क्षमता में कमी होना होता है।

केंद्र सरकार गंभीर

जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चों के इलाज को लेकर गंभीर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर मुंबई स्थित अली यावर जंग राष्ट्रीय वाक व श्रवण दिव्यांगजन संस्थान से अनुबंध किया है। संस्थान ने दिल्ली के एम्स समेत कई बड़े चिकित्सा संस्थानों से एमओ पर हस्ताक्षर किए हैं।

मिलेगा मुफ्त इलाज

तीन साल के ऐसे बच्चों की पहले जिला अस्पताल के ईएनटी सर्जन जांच करेंगे। कॉकलियर इंप्लांट की जरूरत होने पर सर्जन सीएमओ कार्यालय को बताएंगे। यहां से प्रस्ताव संस्थान को भेजा जाएगा। संस्थान के कर्मचारी नजदीकी अस्पताल से संपर्क करेंगे। बच्चे को भर्ती करने व सर्जरी की डेट मांगेंगे। डेट मिलते ही सीएमओ कार्यालय को पत्र भेजकर बच्चे को बुलाया जाएगा। बीपीएल या 18 हजार मासिक आमदनी वाले परिवारों के बच्चों को ही योजना का लाभ मिलेगा।

यह है कॉकलियर इंप्लांट

इस पद्धति में सर्जरी से एक यंत्र दिव्यांग बच्चे के कान के पीछे वाले भाग में स्थापित किया जाता है। तीन-चार सप्ताह बाद स्विच ऑफ  करते ही बच्चे को सुनाई देने लगता है। इसके आगे की प्रक्रिया वॉयस रिहेबिलिटेशन के लिए प्रशिक्षित ऑडियोलॉजिस्ट व स्पीच थेरेपिस्ट की जरूरत होती है। करीब छह माह बाद बच्चा बोलना शुरू कर देता है।

मुफ्त है सुविधा

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि जन्मजात गूंगे-बहरे बच्चों की मुख्य कॉकलियर सर्जरी के लिए अभिभावक जिला अस्पताल के ईएनटी विभाग या सीएमओ कार्यालय में संपर्क करें। संस्थान ने दिल्ली, नोएडा व गाजियाबाद समेत देशभर में ऐसी सर्जरी करने वाले चिकित्सा संस्थानों से समझौता किया है। सर्जरी बिल्कुल मुफ्त है।

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