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Death anniversary of Mahakavi Gopal Das Neeraj : अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई

Death anniversary of Mahakavi Gopal Das Neeraj जब प्रेम और सौंदर्य की बात हो तो गोपाल दास नीरज का अक्‍स सामने आ ही जाता है। आज ही के दिन 19 जुलाई 2018 को वो स्‍वर्गलोक को सिधार गए।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Tue, 19 Jul 2022 09:16 AM (IST)
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Death anniversary of : आज ही के दिन 2018 में महाकवि गोपास दास नीरज का निधन हुआ था।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। जब भी सावन की बात होगी, नीरज जरूर याद आएंगे। किसी पंक्ति में बहार की तरह छा जाने का जोश भरते तो किसी गीत से प्रेम की बरसात करते। Mahakavi Gopal Das Neeraj ने अपने गीतों में सावन को इस कदर शामिल किया कि उनकी सदैव गुनगुनाई जाने वाली लाइनें मैसेज तक में संदेश देती नजर आती है। वे सावन पर इतराते थे तो उन्हें शिकायत भी रही। उनके गीतों के अर्थ भले सहजभाव में कुछ भी रहते हों, लेकिन खुद के जीवन को शब्दों में बयांकर गीत गाते -अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई।

गोपाल दास नीरज,

प्रेम व सौंदर्य की बात हो तो नीरज का अक्‍स आता है सामने

सावन की शरारत और बेरुखी को बयां करती इन पंक्तियों को शायद ही भुलाया जा सके। कविता में जब भी प्रेम और सौंदर्य की बात होगी, नीरज का अक्स सामने आ जाता हैं। कभी शोखियों में शबाब घोला तो कभी फूलों के रंग से दिल की बातें कहीं। महीना सावन का है तो नीरज की कई रचनाएं स्मृतियों के आइनें से झांकने लगती हैं, जिनके जरिए उन्होंने बादलों से भी प्रेम की फौहारें बरसाईं। काव्य मंच ही नहीं, फिल्मों गीतों में सावन और बदलियों की जुगलबंदी के जरिए प्रेम को नया स्वरूप दिया। ‘जब चले जाएंगे हम लौटके सावन की तरह, याद आएंगे प्रथम प्यार के चुंबन की तरह।’ यह रचना उनके काव्य संग्रह ‘बादलों से सलाम लेता हूं’ से है। एक और काव्य संग्रह-‘बादर बरस गयो’ में वे लिखते हैं-गीली उमर बनाने वालों, डूबे बिना नहाने वालों, कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता।

चार पीढ़ियों पर जादू

Senior Writer Dr. Prem Kumar कहते हैं कि नीरज के जाने के बाद तो यहां की धरती सूखाग्रस्त है। मंच, साहित्य व फिल्म योगदान को लोग बहुत बाद में समझेंगे। नीरज कोई एक दिन में नहीं बन जाता। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से हो जाता है कि चार पीढ़ियों पर उनका जादू सिर चढ़कर बोलता है।

गीतऋषियों में रहेगा नाम शुमार नीरज का

Veteran poet-satirist Ashok Anjum ने बताया कि 1987 में पहली बार एक कवि सम्मेलन में नीरज का सानिध्य मिला। ‘भानुमति का पिटारा’ समेत मेरी सात-आठ पुस्तकें उनके द्वारा लोकार्पित हुईं। कौन छू पाएगा जो है वक़ार नीरज का, कोई सानी नहीं है गीतकार नीरज का, जब तलक सृष्टि है तब तक ही गीत महकेंगे, गीतऋषियों में रहेगा नाम शुमार नीरज का।

नहीं सहेज पाए नीरज की स्मृतियां

महाकवि नीरज जनकपुरी स्थित आवास में अंतिम समय तक रहे। इसे संग्रहालय व स्मारक बनाने की बातें हुईं, जिसमें उनकी पुस्तकें व अन्य वस्तुओं को रखा जाना था। लेकिन ऐसा हुआनहीं। साहित्यिक अकादमी बनाने का वादा भी धुंधला पड़ गया। केवल नुमाइश में उनकी स्मृति में प्रतिमा जरूर हैं। उन्हें 1970, 1971 व 1972 में लगातार फिल्म फेयर अवार्ड मिला। पद्मश्री व पद्मभूषण और साहित्य शिरोमणि सम्मान भी मिला। पूरे देश ने नीरज की प्रतिभा को सराहा, अपने ही शहर में उनकी स्मृतियों को संजोने के लिए कुछ नहीं किया गया।

पूर्व संध्या पर आयोजन

नीरज की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर लोगों ने उन्हें याद किया। सुरेंद्र नगर निवासी डा. सीके आंधीवाल ने कहा कि हिंदी गीत काव्य के आसमान पर वे नक्षत्र की तरह चमकते रहेंगे। उनकी रचनाएं हीउनका परिचय हैं। गायक अनिलवर्मा ने कहा कि उनके लिखे गीत गुनगुनाए।

आज के आयोजन

  • पद्मभूषण डा. गोपाल दास नीरज ट्रस्ट की ओर से नुमाइश गेस्ट हाउस में ‘स्मरण-नीरज 2022’ का आयोजन होगा। इसमें नीरज के काव्य पर चर्चा होगी। मुख्य वक्ता डा. वेद प्रकाश अमिताभ, डा. प्रेम कुमार, प्रो. सगीर अफ्राहीम, प्रो. राजीव शुक्ला, प्रो. आसिम सिद्दीकी, प्रो. अजय विसारिया, प्रो. शंभूनाथ तिवारी, डा. रिहाना शाहीन, अशोक अंजुम, डा.अंजना सिंह सेंगर, डा. विष्णु सक्सेना आदि होंगे। मुख्य अतिथि डीएम इंद्र विक्रम सिंह व उद्घाटनकरता पूर्व डीआइजी गोविंद अग्रवाल रहेंगे।
  • अखिल भारतीय कायस्थ महासभा द्वारा चतुर्थ पुण्यतिथि पर नीरज को नमन एव सम्मान समारोह का आयोजन रामघाट रोड स्थित पराग रेस्टोरेंट में किया जाएगा। इस दौरान नीरज का चित्र बनायो चित्रकला प्रतियोगिता भी होगी। यह जानकारी राज सक्सेना ने दी है।
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