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अलीगढ़ मुस्लिम विवि में धार्मिक इतिहास पढ़ाने पर उठे सवाल, MLC ने PM को लिखा पत्र; राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी धक्का

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू ) के धार्मिक इतिहास पढ़ाने पर एमएलसी डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। एमएलसी ने कहा है कि इससे भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी धक्का लगेगा। मांग की है कि धार्मिक प्रारूप के स्थान पर भारत का गौरवशाली इतिहास राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। AMU केंद्र सरकार से संचालित विश्वविद्यालय हैं।

By Santosh Sharma Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 05 Aug 2024 09:34 PM (IST)
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AMU में धार्मिक इतिहास पढ़ाने पर उठे सवाल (प्रतिकात्मक फोटो)
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू ) के इतिहास विभाग में धार्मिक इतिहास पढ़ाने पर एमएलसी डा. मानवेंद्र प्रताप सिंह ने प्रधानमंत्री से शिकायत की है। कहा है, बीए के चार वर्षीय कोर्स के प्रथम वर्ष के दोनों सेमेस्टर में ऐसे दो विषय शामिल हैं।

इनमें प्रथम सेमेस्टर में प्री- इस्लामिक अरेबिया से पायस खलीफा और द्वितीय सेमेस्टर में उमैयाद का इतिहास (661एडी) से अब्बासीद के इतिहास (833एडी) तक शामिल हैं। एक अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जा रहा है।

भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी धक्का

एमएलसी ने कहा है कि इससे भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को भी धक्का लगेगा। क्योंकि, भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। एएमयू केंद्र सरकार से संचालित विश्वविद्यालय हैं। सिख, जैन, हिन्दू धर्म का इतिहास किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में नहीं पढ़ाया जा रहा है।

पत्र में मांग की है कि धार्मिक प्रारूप के स्थान पर भारत का गौरवशाली इतिहास राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस्लामिक इतिहास पर रोक लगाई जाए।

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इतिहास पढ़ाना चाहिए, धार्मिक इतिहास नहीं। ऐसा तो सेंट्रल यूनिवर्सिटी में नहीं होता। एएमयू को इसे पढ़ाना बंद करना चाहिए। शिक्षा मंत्री को भी शिकायत की प्रति भेजी है।

-डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह, एमएलसी

ये विषय अनिवार्य नहीं हैं। छात्र चाहें तो पढ़ें, नहीं चाहते हैं तो न पढ़ें। एएमयू 50 से अधिक कोर्स हैं। जिन्हें छात्र अपनी पसंद के अनुसार पढ़ते हैं। यह विषय 1980 से है।

-प्रो. हसन इमाम, विभागाध्यक्ष इतिहास विभाग

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