Hathras News: मायावती से जिद कर हाथरस को जिला बनवाकर लौटे थे रामवीर उपाध्याय, ये है दिलचस्प किस्सा
अलीगढ़ के नुमाइश मैदान में मायावती की जनसभा के दौरान हाथरस को जिला बनाने की घोषणा न होने के घटनाक्रम ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। वह बहन जी के साथ ही लखनऊ चले गए और हाथरस को अलग जिले का दर्जा दिलाकर अपनी ताकत का अहसास करा दिया था।
By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 09:26 AM (IST)
हाथरस, हिमांशु गुप्ता। राजनीति के चाणक्य रहे रामवीर उपाध्याय Ramveer Upadhyay ने हाथरस को जिला बनवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। 1 मई 1997 को अलीगढ़ के नुमाइश मैदान में मायावती की जनसभा के दौरान हाथरस को जिला बनाने की घोषणा न होने के घटनाक्रम ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। वह बहन जी के साथ ही लखनऊ चले गए और दो दिन बाद ही हाथरस को अलग जिले का दर्जा दिलाकर अपनी ताकत का अहसास करा दिया था।
रिकार्ड मतों से जीत हासिल की
हाथरस को जिले का दर्जा दिलाने का किस्सा बड़ा दिलचस्प है। इसका श्रेय रामवीर उपाध्याय Ramveer Upadhyay को ही जाता है। भाजपा से बागी होने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़े रामवीर चुनाव हार जरूर गए थे, लेकिन उनके इस निर्णय ने हाथरस की राजनीति को नई दिशा दी थी। वह बसपा में चले गए और जातीय समीकरण के गणित से उन्होंने 1996 में 28855 रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी। पहली बार विधायक बने रामवीर की बात मायावती टालती नहीं थीं। चुनाव में उन्होंने हाथरस को जिला बनवाने का वादा किया था और उसकी पटकथा भी रच दी थी।
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मायावती के साथ हेलीकाप्टर से चले गए Ramveer Upadhyay
Ramveer Upadhyay के करीबी रहे हाथरस के रोहई निवासी गिरीश पचौरी बताते हैं कि 1 मई 1997 को अलीगढ़ के नुमाइश मैदान में मायावती की सभा थी। यहां हाथरस को जिला बनवाने की घोषणा होनी थी। ऐन वक्त पर कुछ ऐसा हुआ, कि बहन जी ने हाथरस को अलग जिला बनाने की घोषणा नहीं की। इससे रामवीर उपाध्याय हिल गए थे। वह बहन जी के साथ हेलीकाप्टर में ही सवार होकर लखनऊ चले गए थे।
यह भी पढ़ें- Ramveer Upadhyay: जिंदगी की जंग हार गए रामवीर उपाध्याय, 14 महीने लड़ी बीमारी से जंगRamveer Upadhyay का अलीगढ़ से हाथरस तक स्वागतरामवीर के ही करीबी रहे जितेंद्र स्वरूप फौजी बताते हैं कि रामवीर ने मायावती से मिलकर कहा कि वह अब क्या चेहरा लेकर अपने क्षेत्र की जनता के बीच जाएंगे? तब रामवीर परिवहन मंत्री थे। रामवीर ने यह तक कह दिया था कि वह जनता को किया वादा नहीं निभा पाए तो ऐसे मंत्री पद का क्या फायदा। रामवीर की बात को मायावती टालती नहीं थीं। उन्होंने Ramveer Upadhyay की बात को माना और दो दिन बाद ही 3 मई 1997 को हाथरस को अलग जिला बनाने की घोषणा कर दी थी। फिर रामवीर उपाध्याय चार्टर प्लेन से लखनऊ से अलीगढ़ की धनीपुर पट्टी पर उतरे थे। उनके साथ जिलाधिकारी राजकुमार भी प्लेन से यहां आए थे। धनीपुर से हाथरस तक उनका जबरदस्त स्वागत किया गया था।
यह भी पढ़ें- Ramveer Upadhyay : रामवीर उपाध्याय पंचतत्व में विलीन, बेटे चिराग ने दी मुखाग्निजिला बनने के बाद बदली हाथरस की कायारामवीर ने हाथरस को अलग जिला बनाने के साथ ही यहां का काया को पलट दिया। अलीगढ़ और मथुरा जिले को काटकर हाथरस को जिला बनाया गया था। वह परिवहन, ऊर्जा समेत अन्य महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। हाथरस में मीतई में बड़ा बिजली घर उन्होंने बनवाया। इतना ही नहीं पूरे जिले में 50 से अधिक विद्युत उपकेंद्र बनवाए। जिले की सड़कों को चमकाया।
दाऊजी मेले को दिलाई पहचानहाथरस के प्राचीन दाऊजी मेले को पहचान दिलाने में भी रामवीर उपाध्याय का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने मेला पंडाल, सीढ़ियां, रिसीवर कैंप समेत कई बड़े कार्य कराए थे। इसके साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के स्वरूप को व्यापक किया था।यह भी पढ़ें- Ramveer Upadhyay: अखर गया रामवीर का यूं जाना, ये है वकालत से मंत्री तक का सफ़रनामा
गांव-गांव से दिल्ली जाती थी बसेंRamveer Upadhyay परिवहन मंत्री थे, जिले की परिवहन व्यवस्था को काफी बेहतर बनाया था। उन्होंने गिरीश पचौरी, आशीष शर्मा, हिलाल अहमद कुरैशी को उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम का डायरेक्टर बनाया था। इसके बाद जिले के रोहई, बामौली, परसारा समेत कई गांवों से दिल्ली के लिए सीधी बस सेवा शुरू कराई थी।
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