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Ramveer Uypadhay की पश्चिमी यूपी में ब्राह्मण नेता के रूप में थी धमक

रामवीर उपाध्याय का खिलखिलाता चेहरा जो भी देखता था मुरीद हो जाता था। रामवीर ने अपने व्यवहार और काम से जनता के नेता के रूप में ऐसी पहचान बनाई कि कुछ सालों में ही राजनीति के शिखर पर छा गए।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Sat, 03 Sep 2022 06:15 AM (IST)
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रामवीर उपाध्याय कुछ सालों में ही राजनीति के शिखर पर छा गए थे।
अलीगढ़, संतोष शर्मा। रामवीर उपाध्याय Ramveer Uypadhay का खिलखिलाता चेहरा जो भी देखता था, मुरीद हो जाता था। रामवीर ने अपने व्यवहार और काम से जनता के नेता के रूप में ऐसी पहचान बनाई कि कुछ सालों में ही राजनीति के शिखर पर छा गए। रामवीर का कार्य क्षेत्र भले ही हाथरस जिला रहा हो, लेकिन उनकी धमक ब्राह्मण नेता के रूप में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में थी। हाथरस के अलावा रामवीर ने अलीगढ़, आगरा, बुलंदशहर, मथुरा, मेरठ, गाजियाबाद में अच्छी पकड़ बना ली थी। जब तक रामवीर बसपा में रहे, कोई भी चुनाव नहीं हारे।

बीमारी के कारण घर पर ही रहे  Ramveer Uypadhay

2022 में सादाबाद से रामवीर ने बसपा छोड़कर भाजपा से चुनाव लड़ा था, इसमें हार सामना करना पड़ा। ये हार Ramveer Uypadhay के बदलते वक्त की भी थी। ये पहला चुनाव था, जिसमें रामवीर मैदान में नहीं थे। बीमारी के कारण वो घर पर ही रहे। उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय और परिवार के अन्य सदस्यों ने चुनाव की कमान संभाली थी। चुनाव में जनता को रामवीर का चेहरा नहीं दिखा तो वोट भी उन्हें उतने स्नेह से नहीं मिले।

मुकुल ने सुनील सिंह को हराया

हाथरस के साथ रामवीर उपाध्याय अलीगढ़ को भी अपना राजनीतिक कार्यक्षेत्र बनाना चाहते थे। बसपा सरकार में मंत्री रहते हुए  Ramveer Uypadhay ने अपने छोटे भाई मुकुल उपाध्याय को एमएलसी का चुनाव लड़ाया। जिसमें मुकुल ने लोकदल के सुनील सिंह को हराकर जीत हासिल की। इससे पहले मुकुल इगलास विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर चुके थे। दोनों जीत ने रामवीर का कद और बढ़ा दिया। इसी दौरान ही रामवीर ने अलीगढ़ की इंजीनियरिंग कालोनी में आवास बनाया और जनता को समय देना शुरू कर दिया। उनकी नजर 2009 के लोकसभा चुनाव पर थी।

रामवीर की पत्‍नी सीमा भी जीतीं चुनाव

रामवीर चाहते थे कि अलीगढ़ लोकसभा सीट से उनकी पत्नी सीमा उपाध्याय चुनाव लड़ें। इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। पार्टी ने उस समय बसपा में कैबिनेट मंत्री व रामवीर की तरह ही कद्दावर नेता की पहचान बना चुके ठा. जयवीर सिंह की पत्नी राजकुमारी चौहान को चुनाव लड़ाया। सीमा ने फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीती भीं। इस जीत रामवीर को और राजनीतिक मजबूती दी।

पश्‍चिमी यूपी में रामवीर ने बढ़ाया दायरा

Ramveer Uypadhay ने धीरे-धीरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपना दायर बढ़ाने का काम किया। मायावती  Mayawati के तब सबसे खास नेता हुआ करते थे। 2014 के विधानसभा चुनाव में रामवीर ने बसपा की टिकट से मुकुल उपाध्याय को मैदान में उतारा। जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बुलंदशहर की शिकारपुर सीट से भी मुकुल ने भाग्य आजमाया था, इसमें भी उन्हें निराशा हाथ लगी। रामवीर ने आगरा, मथुरा, कासगंज, एटा समेत आसपास के अन्य जिलों में भी अपने पहचान बना ली थी।

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