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Digital World : इंटरनेट मीडिया पर तर्कपूर्ण व स्वस्थ संवाद ही रहता हितकर

Digital World 1997 में दुनियाभर में सबसे पहले पहला इंटरनेट मीडिया प्‍लेटफाम्र सिक्‍स डिग्री लांच किया गया। उसके बाद बदलाव आता गया । आज के दौर में युवाओं ने इंटरनेट मीडिया पर डिजिटल ट्रोलिंग का हथियार भी अपना लिया है।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Wed, 21 Sep 2022 06:16 AM (IST)
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मौजूदा दौर में युवाओं ने इंटरनेट मीडिया पर digital trolling का हथियार भी अपना लिया है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Digital World : डीएस बाल मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रधानाचार्य दीप्ति गोविला का कहना है कि इंटरनेट मीडिया पर तर्कसंगत व स्वस्थ संवाद करना ही लाभकारी होता है। डिजिटलीकरण ने दुनिया भर के लोगों, संस्कृतियों और सीमा पार के लोगों की बातचीत को सक्षम किया है, साथ ही ये लोगों को जुड़ने और सीखने में मदद भी करता है। यह उन आदतों को विकसित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है जो आपको बढ़ने व अपनी बात को प्रभावी ढंग से रखने में मदद करती है। मगर मौजूदा दौर में युवाओं ने इंटरनेट मीडिया पर digital trolling का हथियार भी अपना लिया है। ये व्यक्तित्व व संबंधों को हानि पहुंचाने वाला भी है। अपने विचार या भावना किसी अन्य पर थोपने का जरिया बना लिया है। इसलिए यहां समझना जरूरी है कि इंटरनेट मीडिया पर स्वस्थ व तर्कपूण संवाद ही सर्वमान्य व हितकर है।

1997 में पहला इंटरनेट मीडिया प्‍लेटफार्म लांच : दुनिया भर में जब सबसे पहले 1997 में पहला internet media प्लेटफार्म सिक्स डिग्री लांच किया गया तब केवल चार वर्षों में 2001 तक इसके 10 लाख यूजर्स होने के बाद इसे बंद कर दिया गया। वर्तमान में आज लोगों के बीच Twitter, Instagram, Facebook, LinkedIn, Snapchat जैसे प्लेटफार्म ने अपनी पकड़ बनाईं है।

कुछ लोगों का मानना है कि यदि आप डिजिटल रूप में उपस्थित नहीं हैं तो आपका कोई अस्तित्व नहीं है l इस प्रकार नेटवर्किंग साइटों पर उपस्थित रहने का दबाव आज के युवा वर्ग को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रहा है। इसके अधिकाधिक प्रयोग से अन्य चीजों अन्य कार्यों के लिए समय कम रहता है, जिसके कारण उसके अंदर गंभीर समस्याएं पैदा होने लगती हैं।

अब हमारे पास वास्तविक मित्र की तुलना में अप्रत्यक्ष मित्र सबसे अधिक होते जा रहे हैं। हम दिन-प्रतिदिन एक दूसरे से संबंध खोते जा रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर कुतर्कपूर्ण व अव्यवहारिक संवाद के चलते मित्र कम शत्रु ज्यादा तैयार हो जाते हैं। बच्चे साइबर बुलिंग के शिकार बन रहे हैं। व्यक्तिगत डेटा का नुकसान, बैंक विवरण की चोरी जैसे अपराध, बच्चे तथा युवाओं को इसकी लत लग जाना, अश्लील एमएमएस, स्वास्थ्य समस्याएं आदि अनेकों नुकसान इंटरनेट मीडिया से हो रहे हैं। यदि हम कबीर दास जी के एक दोहे, अतिका भला न बोलना अतिकी भली न चूप, अतिका भला न बरसना अतिकी भली न चूप, को आधार मानें तो हमें यह शिक्षा लेनी चाहिए कि अति सर्वदा वर्जनीय है।

अगर बुद्धिमानी से इंटरनेट मीडिया का उपयोग किया जाए तो यह बेहद प्रभावी हो सकता है। इंटरनेट मीडिया को अच्छा या बुरा कहने की बजाय हमें अपने लाभ के लिए इसका उपयोग करने के तरीके को खोजना चाहिए। आज फेसबुक, टि्वटर, लिंकड्इन आदि प्लेटफार्मों का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है।

यह शिक्षकों, प्रोफेसरों और छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। एक छात्र के लिए यह माध्यम बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि यह उनके लिए जानकारी को साझा करने, जवाब प्राप्त करने और शिक्षकों से जुड़ने में सहायता करता है। शिक्षकों के व्याख्यान का लाइव वीडियो चैट किसी भी विषय को सीखने में मददगार साबित हो रहा है। कक्षा के बाद भी छात्र शिक्षकों से प्रश्न करके अपनी जिज्ञासाओं का समाधान ले सकते हैं।

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