Move to Jagran APP

छिटक रहे जाट वोट बैंक को साधने के लिए सपा ने खेला दांव, अलीगढ़ से बिजेंद्र सिंह को टिकट; ऐसा है चुनावी सफर

Lok Sabha Election 2024 कांग्रेस-सपा गठबंधन से पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। दावेदारों की सूची में और भी कई चेहरे थे पर सपा ने पूर्व सांसद पर दांव लगाकर जाटलैंड पर निशाना साधा। पार्टी हाईकमान की अनदेखी से नाराज हुए बिजेंद्र सिंह 2021 में कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। अब सपा ने उनपर भरोसा जताया है।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Fri, 15 Mar 2024 08:29 PM (IST)
Hero Image
छिटक रहे जाट वोट बैंक को साधने के लिए सपा ने खेला दांव
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। लंबी प्रतीक्षा के बाद समाजवादी पार्टी ने अलीगढ़ लोकसभा सीट पर प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस-सपा गठबंधन से पूर्व सांसद चौ. बिजेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है। दावेदारों की सूची में और भी कई चेहरे थे पर, सपा ने पूर्व सांसद पर दांव लगाकर जाटलैंड पर निशाना साधा। इगलास विधानसभा क्षेत्र से वह कांग्रेस से तीन बार विधायक व एक बार सांसद रहे हैं। कांग्रेस से नाराज होकर उन्होंने सपा का दामन थामा था।

चौ. बिजेंद्र सिंह छात्र जीवन में ही कांग्रेस से जुड़ गए थे। वर्ष 1989 में इगलास विधानसभा क्षेत्र से पहली बार कांग्रेस से विधायक निर्वाचित हुए। तब उन्होंने जनता दल के चौ. राजेंद्र सिंह को पराजित किया था। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के विक्रम सिंह हिंडोल को हराया था। पर, 1996 में बिजेंद्र सिंह को शिकस्त देकर भाजपा के चौ. मलखान सिंह विधायक बने।

ऐसा है चुनावी सफर

2002 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से ही बिजेंद्र सिंह चुनाव लड़े और बसपा के नरेंद्र कुमार दीक्षित को हराया। तब बसपा की लहर मानी जा रही थी। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बिजेंद्र सिंह भाजपा की लगातार चार बार सांसद रहीं शीला गौतम को हराकर सांसद बने। 2005 में इगलास विधानसभा क्षेत्र में हुए उप चुनाव से उनकी हार का सिलसिला शुरू हुआ। इनकी पत्नी राकेश चौधरी को बसपा के मुकुल उपाध्याय ने उप विधानसभा चुनाव में शिकस्त दी थी। 2007 में राकेश चौधरी कांग्रेस की पुन: प्रत्याशी बनीं। इस बार इन्हें रालोद की विमलेश चौधरी ने हराया।

जब लोकसभा चुनाव में मिली हार

2009 में बिजेंद्र सिंह लोकसभा का चुनाव हार गए। इसके बाद इन्होंने अतरौली विधानसभा से चुनाव लड़ा। यह चुनाव भी वह जीत न सके। 2014 व 2019 के चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में वह लोकसभा चुनाव हार गए थे।

जाट वोट बैंक को साधने के लिए सपा का दांव

पार्टी हाईकमान की अनदेखी से नाराज हुए बिजेंद्र सिंह 2021 में कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि छिटक रहे जाट वोट बैंक को साधने के लिए सपा ने उन्हें प्रत्याशी बनाया। जनपद में इगलास, खैर और बरौली जाटलैंड कहे जाते हैं। यहां जाट समाज को निर्णायक की भूमिका भी माना जाता है।

यह भी पढ़ें: समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए जारी की तीसरी लिस्ट, 6 प्रत्याशियों का एलान; एक सीट TMC के नाम

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।