एएमयू तिब्बिया की सेमिनार: हर्बल उत्पादों व पारंपरिक दवाओं के बीच बढ़ रहा समन्वय
हर्बल और पारंपरिक दवाओं के मिश्रित प्रयोग की संभावना पर विचार किया जाना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि मरीज यूनानी चिकित्सक को एक साथ ली जा रही सभी दवाओं का पूरा ब्योरा दें। उचित सावधानियों और निगरानी की आवश्यकता है और यदि आवश्यक हो
By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Wed, 16 Mar 2022 12:36 PM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। एएमयू के अजमल खान तिब्बिया कालेज के इलाज बित तदबीर विभाग की ओर से तीन सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम हाल ही में आयोजित किए गए। जिनमें प्रभावी, सुरक्षित और लागत प्रभावी स्वास्थ्य समाधान प्रदान करने के लिए निजी यूनानी चिकित्सकों को मार्गदर्शन प्रदान किया गया। यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किए गए। प्रथम सीएमई में मुख्य अतिथि प्रो. केसी सिंघल (पूर्व डीन, मेडिसिन संकाय, एएमयू) ने हर्बल और पारंपरिक दवाओं के उपयोग पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हर्बल उत्पादों और पारंपरिक दवाओं के बीच समन्वय के बारे में जागरूकता बढ़ रही है।
सावधानी की जरूरतउन्होंने कहा कि हर्बल और पारंपरिक दवाओं के मिश्रित प्रयोग की संभावना पर विचार किया जाना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि मरीज यूनानी चिकित्सक को एक साथ ली जा रही सभी दवाओं का पूरा ब्योरा दें। उचित सावधानियों और निगरानी की आवश्यकता है और यदि आवश्यक हो, तो संभावित जड़ी-बूटियों और पारंपरिक दवाओं के संपर्क के लिए उपचार को अनुकूलित किया जाना चाहिए। मानद अतिथि, प्रो. एसएम आरिफ जैदी (पूर्व डीन, एसयूएमईआर जामिया हमदर्द) और प्रो. एमएमएच सिद्दीकी (पूर्व डीन, यूनानी चिकित्सा संकाय) ने प्रतिभागियों से अपने पूर्व प्रशिक्षण और अनुभव को नए कौशल की नींव के रूप में उपयोग करने का आग्रह किया।
हर्बल दवाओं का प्रसार जरूरीप्रो. एफएस शीरानी (डीन, यूनानी चिकित्सा संकाय) ने इन सीएमई की आवश्यकता पर जोर दिया। दूसरे सीएमई में मुख्य अतिथि डा. हमीदा तारिक ने कहा कि चूंकि विभिन्न देशों में हर्बल दवा का प्रसार हो रहा है, इसलिए यूनानी चिकित्सा क्षेत्र में और विकास का समय आ गया है। तृतीय सीएमई में प्रो. एस शाकिर जमील (पूर्व डीजी, सेंट्रल काउंसिल फार रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन) ने नई बीमारियों से निपटने के लिए इलाज बित तदबीर (रेजिमेंटल थेरेपी) के महत्व और दायरे पर जोर दिया। इस दौरान प्रो. मोहम्मद अनवर, प्रो. आसिया सुल्ताना, डा. अब्दुल अजीज खान आदि ने भी विचार रखे।
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