अलीगढ़: सुमित्रानंदन पंत की जयंती पर गोष्ठी आयोजित
अलीगढ़ में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था ने प्रकृति के सुकुमार राष्ट्रकवि सुमित्रानंदन पंत की 122वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस दौरान साहित्य प्रेमी व विद्यार्थी शामिल हुए और उनको याद कर श्रद्धांजलि दी। साथ ही...
By Aqib KhanEdited By: Updated: Fri, 20 May 2022 08:14 PM (IST)
अलीगढ़, जागरण टीम: अलीगढ़ के इगलास में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था द्वारा गांव तोछीगढ़ में प्रकृति के सुकुमार राष्ट्रकवि सुमित्रानंदन पंत की 122वीं जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें साहित्य प्रेमी व विद्यार्थी शामिल हुए।
संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुमित्रानंदन पंत बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे| उनका सम्पूर्ण काव्य आधुनिक साहित्य चेतना का प्रतीक है| उनके काव्य जीवन का आरंभ प्रकृति के प्रांगण से हुआ था, इसीलिए उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है|
सुमित्रानन्दन पन्त ने 1921 में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के भारतीयों से अंग्रेजी विद्यालयों, न्यायालयों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों का बहिष्कार करने के आह्वान पर उन्होंने महाविद्यालय छोड़ दिया और घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, बँगला और अंग्रेजी भाषा-साहित्य का अध्ययन करने लगे|
इलाहाबाद में ही उनकी काव्यचेतना का विकास हुआ। कुछ वर्षों के बाद उन्हें घोर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। वह जीवन-पर्यन्त रचनारत रहे।अविवाहित पंत जी के अंतस्थल में नारी और प्रकृति के प्रति आजीवन सौन्दर्यपरक भावना रही। शिक्षक सौरभ चौधरी ने 'चींटी को देखा, वह सरल, विरल काली रेखा' कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि हमें पंतजी के जीवन से प्रेरणा लेकर कर्तव्यनिष्ठ होकर समर्पित भाव से कर्म करते हुए राष्ट्र के विकास में योगदान देना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ नरेन्द्र सिंह आर्य ने व संचालन प्रियांशु ठैनुआं ने किया। इस अवसर पर भोला चौधरी, छोटू, लखन सिंह, कमल सिंह, रिंकू, सूरज, कान्हा, नवनीत, आशीष, शशांक, रिषभ ठैनुआं, हर्ष, तरुन शर्मा, रोहित, यश आदि मौजूद रहे।
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