अलीगढ़ बिजली विभाग में घाेटाले में सात अभियंता निलंबित; लग गए घटिया पोल और केबल, अफसर बन रहे मूक
बिजली घाेटाले में जांच से पहले ही चार अधिकारी निशाने पर थे उनका पहले ही तबादला कर दिया था। बंच केबल की गुणवत्ता घटिया कम वजन के पोल बिना निरीक्षण की रिपोर्ट तैयार कर दी। 7 अधिकारियों पर कार्रवाई से बिजली विभाग में खलबली मची है। माना जा रहा है कि 50 लाख रुपये अधिक की राशि से हुआ है काम।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। जिले के कौड़ियागंज व विजयगढ़ में पोल और केबल बिछाने के काम में घोटाले की जानकारी शासन स्तर पर होते ही बिजली विभाग के चार अधिकारी निशाने पर आ गए थे। इनके तबादले कर दिए गए थे। जांच शुरू हुई तो सात अधिकारियों को दोषी माना गया है।
इन अधिकारियों ने लगने से पहले पोल और बंच केबल का निरीक्षण तक नहीं किया। यह निर्धारित शर्तों के अनुसार है या नहीं, यह भी नहीं देखा। बिना जांच ही डीआइ (डिस्पैच निरीक्षण) जारी कर दिया गया।
कम वजन के पोल लगना सामने आया था
पिछले महीने लखनऊ से आई टीम की जांच में सब सामने आ गया। पोल कम वजन के थे। केबल की गुणवत्ता घटिया निकली। मुख्य अभियंता से लेकर जेई स्तर के सात अधिकारियों पर कार्रवाई से विभाग में खलबली मच गई है।
पिछले वर्ष हुआ था काम
कौड़ियागंज और विजयगढ़ नगर पंचायत क्षेत्र में पोल व केबल का ठेका मै. श्रीगणेश इंटरप्राइजेज को वर्ष 2022-2023 में दिया गया। पिछले वर्ष काम हुआ। इसके साथ ही सामग्री की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें भी शुरू हो गई थीं, मगर किसी अधिकारी ने ध्यान नहीं दिया। विभागीय कार्रवाई भी फर्जी तरह से पूरी की जाती रहीं। इस वर्ष के प्रारंभ में मामला शासन तक पहुंच गया। तब चार अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।
इनका कर दिया तबादला
मुख्य अभियंता सुबोध कुमार शर्मा को आगरा, अधीक्षण अभियंता राघवेंद्र को आजमगढ़, एसडीओ सचिन कुमार को मुज्जफ्फर नगर और अधिशासी अभियंता प्रवीण कुमार मौर्या को आगरा भेज दिया गया। इसके बाद जांच की प्रक्रिया तेज हो गई। जवाब तलब व अधिकारियों की रिपोर्ट आदि की प्रक्रिया के बाद पिछले महीने लखनऊ से आई टीम ने निरीक्षण किया तो हकीकत सामने आ गई। टीम में शामिल अधिकारियों ने विभागीय दस्तावेज खंगाले तो नियमानुसार कार्रवाई तक नहीं मिली। पोर्टल पर जरूरी सूचनाएं दर्ज ही नहीं की गईं। ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत कागजात भी टीम ने लिए थे।
मानक के अनुरूप नहीं थे पोल और केबल
कौड़ियागंज और विजयगढ़ जाकर पोल व केबल देखे, जो कि मानक के अनुरूप नहीं थे। क्षेत्र के लोगों से भी बात की गई। पूरी जांच में अवर अभियंता मनोज कुमार, एसडीओ शत्रुधन, अधीक्षण अभियंता अजय कुमार भी आरोपों के घेरे में आ गए। इनके निलंबन के बाद अन्य अधिकारियों के भी होश उड़ गए हैं। कुछ और अधिकारी व कर्मचारी भी इस मामले में लिप्त बताए जा रहे हैं, जिन पर कार्रवाई होने की संभावना है।
किस पर क्या आरोप
- मुख्य अभियंता सुबोध कुमार शर्माः पूरे मामले की जानकारी मार्च 2024 में हो गई थी। इसके बाद भी इन्होंने प्रभावी दिशा-निर्देश नहीं दिए और न ही प्रभावी कार्यवाही की।
- अधीक्षण अभियंता राघवेंद्रः उचित दस्तावेजों को प्राप्त किए बिना डीआइइआरपी पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की। इस प्रकरण आगे की कार्यवाही भी काफी देरी से की गई।
- एसडीओ शत्रुधन चौहानः मै. श्रीगणेश इंटरप्राइजेज द्वारा बिना उचित दस्तेवजों के कौड़ियागंज में पोल व केबल लगाए गए। इसकी भौतिक जांच नहीं की गई। इसके चलते कम वजन के एसटीपी पोल (लोहे का पोल) व कम गुणवत्ता की एबी केबल लगाई गई।
- अधीक्षण अभियंता अजय कुमारः निरीक्षण रिपोर्ट इआरपी पोर्टल पर अपलोड किए बिना डीआइ (दस्तावेज निरीक्षण) जारी होने की इन्हें जानकारी थी। इसके बाद भी इनकी मै. गणेश इंटरप्राइजेज के साथ संलिप्तता रही। इस संस्था के विरुद्ध अनुबंध के अनुसार कार्रवाई नहीं की। विभागीय हित में गलत डीआइ को निरस्त नहीं किया गया और नई डीआइ जारी नहीं की गई।
- अधिशासी अभियंता प्रवीण कुमार मौर्याः निरीक्षण रिपोर्ट इआरपी पोर्टल पर अपलोड किए बिना डीआइ जारी की। अधिनस्थों को बिना दस्तावेजों के सामग्री प्राप्त करने के लिए बाध्य किया। मै.गणेश इंटरप्राइजेज के साथ संप्लिप्तता दिखाते हुए विभागीय नियमानुसार कार्य नहीं किया। विभागीय हित में गलत डीआइ को निरस्त नहीं किया और नई डीआइ जारी नहीं की।
- अवर अभियंता मनोज कुमारःः इस मामले में इनकी कार्यशैली शिथिल रही। इसके चलते मै. गणेश इंटर प्राइजेज द्वारा बिना उचित दस्तावेजों के कौड़ियागंज में सामग्री लगाई गई। यह सामग्री लगाने से पहले भौतिक जांच नहीं की। इससे कम बजन के एसटीपी पोल (लोहे का पोल) व कम गुणवत्ता की एबी केबल लगाई गईं।
- एसडीओ सचिन कुमारः इनकी शिथिल कार्यशैली के चलते मै. गणेश इंटरप्राइजेज द्वारा बिना उचित दस्तावेजों के विजयगढ़ में सामग्री लगाई गई। इस सामग्री की उन्होंने भौतिक जांच नहीं की। इसके चलते कम बजन के एसटीपी (लोहे का पोल) पोल बिना ग्राउंटिंग के लगाए गए।
यह है ईआरपी पोर्टल
इस पोर्टल में बिलिंग के कागजात व महत्वपूर्ण दस्तावेज अपलोड होते हैं। डीआइ ( डिस्पैच निरीक्षण) सामान के उपयोग से पहले तैयार होता है। इसमें तैयार माल का विस्तृत निरीक्षण शामिल होता है। ये निरीक्षण उपकरणों की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं। इसे डिलीवरी इंडेड भी कहा जाता है।
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पहले भी विवादों में रही है फर्म
विजयगढ़ और कौड़ियागंज में बिजली विभाग का काम करने वाली मै. गणेश इंटरप्राइपेज फर्म पहले भी विवादों में रही है। सांगवान सिटी परिसर में 33 केवी की 1200 मीटर लाइन शिफ्ट करने के मामले में मै. गणेश इंटरप्राइपेज के ठेकेदार चक्रपाणी भट्ट सहित कई लोगों पर मुकदमा हुआ था। अवर अभियंता (जेई) लाखन सिंह को निलंबित किया गया था। आरोप था कि 33 केवी लाइन के खंभे और तार उखाड़कर गायब कर दिए गए थे।
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दर्ज कराया था मुकदमा
अवर अभियंता भरत सिंह ने भी बन्ना देवी थाने में चक्रपाणी भट्ट के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। आरोप था कि हैप्पी होम अपार्टमेंट के पास जिंदल ब्रास फैक्ट्री के बराबर में 33 केवी डी सेंटर निर्जीव लाइन के दो रेल पोल व तीन स्पान की डाग कंडक्टर निर्मित लाइन गायब मिली। बापू धाम, सारसौल के निकट खेत के ऊपर से 33 केवी डी सेंटर निर्जीव लाइन के चार स्पान की डाग कंडेक्टर निर्मित लाइन व दो रेल पोल गायब मिले।
सोचा समझा षड़यंत्र
भट्ट मै. गणेश इंटरप्राइपेज के ठेकेदार चक्रपाणी भट्ट ने कहा है कि यह सब षड़यंत्र के तहत किया गया है। जो कमियां थीं उनको चीफ इंजीनियर के कहने पर ठीक कर दिया था। विभागीय अधिकारियों की आपसी टसन के चलते टारगेट कराकर कार्रवाई कराई है। लखनऊ की टीम ने तो हमारे कार्य से संतुष्टि जताई थी।