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कब मनेगा जन्मोत्सव, आचार्यों की बैठक में बनी सहमति, अलीगढ़ में जन्माष्टमी की पूजा का ये है शुभ मुहूर्त

Shri Krishna Janmashtami 2023 पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रात 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले लोग छह सितंबर को जन्मोत्सव मनाएंगे। इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी है ऐसा अद्भुत संयोग बनना बहुत शुभ है। वैष्णव संप्रदाय में श्रीकृष्ण की पूजा सात सितंबर को मनाएंगे। अलीगढ़ में आचार्याें ने बैठक की और आम सहमति पर इन तारीखाें पर बनीं।

By krishna chandEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Mon, 04 Sep 2023 07:56 AM (IST)
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Aligarh News: छह को मनाएं जन्माष्टमी, सात को नंदोत्सव
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी छह सितंबर को मनाई जाएगी। सात सितंबर को नंदोत्सव मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी जन्माष्टमी तिथि छह सितंबर की दोपहर 03.37 बजे शुरू होगी और सात सितंबर की शाम 04.14 बजे समाप्त होगी। इस वजह से मन में असमंजस की स्थिति है।

छह को व्रत रखकर जन्माष्टमी और सात को नंदोत्सव मनाया जाएगा।

रविवार को श्री वार्ष्णेय मंदिर में आचार्य गणों के साथ बैठक वार्ष्णेय मंदिर में हुई, जिसमें कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर चर्चा हुई। वार्ता के बाद सभी की इस पर सहमति हुई कि छह को व्रत रखकर जन्माष्टमी और सात को नंदोत्सव मनाया जाएगा। आचार्य भरत तिवारी, महंत मनोज मिश्रा, पंडित राधे शास्त्री, पंडित ओमप्रकाश अवस्थी, पंडित रवि शर्मा, पंडित रिंकू शर्मा, प्रदीप शर्मा, हिमांशु शास्त्री, ललित बल्लभ, दीपेंद्र उपस्थित रहे।

जन्माष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त छह सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 बजे से 12:48 बजे तक है।

  • इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी।
  • जन्माष्टमी व्रत पारण का समय सात सितंबर को सुबह 06.09 के बाद का है।
  • जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत छह सितंबर को सुबह 09:20 बजे से सात सितंबर को सुबह 10:25 बजे तक रहेगी।
  • प्रातः जल्दी जगकर स्नान आदि से निवृत होकर लड्डू गोपाल सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर व्रत का संकल्प लें।
  • रात्रि पूजन के लिए भगवान का झूला सजाएं।
  • मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का दूध, दही, घी, शहद, बूरा, पंचामृत, गंगाजल से अभिषेक कर उनको सुंदर वस्त्र पहनाकर श्रृंगार करें।
  • इसके साथ ही पूजा में उन्हें मक्खन, मिश्री, पंजीरी का भोग अर्पित कर आरती करें।

30 वर्षों बाद जयंती योग में मनाया जाएगा कृष्ण जन्मोत्सव

वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख व ज्योतिर्विद स्वामी पूर्णानंदपुरी के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर अर्द्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र व चंद्रमा का वृषभ राशि गोचर होने का संयोग बन रहा है। इस योग को भी अत्यंत ही शुभ स्थिति दायक माना गया है। यह शुभ योग बुधवार छह सितंबर को लगने के कारण गृहस्थ जीवन वालों के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी बुधवार को मनाना अत्यंत शुभ रहेगा।

निर्णय सिंधु के अनुसार अर्ध रात्रि को अष्टमी तिथि में यदि रोहिणी नक्षत्र का योग मिल जाए तो उसमें भगवान श्रीकृष्ण का पूजन अर्चन करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन 30 वर्ष के बाद इस तरह का शुभ योग देखने को इस बार मिल रहा है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र के योग से रहित हो तो केवला कही जाती है और रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो जयंती योग वाली कही जाती है। जयंती में यदि बुधवार का योग आ जाए तो वह अति उत्कृष्ट फल देने वाली कही जाती है। वैष्णव संप्रदाय के भक्त जन्माष्टमी पर्व गुरुवार को मनाएंगे।

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