Special on Father Day 2019 : खुशियां चबाकर पिला रहे आंसू Aligarh news
छर्रा में जिन नन्ही उंगलियों को पकड़कर चलना सिखाया शब्दों का उच्चारण कराया वक्त आने पर उन्हीं ने अपनों का हाथ छिटक दिया और तीखे शब्द बाणों से हृदय छलनी कर दिया।
By Sandeep SaxenaEdited By: Updated: Sun, 16 Jun 2019 06:04 PM (IST)
प्रवीण तिवारी अलीगढ़। छर्रा में जिन नन्ही उंगलियों को पकड़कर चलना सिखाया, शब्दों का उच्चारण कराया, वक्त आने पर उन्हीं ने अपनों का हाथ छिटक दिया और तीखे शब्द बाणों से हृदय छलनी कर दिया। जी हां, ये करुण कहानी है, कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित असर्फी ग्रामोद्योग संस्थान द्वारा संचालित आवासीय वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की। दरअसल, इन बुजुर्गों ने अपनों के पीठ दिखा देने के बाद लावारिस बन यहां ठिकाना बना लिया है। आश्रम में एकाकी जीवन काट रहे जानकी प्रसाद, केदारी लाल, फूल सिंह, मोहनलाल, रामस्वरूप, मलखान सिंह आदि बुजुर्गों की दिनचर्या अखबार से शुरू होती है। नाश्ता व स्नान के बाद टीवी के जरिए देश-दुनिया का हाल जानते हैं। टीवी पर सत्संग व धार्मिक कार्यक्रम में लीन हो जाते हैं, तो कभी आश्रम की बागवानी को संवारने में लग जाते हैं।
ऐसे हुआ जीवन तबाह
इगलास क्षेत्र के ग्राम गढुआ निवासी बुजुर्ग राजपाल सिंह यहां पत्नी रामवती के संग कई साल से रह रहे हैं। दो बेटे व तीन बेटियां हैं। बताते हैं कि एक बार चोरी का मुकदमा क्या लगा, जीवन तबाह हो गया। कर्ज चुकाने, बच्चों की परवरिश व शादी ब्याह में जमीन-मकान सब बिक गया। किराए के घर में रहकर मोटर पाट्र्स की दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण किया। फिर एक दिन हादसे में मेरा एक पैर व हाथ कट गया। इलाज तो दूर बच्चे बोझ समझकर गांव में बेसहारा छोड़ गए। एक सज्जन के सहयोग से पत्नी के साथ यहां आ गए। जाना हाल तो डबडबा गईं आंखे
अलीगढ़ के मोहल्ला भगवान नगर निवासी जानकी प्रसाद को उनकी कहानी जानने के लिए कुरेदा तो आंखें डबडबा आईं। बताया कि रिक्शा चलाकर मां, पत्नी, दो बेटे व एक बेटी का पालन-पोषण किया। रिक्शा चलाते समय पैर में चोट लग गई। बच्चों ने इलाज तक नहीं कराया, पैर खराब हो गया। खाने तक के लिए मोहताज हो गया। औलाद ने ठुकराया तो सड़क पर कुछ दिन बताए। करीब आठ माह पूर्व एक दुकानदार ने यहां भिजवा दिया।
इगलास क्षेत्र के ग्राम गढुआ निवासी बुजुर्ग राजपाल सिंह यहां पत्नी रामवती के संग कई साल से रह रहे हैं। दो बेटे व तीन बेटियां हैं। बताते हैं कि एक बार चोरी का मुकदमा क्या लगा, जीवन तबाह हो गया। कर्ज चुकाने, बच्चों की परवरिश व शादी ब्याह में जमीन-मकान सब बिक गया। किराए के घर में रहकर मोटर पाट्र्स की दुकान चलाकर परिवार का पालन पोषण किया। फिर एक दिन हादसे में मेरा एक पैर व हाथ कट गया। इलाज तो दूर बच्चे बोझ समझकर गांव में बेसहारा छोड़ गए। एक सज्जन के सहयोग से पत्नी के साथ यहां आ गए। जाना हाल तो डबडबा गईं आंखे
अलीगढ़ के मोहल्ला भगवान नगर निवासी जानकी प्रसाद को उनकी कहानी जानने के लिए कुरेदा तो आंखें डबडबा आईं। बताया कि रिक्शा चलाकर मां, पत्नी, दो बेटे व एक बेटी का पालन-पोषण किया। रिक्शा चलाते समय पैर में चोट लग गई। बच्चों ने इलाज तक नहीं कराया, पैर खराब हो गया। खाने तक के लिए मोहताज हो गया। औलाद ने ठुकराया तो सड़क पर कुछ दिन बताए। करीब आठ माह पूर्व एक दुकानदार ने यहां भिजवा दिया।
बहुओं ने झगड़कर निकाला
गांव बढारी निवासी नेत्रपाल सिंह की कहानी भी दुखभरी है। दो बेटे व एक बेटी की परवरिश के लिए खुद फर्नीचर के काम में झोंक दिया। बच्चों की शादी की। पत्नी का निधन होने के बाद मुसीबत आ गई। बेटे-बहुओं ने लड़ाई झगड़ा करके उन्हें घर से अलग कर दिया। अब यहां रहने को मजबूर हूं। बेटों की शादी के बाद पड़ी परिवार में दरार
ग्राम हैवतपुर निवासी लालाराम सिंह ने मेहनत मजदूरी करके चार बेटों का पालन पोषण किया तथा उनकी शादी ब्याह किए। बताते हैं कि बेटों की शादी के बाद परिवार में ऐसी दरार पड़ी कि 25 साल तक खुद खाना बनाकर खाया। बढ़ती उम्र के चलते आश्रम में शरण लेनी पड़ी। हमारे यहां कोई नहीं आता।
गांव बढारी निवासी नेत्रपाल सिंह की कहानी भी दुखभरी है। दो बेटे व एक बेटी की परवरिश के लिए खुद फर्नीचर के काम में झोंक दिया। बच्चों की शादी की। पत्नी का निधन होने के बाद मुसीबत आ गई। बेटे-बहुओं ने लड़ाई झगड़ा करके उन्हें घर से अलग कर दिया। अब यहां रहने को मजबूर हूं। बेटों की शादी के बाद पड़ी परिवार में दरार
ग्राम हैवतपुर निवासी लालाराम सिंह ने मेहनत मजदूरी करके चार बेटों का पालन पोषण किया तथा उनकी शादी ब्याह किए। बताते हैं कि बेटों की शादी के बाद परिवार में ऐसी दरार पड़ी कि 25 साल तक खुद खाना बनाकर खाया। बढ़ती उम्र के चलते आश्रम में शरण लेनी पड़ी। हमारे यहां कोई नहीं आता।
150 लोगों के रहने की है व्यवस्था
आश्रम संचालक एवं संस्था के सचिव असर्फी लाल बताते हैं कि आश्रम में करीब 80 महिला व पुरुष वृद्धजन रहते हैं। 150 लोगों के रहने की व्यवस्था है। समाज कल्याण विभाग की ओर से नाश्ता-खाना, दवा, कपड़ा आदि की व्यवस्था की जाती है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आश्रम संचालक एवं संस्था के सचिव असर्फी लाल बताते हैं कि आश्रम में करीब 80 महिला व पुरुष वृद्धजन रहते हैं। 150 लोगों के रहने की व्यवस्था है। समाज कल्याण विभाग की ओर से नाश्ता-खाना, दवा, कपड़ा आदि की व्यवस्था की जाती है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप