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Sir Syed Day 2022 : सर सैयद के चमन से निकले छात्रों ने दुनियाभर में जलाए ज्ञान के दीप

Sir Syed Day 2022 एएमयू के संस्‍थापक सर सैयद अहमद का जन्‍म आज ही के दिन दिल्‍ली के दरियागंज में हुआ था। वे चाहते थे कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान और दूसरे में विज्ञान हो। उन्‍होंने 1875 को उन्होंने मदरसा-तुल-उलूम के रूप में एएमयू की नींव रखी।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Mon, 17 Oct 2022 06:16 AM (IST)
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सर सैयद अहमद खां चाहते थे कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान व दूसरे में विज्ञान हो।
संतोष शर्मा, अलीगढ़ । Sir Syed Day 2022 : सर सैयद अहमद खां चाहते थे कि मुसलमानों के एक हाथ में कुरान व दूसरे में विज्ञान हो। ये उस दौर की बात थी कि जब मुसलमान शिक्षा में पिछड़े थे। बेटियों को स्कूल भेजना सम्मान के खिलाफ माना जाता था। सर सैयद ने इस सोच को बदलने का बीडा उठाया। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरह भारत में ही ऐसी यूनिवर्सिटी का सपना देखा। 1875 को उन्होंने सात छात्रों से मदरसा-तुल-उलूम के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की नींव रखी। जो आज देश-दुनिया में पहचान बनाए है। सर सैयद के इस सपने को एएमयू में पढ़े छात्र भी साकार कर रहे हैं। देश-विदेश में शिक्षण संस्थान खोलकर शिक्षा का दीप जला रहे हैं।

दिल्‍ली व आगरा में की नौकरी

दिल्ली के दरियागंज में 17 अक्टूबर 1817 को जन्मे सर सैयद अहमद ने अरबी, फारसी, उर्दू में दीनी तालीम ली। न्यायिक सेवा में रहकर पहले दिल्ली व आगरा में नौकरी की। 1864 में मुंसिफ के रूप में अलीगढ़ में तैनात हुए। यह आगमन सर सैयद के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ। 1857 की क्रांति ने उन्हें झकझोर दिया। सर सैयद ने उसी दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी शुरू की। अंग्रेजों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने के लिए लंदन के आक्सफोर्ड व कैंब्रिज यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान भारत में खोलने का सपना देखा। आठ जनवरी 1877 को 74 एकड़ फौजी छावनी की जमीन पर मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल (एमएओ) कालेज की नींव रखी। 1920 में इसी कालेज को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का दर्जा मिला।

मस्जिद में रखी जामिया मिल्लिया की नींव

एमएओ कालेज से एएमयू तक के सफर में सर सैयद के चमन से ऐसे कई पूर्व छात्र निकले हैं, जिन्होंने अपनी संस्था का नाम रोशन करने में चार चांद लगाए हैं। दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी की स्थापना एएमयू की जामा मस्जिद में पूर्व छात्रों ने 29 अक्टूबर 1920 में रखी थी। मौलाना मोहम्मद अली जोहर, मौलाना शौकत अली, अब्दुल मजीद ख्वाजा व डा. जाकिर हुसैन इसके संस्थापक सदस्य थे। 1925 के आसपास हकीम अजमल खां इसे दिल्ली के करोल बाग ले गए। 1936 में ओखला के पास अधिक जमीन मिलने पर जामिया मिल्लिया को वहां स्थापित किया गया। जो आज दिल्ली की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में शामिल है।

अमेरिका में आक्सफोर्ड सेंटर

एएमयू के पढ़े छात्र विदेशों में भी ज्ञान का दीप जलाए हुए हैं। एएमयू इतिहास के जानकार डा. राहत अबरार के अनुसार एएमयू से बीए व एमए करने वाले फरहात निजामी ने 1985 में यूएस में आक्सफोर्ड सेंटर फार इस्लामिक स्टडीज की स्थापना की। पाकिस्तान के कराची में सर जियाउद्दीन मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना भी यहीं के पूर्व छात्र की। बीसीए, एमसीए की पढ़ाई करने वाले मुहिबुल हक ने मेघालय में 2011 में साइंस एंड टेक्नोलाजी यूनिवर्सिटी बनवाई। सपा नेता व पूर्व छात्र मोहम्मद आजम खान ने रामपुर में मौलाना मोहम्म्द अली जोहर विश्वविद्यालय का निर्माण कराया।

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अलीगढ़ में स्कूल से लेकर महाविद्यालय तक

एएमयू में पढ़े पूर्व छात्रों ने अलीगढ़ में भी कई शिक्षण संस्थान खोले। मौलाना तुफैल अहमद बंगलौरी ने 1927-28 में जीटी रोड पर स्कूल की स्थापना की, जो आज राजा महेंद्र प्रताप एएमयू सिटी स्कूल के रूप में है। शेख अब्दुल्ला पापा मियां ने 1906 में ऊपरकोट पर टनटनपाड़ा में स्कूल खोला। कुछ दिन यह बनीसराय में भी चला। बाद में मैरिस रोड पर खोला गया। आज यह स्कूल अब्दुल्ला प्राइमरी स्कूल, सिटी गर्ल्स हाईस्कूल, सीनियर सेकेंडरी स्कूल गर्ल्स और वीमेंस डिग्री कालेज के रूप में पहचान बनाए है। आफताब अहमद खां ने शमशाद मार्केट में दिव्यांग छात्रों के लिए स्कूल खुलावाया। ये सभी विद्यालय एएमयू से संबद्ध हैं।

राजा महेंद्र प्रताप ने भी बनवाया कालेज

एमएओ कालेज में पढ़ाई करने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सैनानी राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने वृंदावन में अपने पुत्र के नाम पर प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की थी। राजा के नाम पर अब उत्तर प्रदेश सरकार भी लोधा के पास राजकीय विश्वविद्यालय का निर्माण करा रही है।

दो पूर्व छात्र रहे यूपीएससी के चेयरमैन

एएमयू छात्रों ने देश के देश के सर्वोच्च संवैधानिक राष्ट्रपति जैसे पदों पर रहकर ही देश का नाम ही रोशन नहीं किया बल्कि देश के लिए सिविल सर्विस के तहत टाप ब्यूरोक्रेट तैयार करने वाली संस्था संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) के चेयरमैन के पद भी सुशोभित किए हैं। एएमयू के पूर्व छात्र रहे प्रो. डीपी अग्रवाल यूपीएससी के चेयरमैन रहे हैं। वे आयोग के 2003 में सदस्य रहने के बाद 2008 में आयोग के चेयरमैन नियुक्त किए गए। उससे पहले पूर्व छात्र अखलाक-उर-रहमान किदवई संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन 1974 से 1977 तक रहे। साथ ही कई राज्यों के राज्यपाल एएमयू के चांसलर भी रहे।

इनका कहना है

सर सैयद अहमद खां दूरदर्शी थे। उन्हें आधुनिक शिक्षा का जनक कहा जाता है। एएमयू शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है। पूर्व छात्र भी सर सैयद के मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं। एएमयू बिरादरी के लिए सबसे बड़ी चुनौती सर सैयद के सपने को और ऊंचाई देना है।

- प्रो. तारिक मंसूर, कुलपति एएमयू

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