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Aligarh News : खादी कारोबार को लगे पंख, मेक इन इंडिया और वोकल फार लोकल से सरकार खादी को दे रही नया लुक

Aligarh News आधुनिकता की दौड़ में भी खादी की धमक बरकरार है। अब तो माडल भी खादी की धोती व सूट में रैंप पर कैटवाक करते देखी जा सकती हैं। पतंजलि के रेडीमेड गारमेंट्स के आउटलेट पर बाबा के लंगोट से लेकर अन्‍य सभी प्रकार के परिधान उपलब्‍ध हैं।

By Santosh SharmaEdited By: Anil KushwahaUpdated: Sun, 02 Oct 2022 03:30 PM (IST)
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खादी में कलरफुल शर्ट व पैंट के अलावा मोदी कट जैकेट भी बाजार में है।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Aligarh News : खादी के कुर्ता-धोती व गमछा गुजरे जमाने की बात हो गई है। फैशन के इस दौर में भी खादी नेताओं तक सीमित नहीं है। अब माडल भी खादी की धोती व सूट में रैंप पर कैटवाक करते देखी जा सकती हैं। कलरफुल शर्ट व पैंट के अलावा मोदी कट जैकेट भी बाजार में है। खादी के फेब्रिक की भी बड़ी रेंज उपलब्ध है। पतंजलि के रेडीमेड गारमेंट्स के आउटलेट पर बाबा के लंगोट से लेकर अन्य सभी प्रकार के परिधान उपलब्ध हैं। Prime Minister Narendra Modi की vocal for local व Make in India थीम ने भी खादी के कारोबार को आधुनिकता से जोड़ा है। खादी तीन वैरायटी काटन, वूलन व सिल्क में मिलती है। मौसम के हिसाब से तैयार परिधान गर्मियों में ठंडक व सर्दियों में गर्माहट लाते हैं। खादी के स्टाइलिस्ट परिधानों को नए जमाने की पीढ़ी पसंद कर रही है। 

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स्‍वदेशी को बढ़ावा देने के लिए गांधी जी ने खादी अपनाया था

स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए Father of the Nation Mahatma Gandhi ने खादी से बने परिधानों को धारण किया था। उस समय घर-घर में सूत कताई होती थी। बुनकरों को रोजगार मिलता था। तन को ढंकने के लिए ही नहीं, ओढ़ने के लिए चादर, रजाई व अन्य कपड़े भी तैयार होते थे। नेता तो खादी की धोती-कुर्ता व गमछा धारण करने लगे थे। जगह-जगह गांधी आश्रमों की स्थापना हुई। भले ही अब सरकारी गांधी आश्रमों का वजूद खतरे में हो, मगर कपड़ा मिल व निजी शोरूम खादी के परिधानों से गुलजार हैं। स्टाइलिस्ट लुक में युवा पीढ़ी कलरफुल खादी की शर्ट, जैकेट व अन्य परिधान पहनते हैं। महिलाओं के लिए सिल्क की साड़ी, वूलन के कपड़े व लेडीज सूट की मांग रहती है।

इनकी सुनो

खादी ही हमारी असली पहचान है। कारोबार की शुरुआत हमने खादी के वस्त्रों से की थी। हमारे शोरूम पर हैंडलूम व खादी के स्टाइलिस्ट, कलरफुल लेडीज व जेंट्स के परिधान हर रेंज में मिलते हैं।

- अरुन अग्रवाल, कारोबारी

आज भी हम सूती वस्त्र उद्योग से जुड़े हुए हैं। ताला नगरी में हमारी फैक्ट्री है। यहां कच्चे माल से आर्डर मिलने पर काटन के पायदान व अन्य वस्त्र तैयार किए जाते हैं। खादी हमारी आस्था का प्रतीक है।

- प्रशांत मित्तल, कारोबारी

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