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नयी पीढ़ी को देश के इतिहास रूबरू कराना हैै परिषद का मकसद Aligarh news

भारत विकास परिषद की जिले में एक दर्जन के करीब शाखाएं संचालित हैं। परिषद का मुख्य उद्देश् शिक्षा संस्कार सेवा संपर्क और स्वालंबन है। भारत विकास परिषद की संयुक्त सचिव डा. दिव्या लहरी बताती हैं कि शिक्षा-संस्कार स्वावलंबन का आधार है इसलिए परिषद ने जिले में तमाम आयाम खड़े किए।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Fri, 26 Mar 2021 09:04 AM (IST)
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भारत विकास परिषद की जिले में एक दर्जन के करीब शाखाएं संचालित हैं।
अलीगढ़, जेएनएन : भारत विकास परिषद की जिले में एक दर्जन के करीब शाखाएं संचालित हैं। परिषद का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, संस्कार, सेवा, संपर्क और स्वालंबन है। भारत विकास परिषद की संयुक्त सचिव डा. दिव्या लहरी बताती हैं कि शिक्षा-संस्कार स्वावलंबन का आधार है, इसलिए परिषद ने जिले में तमाम आयाम खड़े किए हैं। जिले में भारत विकास परिषद सुंदरम शाखा, विवेकानंद, शिवम, मयूरी, मंजरी आदि शाखाएं हैं। सभी शाखाओं की अध्यक्ष, सचिव समेत पूरी कार्यकारिणी होती है। यही कार्यकारिणी पूरे कार्य को संचालित करती है।

परिषद भारतीय संस्कृति को लेकर चलता है

डा. दिव्या लहरी कहती हैं कि परिषद की खासियत है कि वह भारतीय संस्कृति को लेकर चलता है। हमारे संस्कार केंद्रों पर देश भक्ति से जुड़ी तमाम चीजें होती हैं। स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानते हैं। देशभक्ति से जुड़ी प्रश्नोत्तरी होती है, जिसमें क्रांतिकारियों के बारे में सवाल पूछे जाते हैं। देश के तमाम ऐसे महान क्रांतिकारी हैं, जिनके बारे में लोगों काे पता नहीं रहता है। परिषद प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी को बताने का प्रयास करता है। देशभक्ति के गीतों की प्रतियोगिताएं होती हैं। इसमें छात्र-छात्राएं गीत सुनाते हैं। समूहगान के माध्यम से देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं। यही गीत हर किसी को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर देते हैं। डा. दिव्या लहरी कहती हैं कि जब बच्चे को बचपन से ही देशभक्ति गीतों से जोड़ा जाएगा, महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाएगी तो वह क्यों नहीं देश के बारे में सोचेंगे और देश के सच्चे नागरिक बनेंगे।

आज बच्‍चों की जुबान पर देशभक्‍ति गीत नहीं

उन्होंने कहा कि आज के समय में बच्चों की जुबान पर देशभक्ति के गीत नहीं आते हैं, मगर भारत विकास परिषद नई पीढ़ी में एक देश भक्ति का प्रवाह पैदा कर रही है। इसलिए स्कूल-कालेज में अधिकांश कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यही बच्चे बड़े होकर समाज में चर्चा करेंगे, गीत गुनगुनाएंगे, जिससे समाज में परिवर्तन की एक लहर आएगी। डा. दिव्या ने कहा कि इसी प्रकार से सेवा के क्षेत्र में भी काम किया जाता है। बस्तियों में सिलाई-कढ़ाई, ब्यूटीपार्लर आदि का कोर्स कराया जाता है, जिससे लड़कियां स्वावलंबी बन सकें। प्रशिक्षण के माध्यम से वह स्वरोजगार से जुड़ सकें। परिषद की ओर से गांव की भी गोद लिए जाते हैं, गांव में भी सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही साफ-सफाई के बारे में बताया जाता है। प्रदेश सांस्कृतिक प्रमुख रश्मि सिंह ने बताती हैं कि परिषद पर्यावरण के प्रति भी काफी संजीदा है। इसलिए सावन के महीने में हम लोग तुलसी का पूजन करते हैं। इसके माध्यम से पर्यावरण का संदेश देते हैं। अधिक से अधिक हम पौधरोपण भी करते हैं। साथ ही पौधों को बचाने का संकल्प भी लेते हैं, जिससे यह पौधे बड़े होकर पेड़ में परिवर्तित हो सकें। रश्मि सिंह ने बताया कि हम तीज-त्योहार को भी बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं, जिससे अपनी परंपरा से जुड़े रहे। इसलिए सामाजिक संस्था में आज भी भारत विकास परिषद श्रेष्ठ है।

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