Chhath Puja 2022 : चार दिनी महापर्व का आज दूसरा दिन, व्रती कर रहे खरना, ये हैं विशेष मुहूर्त और विधि
Chhath Puja 2022 छठ पर्व में सूर्य उपासना का आज दूसरा दिन है। शुक्रवार को नहाय खाय मनाने के बाद आज व्रती खरना करेंगे। व्रती स्वच्छता के साथ कल सूर्यास्त की पूजा के लिए डलिया तैयार करेंगे जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रसाद रखे जाएंगे।
By Jagran NewsEdited By: Anil KushwahaUpdated: Sat, 29 Oct 2022 08:31 AM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Chhath Puja 2022 : छठ पर्व में सूर्य की उपासना का आज दूसरा दिन है। शुक्रवार को नहाय खाय मनाने के बाद आज व्रती खरना करेंगे। चार दिनों के इस महापर्व में आज भी व्रती स्वच्छता के साथ कल सूर्यास्त की पूजा के लिए डलिया तैयार करेंगे, जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रसाद रखे जाएंगे। स्वच्छता का विशेषकर ध्यान रखते हुए प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर ही बनेगा। छठ महापर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मुख्य तौर पर मनाया जाता है।
चार दिनों तक चलता है पर्व
छठ पूजा में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है और यह पर्व चार दिनों तक चलता है। सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र और महान योद्धा कर्ण ने की थी। मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव और छठी मईया की पूजा अर्चना करने निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।खरना का महत्व
खरना को लोहंडा भी कहती हैं। छठ पर्व में इस दिन का विशेष महत्व होता है। नहाय खाय वाले दिन घर को पवित्र कर व्रती अगले दिन की तैयारी करती हैं। जब खरना आता है तो सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं। इस दौरान अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। इस खीर को कुछ जगहों पर रसिया भी कहते हैं। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है। हालांकि शहरी इलाकों में मिट्टी के चूल्हे की उपलब्धता न हो पाने की स्थिति में कुछ लोग नए गैस चूल्हे पर भी इसे बनाते हैं पर चूल्हा नया हो और अशुद्ध न हो इसका खास ध्यान रखा जाता है।
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छठ पूजा का दूसरा दिन
छठ पूजा के दूसरे दिन यानी आज शनिवार को कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रती दिनभर का उपवास रखेंगे। इस दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन सुबह व्रती स्नान ध्यान करके पूरे दिन का व्रत रखते हैं। अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता है। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर बनाई जाती है। इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है।
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