Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

World Thyroid Day 2022 : बच्चों को भी होता है थायराइड, शारीरिक व मानसिक विकास पर पड़ता है असर, जन्म के बाद जांच जरूरी

World Thyroid Day 2022 थायराइड की समस्‍या धीरे धीरे बढ़ती जा रही है। आमतौर पर ये समस्‍या महिलाओं में सर्वाधिक होती है लेकिन अब यह बच्‍चों में भी पायी जाने लगी है। इससे बच्‍चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर असर पड़ता है।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Wed, 25 May 2022 01:45 PM (IST)
Hero Image
आमतौर पर थायराइड की समस्या महिलाओं में सर्वाधिक होती है, लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

अलीगढ़, जागरण संवाददाता। आमतौर पर थायराइड की समस्या महिलाओं में सर्वाधिक होती है, लेकिन अब बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, थायराइड का असर बच्चे के शारीरिक व मानसिक संपूर्ण विकास पर पड़ता है। कई बार बच्चों में मानसिक दिव्यांगता को जन्मजात मान लिया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में थायरायड हार्मोन की कमी भी इसका कारण बनती है। यदि प्रत्येक नवजात की जन्म के बाद थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) जांच बहुत जरूरी है। जागरूकता के लिए हर वर्ष 25 मई को ‘वर्ल्ड थायराइड डे’ मनाया जाता है।

10 प्रतिशत बच्चों में ही शुरुआती लक्षण

किलकारी हास्पिटल के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डा. विकास मेहरोत्रा बताते हैं कि थायराइड एक ग्रंथि हैं, जो हार्मोन का निर्माण करती है। प्रत्येक चार हजार में से एक नवजात में थायराइड हार्मोन की कमी पाई जाती है। शुरुआती लक्षण मात्र 10 प्रतिशत में ही नजर आते हैं। इसलिए जन्म के प्रथम सप्ताह में ही थायराइड की जांच अनिवार्य है। यह तीन से पांच दिन में हो जानी चाहिए। चिंताजनक बात ये है कि 24 घंटे के भीतर ही जच्चा-बच्चा को लोग घर ले जाते हैं। डा. मेहरोत्रा के अनुसार थायराइड हार्मोन का पता लगाने के लिए नाल के खून का सैंपल लेकर जांच कराई जाती है। खून में थायराइड हार्मोन 20 यूनिट प्रति मिली से कम होना चाहिए। यदि स्वजन जागरूक नहीं है तो बाल रोग विशेषज्ञों को स्वयं नवजात की टीएसएच जांच करानी चाहिए। इससे हम बच्चों को शारीरिक व मानसिक जटिलता से बचा सकते हैं। कई बार माता-पिता शिकायत करते हैं कि उनका बच्चा कक्षा में सबसे छोटा है। उसके कपड़ों या जूतों का साइज नहीं बढ़ रहा। जांच में पता चला है कि वे थायराइड से ग्रस्त थे। कुछ दिन के उपचार से ही ठीक हो गए।

गर्भवती महिला से शिशु को खतरा

मक्खनलाल हास्पिटल की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. अंजू गुप्ता बताती हैं कि यदि गर्भवती महिला के हाइपर थायराइडिज्म (अनियंत्रित थायराइड) की समस्या से ग्रस्त होे पर शिशु को भी थायराइड का खतरा रहता है। इसलिए हम फर्स्ट विजिट में ही गर्भवती की जरूरी जांच कराते हैं। कई बार तो गर्भवती को ही इसके बारे में पता नहीं होता। थायराइड ज्यादा बढ़ी होने पर हम स्क्रीनिंग टेस्टिंग कराते हैं। लेकिन, गर्भवतियों को स्वयं भी इसे लेकर सचेत रहना चाहिए। हार्ट रेट बढ़ना, गर्मी ज्यादा लगना और थकान, दिल की धड़कन अनियमित होना, बेचैनी, मतली और उल्टी गंभीर रूप से होना, हाथ कंपकंपाना, नींद में दिक्कत वजन गिरना या बढ़ने जैसे लक्षण दिखें तो उन्हें तुरंत जांच करानी चाहिए। यदि थायराइड कंट्रोल है तो होने वाले शिशु को कोई खतरा नहीं होगा।

बच्चों में हार्मोन कमी के लक्षण व प्रभाव

  • - शरारी का ढीला होना, चिड़चिड़ापन।
  • - वजन का बढ़ना, थकान, कमजोरी।
  • - पतली व कम आवाज में रोना।
  • - कब्ज होना, ठुड्डी का फूलना।
  • - पीलया का बढ़ना
  • - शरीर का ठंडा रहना या तापमान में कमी।
  • - उम्र के हिसाब से लंबाई का न बढ़ना।
  • - शारीरिक जटिलताएं।
  • - असामान्य व्यवहार।
लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें