YouTuber Auguste Chauhan: पुलिस जांच में अगस्ते के गो-प्रो कैमरे ने खाेली पूरी हकीकत, पिता की जताई आशंका हुई खारिज
YouTuber Auguste Chauhan Death Case यू-ट्यूबर अगस्ते की हत्या के आरोप जांच में मिले गलत। तीन मई को यमुना एक्सप्रेसवे पर राइडिंग के दौरान हुई थी यूट्यूबर अगस्ते चौहान की मृत्यु। पिता ने जताई थी हिट एंड की आशंका टप्पल थाने में हुआ था गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा। जांच में पुलिस को अगस्ते का गो-प्रो कैमरा बरामद हुआ था जिसमें बाइक की स्पीड 294 दिखी थी।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। यमुना एक्सप्रेस-वे पर राइडिंग के दौरान यूट्यूबर अगस्ते चौहान की हत्या के आरोप पुलिस की जांच में गलत पाए गए।
अगस्ते के गो प्रो कैमरे की वीडियो में 294 की स्पीड नजर आई थी। अन्य कैमरों में अगस्ते की बाइक के आसपास कोई नजर नहीं आया। ऐसे में माना गया कि अगस्ते की मृत्यु दुर्घटना थी। आमिर के दोस्तों के बयान, विशेषज्ञों की राय के बाद पुलिस ने गैर-इरादतन हत्या के मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट (एफआर) लगा दी।
राइड पर निकले थे दोस्त
देहरादून के कनाट प्लेट निवासी अगस्ते तीन मई को दिल्ली से यमुना एक्सप्रेस-वे पर आगरा की तरफ राइड पर निकले थे। साथ में अन्य रेसर आमिर माजिद, शेख जहीर, सूरज वर्मा, हेरिस खान, बियर बाइकर सैमी (सैमी घोष) और राइडर हिराक थे। बैकअप कार में दो दोस्त और थे।
सभी जेवर टोल से लौट गए। अगस्ते और आमिर आगरा की तरफ बढ़े। कुछ दूर जाकर टप्पल क्षेत्र में यूटर्न लिया। प्वाइंट 47 पर अगस्ते की मृत्यु हो गई। उनके सिर्फ सिर में चोट लगी थी। हेलमेट टूट गया था।
पिता ने दर्ज कराया था मुकदमा
अगस्ते के पिता जितेंद्र ने मुकदमा पंजीकृत कराया था। इसमें कहा था कि अगस्ते के साथ मौजूद दोस्तों में से किसी ने हादसे की सूचना नहीं दी। काफी देर बाद आमिर का फोन आया और गुमराह कर अलग-अलग बातें करता रहा। बाकी दोस्तों के नंबर बंद आ रहे थे। बाइक में मामूली खरोंच थीं। क्षतिग्रस्त नहीं थी। देखने पर नहीं लग रहा कि बाइक फिसली हो या उसका हादसा हुआ हो। पूरा अंदेशा है कि साजिश के तहत अगस्ते की हत्या हुई है।
बाइक की स्पीड 294 दिखी
पिता जितेंद्र ने आशंका जताई थी कि आमिर माजिद या किसी अन्य वाहन ने जानबूझकर टक्कर मारी है। बाद में पुलिस को अगस्ते का गो-प्रो कैमरा बरामद हुआ था, जिसमें बाइक की स्पीड 294 दिखी थी।
एसपी ग्रामीण पलाश बंसल ने बताया कि अगस्ते के साथ मौजूद रहे दोस्तों के बयान लिए। विशेषज्ञों की राय ली गई। कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला, जिससे हत्या साबित हो। इस आधार पर मुकदमे में एफआर लगा दी गई।