Goggle पर अपने तन और मन की बीमारी खोजने का युवाओं में नया रोग, क्या आप भी कर रहे ऐसा
डा. ईशान्या राज के अनुसार इन युवा और किशोरों के मनोविश्लेषण से पता चला कि इनमें अवसर तलाशने और लक्ष्य पाने की क्षमता तो काफी अधिक है लेकिन गूगल देखकर मन भटक रहा है। इनमें ईगो यानी अपने ज्ञान को लेकर घमंड भी ज्यादा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। मोबाइल फोन के आदी हो चुके युवाओं में अब एक नई परेशानी सामने आ रही है। पढ़ाई में मन न लगने पर युवा और किशोर इंटरनेट मीडिया पर इससे संबंधित कारण सर्च कर रहे हैं। स्वयं ही बीमारी की वैज्ञानिक पहचान कर मनोचिकित्सक के पास पहुंच रहे हैं और एडीएचडी (अटेंशन डिफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर) बताते हुए इलाज की अपेक्षा कर रहे हैं। मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग के दौरान कई किशोर ऐसे मिलते हैं जिनमें कोई बीमारी ही नहीं रहती।
प्रतिभाशाली हैं फिर भी मन में भटकाव, पहुंच रहे डाक्टरों के पास
काल्विन अस्पताल की मनोवैज्ञानिक ओपीडी में सोमवार को ऐसे तीन लोग अपने माता-पिता के साथ अलग-अलग समय पहुंचे। इनमें एक किशोरी भी थी जिसके पिता अर्धसैनिक बल में अधिकारी हैं। इन लोगों से बातचीत में पता चला कि वह एडीएचडी परेशानी मानकर मनोवैज्ञानिक थेरेपी के लिए आए हैं। डाक्टर से बताया कि उन्होंने गूगल पर अपनी परेशानी का कारण तलाशा है। मन स्थिर नहीं रहता, पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता। परीक्षा का समय निकट आता है तो यह परेशानी और भी बढ़ जाती है।
डा. ईशान्या राज के अनुसार इन युवा और किशोरों के मनोविश्लेषण से पता चला कि इनमें अवसर तलाशने और लक्ष्य पाने की क्षमता तो काफी अधिक है लेकिन गूगल देखकर मन भटक रहा है। इनमें ईगो यानी अपने ज्ञान को लेकर घमंड भी ज्यादा है। इस वजह से यह मनोरोगी होते जा रहे हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे गूगल पर बीमारियों की पहचान, कारण को तलाशने में समय न गंवाएं। मन पुस्तकों में लगाएं तो जीवन में उसका फायदा मिलेगा।