Kinnar Akhada : आचार्य महामंडलेश्वर ने कहा, धर्मांतरण के खिलाफ एकजुट हों धर्मगुरु Prayagraj News
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने प्रयागराज में अपने प्रवास के दौरानकहा कि किन्नरों का धर्मांतरण रोकने के लिए किन्नर अखाड़ा युद्धस्तर पर काम कर रहा है।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 14 Aug 2020 01:43 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। तिरस्कार, उपेक्षा व अभाव के कारण सनातन धर्म छोड़कर लोग दूसरा धर्म अपनाते हैं। धर्मांतरण करने पर उन्हें आर्थिक, सामाजिक व वैचारिक लाभ मिलता है। जो हम नहीं दे पाते, यह स्थिति चिंताजनक है। सनातन धर्म के सभी धर्मगुरुओं को धर्मांतरण के मुद्दे पर एकजुट होकर देशव्यापी मुहिम चलाना होगा। तभी इस समस्या का समाधान हो पाएगा। यह कहना है किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी का।
बोलीं-किन्नरों का धर्मांतरण रोकने के लिए अखाड़ा कर रहा काम प्रयागराज में प्रवास कर रहीं लक्ष्मीनारायण ने पत्रकारों से कहा कि किन्नरों का धर्मांतरण रोकने के लिए किन्नर अखाड़ा युद्धस्तर पर काम कर रहा है। इसके चलते किन्नरों का धर्मांतरण रुका है, साथ ही वह पुन: सनातन धर्म में लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने की जरूरत है। जब व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होगा तो उसका धर्म कोई परिवर्तन नहीं करा पाएगा।
अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद ने सम्मानित कियावहीं, अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद के महानगर अध्यक्ष राजीव कुमार पांडेय के नेतृत्व में लक्ष्मीनारायण का अभिनंदन किया गया। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर जल्द राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जाएगी। इस दौरान महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि, अभिनव उपाध्याय, राजीव मिश्र, आशीष केशरवानी मौजूद रहे।
हिंदू समाज को जागृत करने के लिए हुआ विहिप का गठन
विहिप के स्थापना दिवस के कार्यक्रमों की कड़ी में विश्वविद्यालय प्रखंड में आयोजन हुआ। इसमें संगठन के मीडिया प्रभारी अश्विनी मिश्र ने संगठन के निर्माण के उद्देश्यों को बताया। उन्होंने 1963 के त्रिनिदाद के सांसद शंभूनाथ कपिल देव से जुड़ा प्रसंग भी सुनाया। कहा कि सांसद शंभू नाथ कपिल देव भारत आए। विवाह एवं अन्य संस्कारों के लिए भारत सरकार से पुजारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्हेंं कोई सहायता नहीं मिली, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सहायता की।
1964 में कृष्ण जन्माष्टमी पर संगठन की स्थापना की गईसंगठन के मीडिया प्रभारी बोले कि तत्कालीन सर संघचालक माधव राव सदाशिव गोवलकर (गुरुजी) से मिले और एक वैश्विक हिंदू संगठन की आवश्यकता पर चर्चा की। काफी चिंतन के बाद यह बात सामने आई कि स्थानीय परंपराओं के आधार पर दूसरे देशों में रह रहे हिंदुओं को जोड़े रखना, अनेक संघर्ष के कारण उदासीन हिंदू समाज को जागृत करना, 1947 के बंटवारे की पीड़ा दोबारा न झेलनी पड़े समेत कई कारकों को दृष्टिगत करते हुए 1964 में कृष्ण जन्माष्टमी पर संगठन की स्थापना की गई। कार्यक्रम में गौरव जायसवाल, किशन जायसवाल, रजनीश प्रजापति, संजीव श्रीवास्तव, नवीन जायसवाल आदि उपस्थित रहे। वहीं प्रखंड में हुए कार्यक्रम में अमरनाथ, राजमणी मिश्र, ओमप्रकाश ओझा, उमेश मौजूद रहे। लोकमान्य प्रखंड, माधव प्रखंड, कल्याणी प्रखंड में भी कार्यक्रम हुए।
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