इलाहाबाद हाईकोर्ट ने की ज्ञानवापी केस की याचिका स्वीकार, ASI करेगा शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच; जानें मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ज्ञानवापी वाराणसी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच व साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआइ) को बिना क्षति पहुचाएं शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करने का आदेश दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmal PareekUpdated: Fri, 12 May 2023 04:57 PM (IST)
विधि संवाददाता, प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ज्ञानवापी, वाराणसी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच व साइंटिफिक सर्वे की मांग में दाखिल याचिका स्वीकार कर ली है। भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआइ) को बिना क्षति पहुचाएं शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच करने का आदेश दिया है।
वाराणसी की अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट की यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते कार्बन डेटिंग जांच कराने से इन्कार कर दिया था, इसे चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने वाराणसी की अदालत के आदेश को रद्द कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र ने लक्ष्मी देवी व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी व मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय ने पक्ष रखा। अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन हिंदू पक्ष से थे जबकि ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से एसएफए नकवी ने पक्ष रखा।
कोर्ट ने भारत सरकार के अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह से पूछा था कि क्या शिवलिंग को नुक्सान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग से जांच की जा सकती है, क्योंकि इस जांच से शिवलिंग की आयु का पता चलेगा। एएसआइ ने कहा बिना क्षति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच की जा सकती है।
ज्ञानवापी परिसर में 16 मई 2022 की कमीशन कार्यवाही के दौरान मिले कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे एएसआई से कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल वाद जिला अदालत वाराणसी ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रही है। ऐसे में सिविल कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार नहीं है।
जिला जज वाराणसी के 14 अक्टूबर 2022 के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर से यह सिविल रिवीजन दाखिल की गई। कोर्ट ने इसे दोनों पक्षों की बहस के बाद स्वीकार कर लिया है।
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