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UP News: गैंगस्टर एक्ट पर इलाहाबाद HC की टिप्पणी- 'एक ही केस होने पर एक्ट लगाना गलत नहीं'

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट को लेकर विशेष टिप्पणी की है। हाईकोर्ट को कहना है कि गैंगस्टर एक्ट के लिए लंबा आपराधिक इतिहास होना जरूरी नहीं है। अगर किसी पर एक ही केस है तो भी उस पर गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है। जांच के दौरान जुटे साक्ष्यों से अपराध की प्रकृति गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों के तहत है तो गैंगस्टर एक्ट में की गई कार्रवाई सही है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 11 Aug 2023 08:33 AM (IST)
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गैंगस्टर एक्ट पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी- 'एक ही केस होने पर एक्ट लगाना गलत नहीं'

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गैंगस्टर एक्ट लागू करने के लिए आपराधिक इतिहास का होना जरूरी नहीं है, एक आपराधिक केस पर भी कार्रवाई की जा सकती है। विवेचना के दौरान इकट्ठा साक्ष्यों से अपराध की प्रकृति गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों के तहत है तो गैंगस्टर एक्ट में की गई कार्रवाई सही है।

इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने राहत देने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने उस्मान, दो अन्य और मोहम्मद आजम की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।

पुलिस की कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती

याचियों के खिलाफ मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा थाने में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, खनिज अधिनियम सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज है। विवेचना के दौरान याची के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी प्राथमिकी दर्ज करते हुए कार्रवाई कर दी गई। याचियों ने पुलिस की इस कार्रवाई को चुनौती दी।

गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की ये है प्रक्रिया

याचियों की ओर से कहा गया कि जांच के दौरान गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह गैंगस्टर नियम की धारा 5(3)(सी), 8 और 10 के खिलाफ है। किसी केस की जांच पूरी होने के बाद ही गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि जांच के दौरान गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है। कोर्ट ने कहा, केवल एक केस के आधार पर गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की जा सकती है बल्कि जांच के दौरान भी गैंगस्टर एक्ट लगाया जा सकता है और इस विशेष अधिनियम के तहत आगे की कार्रवाई की जा सकती है।

प्रधान सरिता यादव को मिली राहत

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मीरजापुर के कोलाही की ग्राम प्रधान सरिता यादव को राहत दी है। कोर्ट ने एसडीएम सदर द्वारा दिए गए पुनर्मतगणना संबंधी आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही कहा है कि एसडीएम लंबित चुनावी याचिका चार महीने में तय करें। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने ग्राम प्रधान की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज (सदस्यगण, प्रधानों और उपप्रधानों) के चुनाव नियम के तहत प्रधान पद के सभी उम्मीदवारों/प्रतिवादीगणों को मतपेटी सील करने से लेकर मतपत्रों की गिनती तक हर चरण में पर्याप्त अवसर मिला।

मुख्तार अंसारी की अपील सुनवाई के लिए हुई स्वीकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के बहुचर्चित अवधेश राय हत्याकांड में मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ माफिया मुख्तार अंसारी की अपील सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत की पत्रावली तलब की है। प्रकरण में अगली सुनवाई 13 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति डा कौशल जयेंद्र ठाकर तथा न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने दिया है।