शराब की आनलाइन बिक्री की अनुमति देने से इलाहाबाद हाई कोर्ट का इनकार, याचिका की खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शराब की आनलाइन बिक्री से होम डिलीवरी की अनुमति की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि वह यह राज्य सरकार का नीतिगत मसला है फिलहाल शराब की आनलाइन बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती।
By Umesh TiwariEdited By: Updated: Thu, 12 Aug 2021 08:43 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शराब की आनलाइन बिक्री से होम डिलीवरी की अनुमति की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा है कि वह यह राज्य सरकार का नीतिगत मसला है, फिलहाल शराब की आनलाइन बिक्री की अनुमति नहीं दी जा सकती।
पेशे से अधिवक्ता याची का कहना था कि ऐसा करने से राजस्व में बढ़ोतरी होगी और सीनियर सिटिजन व ऐसे लोगों को सुविधा होगी जो दुकान पर जाकर शराब खरीदने में झिझकते हैं। कोर्ट ने कहा कि याची ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतर कारणों से आनलाइन बिक्री की मांग की है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एससी शर्मा की खंडपीठ ने अधिवक्ता गोपाल कृष्ण पांडेय की याचिका पर दिया है।याची का यह भी कहना था कि इससे कम खर्च में दुकान चलाई जा सकेगी। दूकान पर अनावश्यक भीड़ न होने से कानून व्यवस्था में भी सुधार होगा। याची अधिवक्ता ने तर्क दिया कि कुछ राज्य सरकारों ने शराब की आनलाइन बिक्री और होन डिलीवरी की अनुमति देने के लिए अधिसूचना जारी की है। राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता का कहना था कि सरकार आनलाइन बिक्री नहीं चाहती। यह सरकार का नीतिगत निर्णय है। कुछ राज्यों में कोरोना पीक पर था तो आनलाइन शराब बेचने की अनुमति दी गई। उत्तर प्रदेश में कोविड की दूसरी लहर भी जा चुकी है। इसलिए याचिका खारिज की जाए।
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने राज्य के राजस्व को बढ़ाने पर अपनी चिंता दिखाई है। इसमें शराब की अतिरिक्त खरीद होने की बात कही गई है। जैसा कि याचिकाकर्ता कहा कि इससे ऐसे लोग भी शराब खरीद सकते हैं, जो दुकान पर जाने में हिचकते हैं, लेकिन याचिका में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत भीड़ से बचने या फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने के कारण नहीं दिए गए हैं।
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