इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा- सिविल जज की शक्ति का इंस्पेक्टर कैसे कर रहा इस्तेमाल, क्या है बस्ती का मामला
याची की भूमि के कब्जे को लेकर विवाद है। कोर्ट ने अस्थाई निषेधाज्ञा जारी की। विपक्षी व इंस्पेक्टर की मिलीभगत से उसे भूमि संबंधी कागजात के साथ कोतवाली बुलाया। इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याची के अनुसार इंस्पेक्टर ने सिविल कोर्ट के अधिकार का अतिक्रमण किया है।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Tue, 14 Jun 2022 02:25 PM (IST)
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिविल जज के अस्थाई निषेधाज्ञा के बावजूद बस्ती जिले की कोतवाली इंचार्ज द्वारा याची को पेपर सहित हाजिर होने के आदेश पर रोक लगा दिया है। हाई कोर्ट ने कोतवाली इंस्पेक्टर को नोटिस जारी कर 11 जुलाई को स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है।
हाई कोर्ट ने एसपी बस्ती से भी व्यक्तिगत हलफनामा मांगा : हाई कोर्ट ने पूछा कि शक्ति का दुरुपयोग करने के लिए क्यों न उनके (बस्ती कोतवाली इंस्पेक्टर) खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही की जाए? यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने दिनेश कुमार यादव की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने एसपी बस्ती से भी व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि उनके अधीक्षण में इंस्पेक्टर ने सिविल जज की शक्ति का इस्तेमाल करने की कैसे कोशिश की?
इंस्पेक्टर पर सिविल कोर्ट के अधिकार के अतिक्रमण का आरोप : न्यायालय ने कहा कि यदि हलफनामा दाखिल नहीं किया गया तो एसपी भी हाजिर हों। कोर्ट ने सिविल जज को भी निषेधाज्ञा अर्जी पर नियमानुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया है। याची को बेदखल करने तथा थाने जाने पर रोक लगा दी है। मामले के अनुसार याची की कप्तानगंज के कटरा खुर्द गांव की भूमि के कब्जे को लेकर विवाद है। कोर्ट ने अस्थाई निषेधाज्ञा जारी की है। विपक्षी व इंस्पेक्टर की मिलीभगत से याची को भूमि संबंधी कागजात के साथ कोतवाली बुलाया। इसे चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि इंस्पेक्टर ने सिविल कोर्ट के अधिकार का अतिक्रमण किया है।
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