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Allahabad University Clash: छात्र आंदोलन की आग में सुलगा पूरब का आक्सफोर्ड, सुरक्षाकर्मियों पर फायरिंग का आरोप

Allahabad University Violence इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि और छात्रसंघ बहाली को लेकर एक बार फिर छात्र आंदोलन शुरू हो गया है। सोमवार को छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच जमकर टकराव और आगजनी हुई। इस उपद्रव के बाद छात्र सुरक्षाकर्मियों पर फायरिंग का आरोप लगा रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 20 Dec 2022 11:19 AM (IST)
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विश्वविद्यालय परिसर में आगजनी के दौरान धू-धू कर जलते वाहन
जागरण संवाददाता, प्रयागराज: छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच सोमवार को टकराव और आगजनी के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक बार फिर छात्र आंदोलन को हवा मिल गई है। फीस वृद्धि और छात्रसंघ बहाली को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे छात्रों की मांग अनसुनी करने और उन पर मुकदमे लादे जाने से छात्र पहले से ही नाराज थे। छात्रनेता विवेकानंद पाठक का सिर फटने की घटना ने आग में घी का काम किया। छात्रों के आक्रोश के पीछे इवि के छात्रसंघ भवन गेट पर लटका ताला भी था, जो कई उग्र आंदोलनों की शुरुआत की वजह बना।

पहले भी छात्र कर चुके हैं आत्मदाह की कोशिश

आपको बता दें सोमवार को पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की वजह भी यही गेट बना। छात्रसंघ बहाली और फीस वृद्धि को लेकर छात्र पिछले चार महीने से आंदोलन कर रहे हैं। दो बार छात्र आत्मदाह की कोशिश भी कर चुके हैं। कई बार कुलपति कार्यालय पर छात्रों ने भारी उपद्रव भी किया पर छात्रों ने कभी हिंसा का सहारा नहीं लिया था। प्रदर्शनकारी छात्रों पर इवि की ओर से दर्जनों मुकदमे लादे गए थे। कुलपति एक बार भी छात्रों से वार्ता के लिए नहीं आईं। यह मामला लोकसभा में भी उठाया जा चुका है।

छात्रों ने लगाया सुरक्षाकर्मियों पर आरोप

इस बीच छात्रों ने आमरण अनशन खत्म कर इसको पूर्णकालिक अनशन में बदल दिया था। विश्वविद्यालय में कई दिनों से धरना-प्रदर्शन भी नहीं हो रहे थे। विश्वविद्यालय में एक जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित था। इस बीच इवि प्रशासन की लापरवाही ने कैंपस को हिंसा की चपेट में ला दिया। शांत बैठे छात्रों को आंदोलन का एक नया रास्ता मिल गया है। छात्रों का सवाल है कि छात्रसंघ गेट से कार के साथ अंदर गए छात्रनेता विवेकानंद पाठक से हुए विवाद के बाद प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्य जब मौके से चले गए थे तो कुछ देर बाद सुरक्षाकर्मियों की फौज को छात्रसंघ भवन पर क्यों भेजा गया? आरोप है कि सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों को दौड़ाकर पीटा। इसके जवाब में छात्रों ने भी पथराव शुरू कर दिया था। विश्वविद्यालय के इस अदूरदर्शी फैसले पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं इस उपद्रव के बाद छात्र सुरक्षाकर्मियों पर फायरिंग का आरोप लगा रहे हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रों पर।

अवकाश न होता तो और उग्र होता आंदोलन

बता दें इस समय विश्वविद्यालय ने 2 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश घोषित कर रखा है। इसकी वजह से छात्रावासों में रहने वाले ज्यादातर छात्र घर चले गए हैं। विश्वविद्यालय में बवाल के बाद छात्रावासों से छात्रों को बुलाया गया तो एसएसएल, केपीयूसी, हालैंड हाल, डायमंड जुबली, ताराचंद, शताब्दी छात्रावासों से छात्र दौड़ पड़े। लेकिन यह संख्या एक चौथाई भी नहीं थी। छात्रावासों से निकलकर सड़कों पर एकजुट छात्रों को पुलिस ने इवि के अंदर नहीं जाने दिया।

दहशत में रहे विश्वविद्यालय के कर्मचारी

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार छात्रों का हूजूम जब इवि कैंपस में घुसा तो पुलिस के सैकड़ों जवान भी साथ-साथ थे। पुलिस छात्रों को समझाने की कोशिश कर रही थी और छात्र आक्रामक थे। विश्वविद्यालय के कई गेटों पर ताला जड़ दिया गया था। परीक्षा नियंत्रक कार्यालय और कुलपति कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी अंदर दुबके रहे। इस दौरान वहां खड़ी मोटरसाइकिलों में आगजनी की गई। नार्थ हाल के बाहर लगे गमले तहस-नहस कर दिए।

केंद्रीय पुस्तकालय के पास छिपे रहे सुरक्षाकर्मी

दलबल के साथ छात्रों को खदेड़ने वाले सुरक्षाकर्मियों को इस तरह से पलटवार का अंदाजा नहीं था। कुलपति कार्यालय के रास्ते छात्र लाइब्रेरी गेट की ओर बढ़े तो वहां सुरक्षाकर्मी खड़े थे। छात्रों के आक्रोश को देखते हुए सुरक्षाकर्मी वहां से जान बचाकर भागे और पार्क में इकठ्ठा हो गए। कुछ छात्रों ने पत्थर फेंके तो वह भागकर अंग्रेजी विभाग में छिप गए। डीएम के सामने भी कुछ कार के शीशे तोड़े गए।

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