'मेरी गर्दन काट दो, मैं तुम्हारा जीवन बदल दूंगा', आशीष दीक्षित ने दैवीय शक्ति के लिए चेले से चढ़वा दी अपनी बलि
आशीष दीक्षित ने दैवीय शक्ति के लिए अपने चेले हरिद्वार के नितिन से अपना कत्ल करा दिया था। चेले से बोला था कि अपनी बलि देने से मुझे सिद्धी मिल जाएगी। उसने नितिन को भविष्य सुधारने का भरोसा दिया था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कत्ल की यह घटना बेहद चौंकाने वाली है। पुलिस अधिकारी भी हैरान हैं। मीरजापुर मार्ग के किनारे करछना इलाके में झाड़ियों के बीच आशीष दीक्षित की हत्या के छह दिन बाद पुलिस ने हरिद्वार में नीतीश सैनी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में दैवीय शक्ति प्राप्त करने के लिए आशीष द्वारा अपनी बलि देने का मामला सामने आया। मरने के बाद दोबारा जीवित होने का दावा करने वाले आशीष के कहने पर नीतीश ने चापड़ से उसकी गर्दन काट दी और हरिद्वार भाग गया था।
झाड़ियों में मिला था आशीष दीक्षित का शव
नैनी में अरैल निवासी 37 वर्षीय आशीष दीक्षित की लाश 10 दिसंबर को करछना में गधियांव की झाड़ियों में मिली थी। भाई रवि ने मुकेश पाल के खिलाफ मुकदमा लिखाया जिससे आशीष ने 15 लाख रुपये उधार लिए थे। पुलिस ने मुकेश को पकड़ा लेकिन वह बेकसूर निकला। पत्नी सुमन भी कुछ नहीं बता पा रही थी। फिर पुलिस ने मोबाइल काल डिटेल के जरिए हरिद्वार में लश्कर के निरंजनपुर गांव में छापा मारकर नीतीश सैनी को पकड़ा जिसने आशीष की मौत (कत्ल) का पूरा किस्सा सुनाया।
बकायेदारों से बचने के लिए साधु वेश में रहने लगा था आशीष
डीसीपी यमुनानगर सौरभ दीक्षित के मुताबिक, आशीष ने राजनीतिक दल बनाकर कई लोगों से 35 लाख रुपये कर्ज ले रखा था। बकायेदारों से बचने के लिए वह मई महीने में हरिद्वार जाकर साधु वेश में रहने लगा। वहां गंगा स्नान के दौरान उसे 22 साल का नीतिश सैनी मिला था। उसने तंत्र-मंत्र से भविष्य सुधारने का भरोसा देकर नीतीश को साथ रख लिया। नीतीश के साथ वह दिसंबर के पहले हफ्ते में प्रयागराज आया। यहां होटल में एक दिन ठहरने के बाद वे दोनों वाराणसी गए। वहां पूजा सामग्री के साथ एक चापड़ भी खरीदा। आठ दिसंबर को विंध्याचल धाम गए। पैसे खत्म हो गए थे इसलिए पैदल चलकर नौ दिसंबर की रात करछना के गधियांव पहुंचे।
जीवन कर दिया तबाह
आशीष के कहने पर उसकी बलि यानी कत्ल करने का आरोपित नीतीश पुलिस कस्टडी में पछता रहा था। कहा कि वह नौकरी छूटने से परेशान था। अब जेल में सड़ना पड़ेगा।
नेतागिरी के सपने ने डुबोया
महत्वाकांक्षा राजनेता बनने की थी, इसीलिए आशीष ने जनाधार शक्ति पार्टी नामक राजनीतिक दल बनाया। विधानसभा चुनाव में प्रतापपुर से प्रत्याशी भी उतारा, लेकिन कर्ज के बोझ तले दबता गया। आखिर में जेब में चवन्नी नहीं रह गई। हरिद्वार से प्रयागराज आए तो पैसों के लिए आशीष ने अपना मोबाइल 32 सौ रुपये में बेच दिया था। चार दिन वाराणसी रहकर विंध्याचल पहुंचे तो इतना भी पैसा नहीं था कि प्रयागराज जा सकें।
गला काट चले जाना हरिद्वार
मीरजापुर मार्ग किनारे झाड़ी में जाकर आशीष ने नीतीश से कहा कि मैं सिद्धी प्राप्त करना चाहता हूं। इसके लिए अपनी बलि दूंगा। मैं दोबारा जीवित होकर तुम्हारा जीवन बदल दूंगा। नीतीश को चापड़ देकर कहा कि बेहोश होने पर गला काटकर मुझे मार देना। फिर तुम प्रयागराज रेलवे स्टेशन चले जाना। मैं घंटे भर में वहां नहीं आऊं तो हरिद्वार निकल जाना। मैं दोबारा जीवित होकर मां कामाख्या देवी का दर्शन कर हरिद्वार में तुमसे मिलूंगा।