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Atiq Ahmed: '65 वकीलों को देता हूं तनख्वाह', जो जमीन या मकान पसंद आता, उस पर कर लेता था कब्जा

रजिस्ट्री करे कोई पैसा अतीक के खाते में फूलपुर से सपा के पूर्व विधायक सईद अहमद ने सिविल लाइंस स्थित अपने मकान के पीछे की जमीन की रजिस्ट्री की तो उसका पैसा अतीक अहमद के खाते में जमा हो जाता है। इस मामले का मुकदमा आज भी विचाराधीन है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 21 Apr 2023 07:16 AM (IST)
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Atiq Ahmed: 65 वकीलों को देता हूं तनख्वाह, जो जमीन या मकान पसंद आता, उस पर कर लेता था कब्जा
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अतीक अब नहीं रहा, लेकिन उसके माफियाराज के किस्से चर्चा में हैं। वह जमीन पर कब्जा करता और कहीं किसी और ने कब्जा कर रखा है तो उसे बलपूर्वक हटाकर खुद हड़प लेता था। उसने शूटर और गुंडे ही नहीं महीने की तनख्वाह पर वकीलों की फौज भी तैयार कर रखी थी। एक बार उसने खुद कहा था कि वह 65 वकीलों को तनख्वाह देता है। तब आलम यह था कि लोग अपनी जमीन ही अपनी मनचाही कीमत पर नहीं बेच सकते थे। अतीक की अनुमति जरूरी थी।पहले इस एक घटना के बारे में जानिए। लोक सेवा आयोग के सामने पूर्व सांसद जंग बहादुर पटेल की जमीन पर अवैध कब्जा था। उस जमीन को खाली कराने के लिए अतीक दल-बल के साथ पहुंचा तो वहां कुछ अधिवक्ता मौजूद थे।

मैं खुद तनख्वाह देता हूं

अधिवक्ता साहब लोग, 65 वकीलों को मैं खुद तनख्वाह देता हूं। आपको अगर कोई समस्या होगी तो बताइएगा, यह जमीन हमारे गुरु की है। माफिया का इतना बोलना था कि वकील समेत बाकी लोग वहां से हट गए। करोड़ों रुपये कीमत की जमीन कब्जा मुक्त हो जाती है।

एक दौर था जब माफिया अतीक और उसके गुर्गों का खौफ इतना था कि लोग अपनी जमीन बिना उसकी अनुमति के बेच नहीं सकते थे। माफिया अतीक के गुर्गों को जो भी जमीन, दुकान, मकान पसंद आ जाता था। उसके बारे में अतीक को बताते थे। फिर अतीक उस प्रापर्टी पर अपने हिसाब से रेट तय करता था। माफिया पैसा देने के बाद उस संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं कराता था। जो पैसा नही लेते उनको धमकी देता था कि बिना मेरे कहे इसको बेचा नहीं जा सकेगा। इतना ही नहीं, उस दौर में शहर के धूमनगंज, करेली, खुल्दाबाद, लूकरगंज, सिविल लाइन, जार्जटाउन से लेकर झूंसी और नैनी तक कोई बड़ी जमीन या मकान कोई बेचता था तो उसका खरीदार ग्राहक अतीक की परमिशन मिले बिना पैसा नहीं देता थे।

कई बार ऐसा होता था रजिस्ट्री करने के बाद उन्हें पता चलता था कि यह जगह पहले से अतीक गैंग को पसंद आ चुका है। ऐसे में रजिस्ट्री रद करनी पड़ती थी।अकूत संपत्ति बनाने वाला माफिया अतीक कोई भी संपत्ति की रजिस्ट्री अपने नाम नही कराता था। अगर कोई जमीन या मकान पसंद आ गया है तो पैसा देकर बिना रजिस्ट्री कराए ही उसको ले लेता था। बाद में अगर बेचना हो तो पैसा देने वाले को बुलाकर दूसरे के नाम रजिस्ट्री एग्रीमेंट करवा देता था।

मौके पर बुला लेता था रजिस्ट्री दफ्तर

शहर क्षेत्र की किसी बड़ी जमीन की खरीद-फरोख्त करनी होती तो अतीक के आदेश पर पूरा रजिस्ट्री दफ्तर वहां आ जाता था। पूरे संसाधनों के साथ रजिस्ट्री दफ्तर मौके पर सक्रिय हो जाता। खरीदार और विक्रेता की उपस्थिति में वहीं सौदा तय होता और रजिस्ट्री व एग्रीमेंट हो जाता था।

रजिस्ट्री के कोई पैसा अतीक के खाते में

फूलपुर से सपा के पूर्व विधायक सईद अहमद ने सिविल लाइंस स्थित अपने मकान के पीछे की जमीन की रजिस्ट्री की तो उसका पैसा अतीक अहमद के खाते में जमा हो जाता है। इस मामले का मुकदमा आज भी विचाराधीन है। रजिस्ट्री लेने वालों में कई भाजपा नेता के भी नाम शामिल है।

अच्छा लगा कोल्ड स्टोर तो कर लिया कब्जा

माफिया को जो भी चीज पसंद आ जाती थी, उसे किसी भी कीमत पर हासिल कर लेता था। झूंसी स्थित सुशील ओझा का कोल्ड स्टोरेज अच्छा लगा तो उस पर अपना हक और कब्जा जमा लिया। जिसका मुकदमा न्यायालय में आज भी विचाराधीन है। पता चलने पर अतीक की बेनामी संपत्ति होने के कारण प्रशासन द्वारा ढहा दिया गया था।

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