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Atique Ahmed: पहली बार हुई सजा, साबरमती जेल में क्यों बंद रहा अतीक अहमद? गिरफ्तारी से पहले खूब हुआ था नाटक

साल 2006 में हुए उमेश पाल के अपहरण के मामले में दोषी साबित अतीक अहमद को आज एमपी/एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह सजा माफिया की पहली सजा है। इसके पहले किसी भी मुकदमे में अतीक को सजा नहीं हो सकी।

By Shivam YadavEdited By: Shivam YadavUpdated: Tue, 28 Mar 2023 08:41 PM (IST)
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अतीक अहमद के खिलाफ 102 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 57 मुकदमों की सुनवाई चल रही है।
नई दिल्ली, जागरण ऑनलाइन डेस्क। पहले माफिया फिर विधायक और सांसद से अब कैदी बन चुके अतीक अहमद को 44 सालों में पहली बार सजा सुनाई गई है। साल 1979 से अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा, तब से लेकर आज तक अतीक अहमद के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हुए हैं, जिनमें 57 मुकदमों की सुनवाई चल रही है।

साल 2006 में हुए उमेश पाल के अपहरण के मामले में दोषी साबित अतीक अहमद को आज एमपी/एमएलए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह माफिया की पहली सजा है। इसके पहले किसी भी मुकदमे में अतीक को सजा नहीं हो सकी थी। अधिकतर मुकदमों में गवाह बनाए गए लोग अपने बयानों से मुकर गए या मार दिए गए या फिर गवाही देने कोर्ट ही नहीं पहुंच पाए।

कैसे और कब हुई अतीक अहमद की गिरफ्तारी?

गुंडागर्दी और राजनीति से अपना रसूख बना चुके अतीक अहमद की प्रयागराज में तूती बोलती थी। हालात यह थे कि अतीक के नाम रंगदारी, वसूली का खेल भी चलने लगा था। अतीक के नजदीकी लोग अपनी पहुंच का फायदा उठाकर वे काम भी करने लगे थे, जो कि नियमों को तोड़ने वाले हुआ करते थे।

शियाट्‌स कॉलेज में काटा था बवाल

साल 2016 और महीना जून का था। उस समय सैम हिगिन बाटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शियाट्स) कॉलेज में सेमेस्टर परीक्षाएं चल रही थीं। परीक्षा के दौरान बीटेक के दो छात्र मो. सैफ सिद्दिकी व शाबिक अहमद नकल करते पकड़े गए, जिसके कारण इन दोनों पर कार्रवाई की गई।

इससे नाराज दोनों छात्रों ने साथियों के साथ 22 नवंबर 2016 को शियाट्स परिसर में ही कॉलेज के प्रोफेसर तेजस जैकब की पिटाई कर फायरिंग की। मामले में नैनी कोतवाली में सैफ व शाकिब के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हुई और शियाट्स प्रशासन ने छात्रों को संस्थान से निकाल दिया।

सीसीटीवी फुटेज से सामने आया असली चेहरा

ये दोनों ही छात्र अतीक के जानने वाले थे। काॅलेज की कार्रवाई की भनक अतीक को लगी तो वह आग बबूला हो उठा और 14 दिसंबर को अपने लाव-लश्कर के साथ कॉलेज परिसर में पहुंच बलवा काट दिया। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज जारी कर दी, जिससे अतीक का असली चेहरा सबके सामने आ गया।

सपा का टिकट मिला, लेकिन कट गया

इस समय अतीक को सपा का टिकट भी मिल चुका था, लेकिन समय बीतने के साथ जब अतीक का नाम गुंडों की लिस्ट में ऊपर आने लगा तो अखिलेश यादव ने अतीक का टिकट काट दिया, जिसके बाद यह मान लिया गया कि अतीक अब नहीं बचेगा, लेकिन गिरफ्तारी  तब भी नहीं हुई।

सपा का टिकट कटने से अतीक को काफी नुकसान हो गया था, इससे शियाट्स के प्रॉक्टर राम किशन सिंह में डर समा गया था और उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुरक्षा के लिए याचिका दायर की। केस की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ करने लगी। इसी बीच अतीक ने स्पेशल सीजेएम कोर्ट में समर्पण की अर्जी दे दी। 

हाईकोर्ट ने अतीक अहमद की क्रिमिनल हिस्ट्री मांगी और कहा कि अतीक को सरेंडर करने या इससे संबंधित मामला सीधे हाईकोर्ट की देखरेख में हो। डरे हुए प्रॉक्टर ने अपनी याचिका वापस लेनी चाही मगर तब तक देर हो चुकी थी। हाईकोर्ट ने याचिका को वापस करने से अस्वीकार कर इसे जनहित याचिका में बदल दिया।

हाईकोर्ट ने कसा पेंच तो गिरफ्तार हुआ अतीक

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बाहुबली अतीक अहमद को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इसे नाटकीय ढंग से सरेंडर का नाम दिया गया। इसके बाद अतीक अहमद फिर से जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया। इससे पहले वह राजू पाल हत्याकांड मामले में आरोपी बनाया गया था, लेकिन वह जमानत पर बाहर घूम रहा था।

अतीक अहमद साबरमती जेल में क्यों बंद है?

माफिया अतीक अहमद को साल 2019 में प्रयागराज की नैनी जेल से गुजरात की साबरमती हाई सिक्योरिटी सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया। उस समय अतीक अहमद ने सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए कहा था कि यूपी के जेलों में उसकी जान को खतरा है। इसके बाद शीर्ष कोर्ट के आदेश पर उसे साबरमती जेल भेज दिया गया।

साल 2018 के दिसंबर महीने में उत्तर प्रदेश के एक व्यावसायी मोहित जायसवाल ने अतीक अहमद पर आरोप लगाया था कि उसे अतीक की गैंग ने लखनऊ के गोमती नगर से उठाया और देवरिया जेल में ले जाकर पीटा और रंगदारी मांगी गई। मोहित के आरोपों के मुताबिक, घटना के दौरान अतीक अहमद और उसके बेटे भी मौजूद थे।

देवरिया से बरेली फिर नैनी के बाद साबरमती

व्यावसायी मोहित जायसवाल का मामला जब मीडिया में उछला तो अतीक अहमद को देवरिया जेल से बरेली शिफ्ट किया गया। इसके बाद वह प्रयागराज की नैनी जेल में लाया गया। तब अतीक अहमद अपनी जान बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गिड़िगिड़ाने लगा और उसे साबरमती जेल भेज दिया गया।

उल्लेखनीय है माफिया अतीक अहमद 1989 से 2004 तक इलाहाबाद वेस्ट सीट से पांच बार विधायक और 2004 से 2009 तक फूलपुर सीट से एक बार सांसद रह चुका है। 

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