आप भी जानिए, ग्रेनाइट पिलर्स पर खड़ा विश्व का पहला मंदिर है प्रतापगढ़ स्थित भक्तिधाम मनगढ़
मनगढ़ में भक्तिधाम मंदिर जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने बनवाया था। 26 अक्टूबर सन् 1996 में उन्होंने इसकी नींव रखी थी। अहमदाबाद के मशहूर आर्किटेक्ट ने मंदिर को सन् 2005 में तैयार किया था जिसका उसी वर्ष नवंबर माह की 17 तारीख को कृपालु जी महाराज ने उद्घाटन किया था।
By Ankur TripathiEdited By: Updated: Fri, 22 Jan 2021 03:00 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील के मनगढ़ ग्राम स्थित भक्तिधाम मंदिर श्रीकृष्ण के प्रति अगाध श्रद्धा, प्रेम और भक्ति को दर्शाने वाला दिव्य धाम है। प्रयागराज से लखनऊ जाने वाले राजमार्ग से मंदिर की कुल दूरी करीब छह किलोमीटर है जो कुंडा से उत्तर दिशा में खनवारी जाने वाले मार्ग पर स्थित है। मंदिर में राधा-कृष्ण के दर्शन के लिए साल भर देश-विदेश से श्रद्धालुओं का आवागमन होता है।
जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने बनवाया था मंदिरमनगढ़ में भक्तिधाम मंदिर जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने बनवाया था। 26 अक्टूबर सन् 1996 में उन्होंने इसकी नींव रखी थी। अहमदाबाद के मशहूर आर्किटेक्ट ने भक्ति और श्रद्धा का भाव समेटे इस मंदिर को सन् 2005 में तैयार किया था जिसका उसी वर्ष नवंबर माह की 17 तारीख को कृपालु जी महाराज ने उद्घाटन भी किया था। कृपालु जी महाराज का जन्म 05 अक्टूबर 1922 में मनगढ़ ग्राम में ही हुआ था। बताते हैं कि जहां आज भक्ति धाम मंदिर है वहीं कभी उनका घर हुआ करता था।
जमीन से 108 फीट है भक्तिधाम मंदिर की ऊंचाईजमीन से 108 फिट ऊंचे इस मंदिर की दीवारों में हाथ से भव्य नक्काशी की गई है जिसकी छटा देखते ही बनती है। वर्तमान में मंदिर का प्रबंधन करने वाली संस्था श्री कृपालु जी परिषत् के सचिव हिरण्यमय चटर्जी के मुताबिक 'भक्तिधाम मनगढ़Ó विश्व का पहला ऐसा मंदिर है जो ग्रेनाइट के पिलर्स पर खड़ा है। इस मंदिर को अहमदाबाद के मशहूर आर्किटेक्ट ने बनाया था। मुख्य दरवाजे चंदन की लकड़ी के बने हुए हैं।
बेजोड़ स्थापत्य का नमूना, मन मोह लेते हैं राधा-कृष्ण के प्रसंगबाबागंज विकास खंड के मनगढ़ गांव स्थित भक्तिधाम बेजोड़ स्थापत्य कला का नमूना है। मंदिर की बाहरी दीवारें गुलाबी बलुई पत्थरों से बनी हैं जिनमें बेहतरीन चित्रकारी की गई है। जबकि भीतर बरामदे और मंदिर की छत में मकराना मार्बल और ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है। दो तल के इस मंदिर में तीन मुख्य द्वार हैं जो मंदिर के तीन तरफ खुलते हैं जबकि मुख्य हाल में तकरीबन ढाई दर्जन दरवाजे हैं। दीवारों पर उत्कीर्ण राधा-कृष्ण के जीवन से संबंधित मधुर प्रसंग यहां आने वाले हर किसी श्रद्धालु का मन मोह लेते हैं।
राधा-कृष्ण संग यहां पर होते हैं सीता-राम के भी दर्शनमंदिर के निचले तल के मुख्य हाल में श्रीकृष्ण और राधारानी के साथ उनकी आठ करीबी सखियों 'अष्ट महासखीÓ के जीवन प्रसंगों का सुदंर चित्रण किया गया है जबकि मंदिर के पहले तल पर सीता-राम, राधारानी व कृष्ण-बलराम से जुडे प्रसंगों को प्रदर्शित किया गया है। मुख्य भवन में दो खंड हैं। एक में श्रीकृष्ण और राधारानी के जीवन चरित्र से जुड़े प्रसंग और दूसरे में जगद्गुरु कृपालु जी महाराज के जीवन से जुड़े प्रसंगों को प्रदर्शित किया गया है।
धूमधाम से मनाई जाती है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधाअष्टमीभक्तिधाम मंदिर में राधा अष्टमी और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है। गुरु पूर्णिमा पर मास पर्यन्त तक सत्संग का आयोजन होता है। इन मौकों पर देश-विदेश से राधा-कृष्ण के भक्त और कृपालु जी महाराज के शिष्य भारी संख्या में जुटते हैं। मंदिर प्रांगण तकरीबन तीन किलोमीटर क्षेत्रफल में विस्तारित है। वर्तमान में इस मंदिर का प्रबंधन जगद्गुरु कृपालु परिषत् करता है जिसका संचालन उनकी बेटियां डा. विशाखा त्रिपाठी, डा. श्यामा और डा. कृष्णा त्रिपाठी करती हैं।
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