12 साल बाद गंगा में दिखने लगी है बड़ी झींगा मछली
आस्था की प्रतीक गंगा के मध्य क्षेत्र (मिडिल स्ट्रेच) में बड़ी झींगा मछली मिली है।
मृत्युंजय मिश्र, प्रयागराज
आस्था की प्रतीक गंगा के मध्य क्षेत्र (मिडिल स्ट्रेच) में बड़ी झींगा मछली (माइक्रो ब्रैकियम रोजनबर्गी) एक बार फिर नजर आने लगी है। प्रयागराज से वाराणसी तक 12 वर्षो बाद बड़े झींगे दिखने से विज्ञानी उत्साहित हैं। नदी पर्यावास के लिए इनको सुखद संकेत माना जा रहा है। इनके डीएनए का अध्ययन चल रहा है, जिससे पता लगेगा कि यह वही झींगा है जो पहले मिलता था अथवा कोई नई प्रजाति विकसित हुई है।
केंद्रीय अंतरस्थलीय मात्सि्यकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) प्रयागराज केंद्र के विज्ञानी डा. अबसार आलम गंगा के उस हिस्से में मिलने वाली मछलियों की प्रजाति पर अध्ययन कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश में आता है। उनका कहना है कि पहले गंगा में कानपुर से पटना तक बड़े झींगों की संख्या काफी अधिक थी। शिकार, प्रदूषण और बंगाल के फरक्का में गंगा पर बांध बनने से इनकी संख्या लगातार कमी आई। 2009-10 से बड़ा झींगा नहीं दिखाई दे रहा था, लेकिन कोरोना काल में प्रदूषण कम होने पर यह नजर आने लगा। संस्थान के विज्ञानी इसकी डीएनए संरचना का अध्ययन कर रहे हैं, ताकि संवर्धन की संभावनाएं तलाश की जा सकें। प्रजनन के लिए लंबी यात्रा
डा. आलम ने बताया कि बड़ा झींगा खारे और मीठे दोनों तरह के पानी में रह सकता है। प्रजनन के लिए यह खारे पानी से मीठे पानी में आता है और अंडे देकर वापस खारे पानी में चला जाता है। जीवनकाल में बड़ा झींगा गंगासागर से लेकर प्रयागराज तक सैकड़ों किलोमीटर की उल्टी दिशा में यात्रा करता है। अंडे से बच्चे निकलते हैं और गंगा के रास्ते गंगासागर पहुंच कर खारे पानी में चले जाते हैं।
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पानी स्वच्छ होना भी वजह
कोरोना काल में लगा लाकडाउन भी गंगा में बड़ा झींगा के लिए अनुकूल बना। लाकडाउन में फैक्ट्रियों के बंद होने से पानी में प्रदूषण कम हो गया था। गंगेय डाल्फिन भी इस दौरान नजर आई थी। पानी साफ होने से बड़े झींगे को संख्या बढ़ाने के लिए बेहतर माहौल मिला और अब यह दिखाई दे रहे हैं। माना जा रहा है कि झींगा तटवर्ती इलाकों में रहने वालों का जीवन स्तर आर्थिक तौर पर समृद्ध कर सकेगा। काफी जीवट होता है बड़ा झींगा
बड़ी झींगा मछलियों में प्रजनन क्षमता अधिक होती है, और यह काफी लंबे समय तक जीवित रहता है। अनुकूल माहौल मिलने पर यह काफी तेजी से संख्या बढ़ा सकता है। यह सर्वाहारी होते हैं। इनके आहार में मछलियां, घोंघे, कृमियां पौधे शामिल हैं। नदी पर्यावास में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।