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Chess के ग्रैंड मास्टर Abhijit Kunte प्रयागराज में बोले- शतरंज में भारत बन रहा है सुपर पावर

शतरंज के ग्रैंड मास्‍टर अभिजीत कुंते का प्रयागराज आगमन हुआ। वे नैनी जेल में शतरंज खेलने वाले कैदियों से मिलने आए थे। जेल में बंद कैदियों के लिए एक इंडियन आयल द्वारा विशेष शतरंज प्रतियोगिता पर काम कर रहे हैं। नैनी जेल के कैदियों ने प्रतियोगिता में क्वालीफाई किया है।

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaUpdated: Tue, 11 Oct 2022 11:06 AM (IST)
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शतरंज ग्रैंडमास्टर अभिजीत कुंते के साथ प्रयागराज जिला शतरंज एसोसिएशन के सचिव गौरव गर्ग।

जागरण संवाददाता, [अम्‍बरीश मनीष शुक्‍ल]। 1997 वें और वर्ष 2000 में दो स्वर्ण पदक (1997, 2000) और 1999, 2001, 2003, 2005 में चार कांस्य पदक जीतकर भारतीय शतरंज चैंपियनशिप (Indian Chess Championship) में कई बार हिस्सा लेने वाले चेस ग्रैंड मास्‍टर (Chess Grandmaster) अभिजीत कुंते (Abhijit Kunte) आज मंगलवार को प्रयागराज में हैं। एडिनबर्ग 2003 में ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप जीतने और कामनवेल्थ शतरंज चैंपियनशिप में दो पदक हासिल कर वह प्रसिद्ध हो गए थे।

अभिजीत कुंते की क्‍या है उपलब्धि : शतरंज के ग्रैंड मास्‍टर अभिजीत कुंते 1998 से 2004 तक शतरंज ओलंपियाड में चार बार भारत का प्रतिनिधित्व किया और एशियाई टीम शतरंज चैंपियनशिप में सात पदक जीतेने वाले खिलाड़ी हैं। वर्ष 2000 में वह ग्रैंडमास्टर बने। दैनिक जागरण संवाददाता के साथ खास मुलाकात में उन्होंने शतरंज से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। शतरंज को गांवों तक पहुंचने और बदलावों को लेकर अपनी विचार व्यक्त किए। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश।

प्रश्न - आज प्रयागराज कैसे आना हुआ ?

उत्तर- यहां हम नैनी जेल में शतरंज खेलने वाले कैदियों से मिलने आए थे। इस वक्त हम जेल में बंद कैदियों के लिए एक इंडियन आयल द्वारा विशेष शतरंज प्रतियोगिता पर काम कर रहे हैं, उसी सिलसिले में आज आना हुआ। नैनी जेल के कैदियों ने इस प्रतियोगिता में क्वालीफाई किया है। इस प्रतियोगिता में कैदियों को बाहर निकलने के बाद उनका आत्मविश्वास से जीने का मौका मिले। यह हमारे परिवर्तन योजना का हिस्सा है। यह चेस में ही हो सकता है क्योंकि यह आनलाइन भी खेला जा सकता है।

प्रश्न- भारत में शतरंज का क्या भविष्य आप देख रहे हैं ?

उत्तर- शतरंज के खेल में भारत दुनिया में टाप तीन कंट्री में जगह बना चुका है। इंडिया अब शतरंज ओलंपियाड में सुपर पावर बन चुका है, न सिर्फ हिस्सेदारी में बल्कि आयोजन में भी। चार महीने में हमने दुनिया का सबसे बड़ा टूर्नामेंट आयोजित किया। तमिलनाडु सबसे आगे है लेकिन, अब धीरे धीरे हर राज्य तक शतरंज पहुंच रहा है। शतरंज की शिक्षा ने जमीनी स्तर पर बहुत बड़ा बदलाव लाया है। अब 10 टूर्नामेंट ग्रैंड मास्टर के हो रहे हैं, इससे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिल रहा है। यह बहुत बड़ा बदलाव है।

प्रश्न- विश्वनाथन आनंद जैसे दूसरा खिलाड़ी देश को क्यों नहीं मिल रहा और क्या कभी मिलेगा ?

उत्तर- हर खेल में एक ऐसा खिलाड़ी आता है जो अलग ही ऊंचाई पर होता है। एक अलग स्तर के खिलाड़ी हैं, ऐसा प्लेयर रोज नहीं होता। जैसे क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर। अभी नई पीढ़ी में प्रज्ञानानंद, डीगुकेश, रौनक जैसे चार पांच बच्चे 16-17 की उम्र में आए हैं। इनसे हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह भविष्य में विश्व चैंपियन बनेंगे।

प्रश्न- महिलाओं को इस खेल में वह स्थान क्यों नहीं मिल रहा जो पुरुषों को मिल रहा है ?

उत्तर- महिलाओं का कम संख्या में आगे आना यह बहुत बड़ा चैलेंज हैं। महिलाओं के अलग से टूर्नामेंट न होना, बचपन से उन्हें आगे बढ़ने के लिए मौका न मिलना बहुत बड़ा कारण है। सामाजिक स्थिति, अकेले दूसरे शहरों में जाना जैसी स्थिति भी प्रभावित करती हैं। हम प्रयास कर रहे हैं कि महिला व पुरुष के लिए विजेता के लिए जो इनाम होगा वह दोनों एक बराबर होगा। महाराष्ट्र में स्टेट चैंपियनशिप से इसकी शुरूआत हमने की है। अभी बहुत प्रयास किए जाने हैं।

प्रश्न- भारत गांवों का देश है। शतरंज का स्तर गांव तक ही सीमित है, क्या करें कि गांव से प्रतिभा बाहर निकले ?

उत्तर- हम शंतरज की शिक्षा गांव गांव ले जाएं, इंटरनेट को माध्यम बनाए। सोशल मीडिया के साथ इंटरनेट का इस्तेमाल हम जमीनी स्तर पर कर के बदलाव ला सकते हैं। शतरंज में एक क्रांति आई है। इंटरनेट ने सब कुछ बदल दिया है। सन 2000 में हमारे पास तीन ग्रैंड मास्टर थे आज 76 हैं। यह बदलाव हैं। पहले शतरंज से संबंधित किताबें, शिक्षा सब कुछ बहुत महंगी थी। विदेश से किताबें मंगानी पड़ती थी। पर इंटरनेट से सबको एक लेवल पर ला दिया है। अभी हम कितना स्मार्ट यूज इसका करें और कितना कठिन परिश्रम करें यह हमारे ऊपर निर्भर करता है। अब भारत बहुत बड़ी सुपर पावर बन चुका है शतरंज में। अब चेंस का गेम पूरी दुनिया में कहीं भी बैठकर कोई भी देख और सुन सकता है। इंटरनेट का बहुत अच्छा इस्तेमाल हुआ। चेस ओलंपियाड को डेढ़ लाख लोग एक साथ इंटरनेट के जरिए देख रहे थे।

प्रश्न- शतरंज को युवा अपने करियर के रूप में कैसे दखें ?

उत्तर- यह बहुत अच्छा करियर है। जो भी ग्रैंड मास्टर हैं उन्हें खेल से अच्छा पैसा मिलता है। कोचिंग बढ़िया विकल्प है। सोशल मीडिया ने कमेंट्री, ब्लागर, लेखक के रूप में मौका दे रहा है। कंपनी, इवेंट मैनेजमेंट बनकर भी शतरंज के क्षेत्र में काम कर सकते हैं। इंडियन आयल, रेलवे, बैंक, एलआईसी आदि कंपनियां भी आपको अपने यहां नौकरी देकर अच्छा करियर देती हैं। हालांकि आप प्रोफशनल बनकर बहुत अच्छा करियर बना सकते हैं। यह आपको विश्वव्यापी करियर बनाने का मौका देता है।

प्रश्न- क्या संदेश देना चाहते हैं शंतरज के खिलाड़ियों और उनके माता पिता को ?

उत्तर- मेरे ख्याल से यह बहुत अच्छा खेल है। यह खेल प्रतिदिन जीवन में आपको एक नई ऊर्जा देगा । यह आपको शांत और बेहतर बनाता है। यह आपको सोचने समझने की शक्ति देता है। यह आपको कुछ करने के लिए प्रेरित करता है। यह आपको एकाग्र बनाता है। यह आपको फैसला लेने की क्षमता देता है। यह आपको अपनी कमियों, गलतियों और हार को स्वीकार्य करने की क्षमता पैदा करता है। यह आत्मबल बढ़ाता है। चेस ऐसा गेम है जो आपको हार से सीखने पर मजबूर करता है। उदाहरण से समझें कि अगर मैं कहूं कि मैं आपसे बहुत अधिक ताकतवर हूं तो आपको बुरा नहीं लगेगा लेकिन, मैं कहूं कि मैं आपसे बहुत अधिक बुद्धिमान हूं तो आपको बहुत बुरा लगेगा। शतरंज एक ऐसा खेल है जो पांच साल के बच्चे को भी मौका देता है कि वह पचास साल के खिलाड़ी को हरा सके और पचास साल के खिलाड़ी को मौका देता है किसी युवा को पराजित कर सके। यहां एक छोटी बच्ची किसी युवा पुरुष खिलाड़ी को हरा सकती है। यह जाति, धर्म, उम्र सबसे ऊपर का खेल है। इसे देख कर मजा आता है। यह खेलने पर आपको आपके जीवन में बहुत मदद करेगा। यह आपको जीवन को बेहतर बनाने में मदद करेगा। कठिन परिश्रम और स्मार्ट कार्य आपको चेस का चैंपियन बनाता है।