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Chhath Puja 2022: गंगा-यमुना घाटों पर उगते सूर्य को महिलाओं ने अर्घ्‍य दिया, 36 घंटे निर्जला व्रत का समापन

Chhath Puja 2022 सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम समेत दारागंज मीरापुर कीडगंज गऊघाट बलुआघाट अरैल फाफामऊ झूंसी रसूलाबाद तेलियरगंज के गंगा और यमुना घाटों पर व्रती महिलाओं और उनके परिवार के सदस्‍यों की भीड़ जुटी। इसी के साथ छठ पर्व का समापन हुआ।

By Jagran NewsEdited By: Brijesh SrivastavaUpdated: Mon, 31 Oct 2022 09:22 AM (IST)
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Chhath Puja 2022 छठ पूजा पर्व पर व्रती महिलाओं ने गंगा-यमुना जल में खड़ी होकर उगत सूर्य को अर्घ्‍य दिया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। Chhath Puja 2022 आज सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्‍य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पूजा (डाला छठ) का समापन हुआ। भोर से ही व्रती महिलाएं परिवार के सदस्‍यों के साथ नदी घाटों पर पहुंचीं। नदी के जल में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्‍य दिया और विधिवत पूजन-अर्चन किया। इसी के साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत का समापन हुआ। इस दौरान प्रयागराज के संगम समेत गंगा और यमुना के घाटों पर हजारों की संख्‍या में भीड़ जुटी।

पुत्र, परिवार और कुल की कुशलता की कामना : त्याग, विश्वास, सुख व समृद्धि के महापर्व डाला छठ पर नदियों के तट पर सोमवार की भोर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्‍तमी तिथि पर गंगा-यमुना व संगम तट पर निर्जला व्रत रखने वाली हजारों महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ पहुंचीं। घाट पर स्वयं के चिह्नित स्थान पर गन्ने के मंडप बनाकर विधि-विधान से पूजन किया। सुहागिन महिलाओं ने एक-दूसरे को सौभाग्य के प्रतीक सिंदूर लगाया। व्रती महिलाओं ने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया और पुत्र, परिवार और कुल की कुशलता के लिए कामना की। वहीं कल रविवार की शाम को अस्‍त होते सूर्य को भी अर्घ्‍य दिया था।

छठ पूजन को गंगा-यमुना के घाटों पर भीड़ उमड़ी : सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रयागराज में गंगा-यमुना के संगम समेत दारागंज, मीरापुर, कीडगंज, गऊघाट, बलुआघाट, अरैल, फाफामऊ, झूंसी, रसूलाबाद, तेलियरगंज के गंगा और यमुना घाटों पर व्रती महिलाओं और उनके परिवार के सदस्‍यों की भीड़ जुटी।

छठ मइया के गीतों से गूंज उठे नदी घाट : छठ मइया के गीतों से गंगा-यमुना तट गूंज उठे। हाथ में गन्ना और प्रसाद की थाली थी। जबकि पुरुष सिर पर बांस की टोकरी में सूप, फल, सब्जी व पूजन की अन्य सामग्री लेकर साथ चल रहे थे। घाट पहुंचने पर व्रती महिलाएं स्वयं की बनाई वेदी के पास बैठकर उसके चारों ओर गन्ने का मंडप तैयार किया। मंडप के अंदर बैठकर छठ मइया का विधिवत पूजन किया।  घाट पर ढोल-नगाड़े की थाप पर युवाओं के साथ बुजुर्ग भी थिरके। बच्चों ने पटाखे जलाकर खुशी मनाई।

ठेकुआ खाकर व्रत का किया पारण : शुक्रवार को नहाय-खाय से छठ पर्व का आरंभ हुआ था। खरना पर शनिवार को डाला छठ का 36 घंटे के निर्जला व्रत शुरू हुआ था। कार्तिक शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सोमवार की सुबह डाला छठ व्रत का व्रती महिलाओं ने पारण ठेकुआ खाकर किया।

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